RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
वे रचना को हर जगह चूम रहै थे, छाती, पेट, पीठ, कंधे, जांघें, पैर ... थोड़ी देर फ़िर से उन्होंने रचना की बुर चूसी और दीदी रचना जब गरमा कर सी सी करने लगी तो उसे पलट कर सोफ़े पर पेट के बल लिटा दिया और उसके चूतड़ों में मुंह गाड़ दिया. रचना शरमा कर "सर ... सर ... वहां क्यों चूस रहै हैं सर? .... ओह ... ओह ...उई ऽ.. छी सर ... वहां गंदा है ...मत डालिये ना जीभ .... ओह ... आह" करने लगी पर सर ने उसके चूतड़ों को नहीं छोड़ा.मेने सर से कहा की सर अब कीमत बहुत ज्यादा हो गयी है तो वे भड़क गए बोले तुम्हे पास होना है या नही।हमने सहमती में गर्दन हिलाई ,तो उन्होंने कहा अब में
चोदूंगा, इस फ़ूल सी नरम बुर में घुसने को के खयाल से ही देखो मेरा लंड कैसा फ़िर से मचलने लगा है. पर इसपर ज्यादती हो जायेगी. इसलिए पहले तुम इसे चोद दो और इसकी चूत खोल दो, फ़िर मेरा जाने में इसको तकलीफ़ नहीं होगी"
कहकर सर ने रचना को नीचे पलंग पर लिटा दिया. "रचना , ठीक से लेट और टांगें फ़ैला, अब जरा अपने भाई का लंड हाथ में लेकर देख, इसे लेगी ना अब अपनी चूत में?"
रचना तो अब मछली जैसी तड़प रही थी. उसने झट से टांगें फ़ैलायीं और मेरा लंड पकड़कर बोली "भैया , जल्दी कर ना ... हा ऽ य .. रहा नहीं जाता .... " उसकी नजर सर के फ़िर से खड़े लंड पर टिकी थी.
पाल सर बोले "अमित बेटे, पहले रचना की चूत की पूजा करो, आखिर तुम्हारी बहन है"
"कैसे सर? " मैं पूछ बैठा.
"अरे मूरख, चूत पूजा कैसे करते हैं? उसे प्यार करके, उसे चाट के, उसके रस को उसके प्रसाद को ग्रहण करके. सर मुझे डांट कर बोले.
मैं जुट गया. रचना की चूत में मुंह डाल दिया. वह मेरे सिर को भींच कर तड़पने लगी "सर .... सर ... रहा नहीं जाता सर ... बहुत अच्छा लगता है सर" मैं लपालप रचना की बुर चाटने में जुटा था.
मैंने झट से रचना की बुर पर लंड रखा और पेलने लगा "अरे धीरे बेटे, हौले हौले, रचना ने कभी लंड लिया नहीं है ना, ऐसे धसड़ पसड़ ना कर" सर ने समझाया.
"पर सर , रोज ये और में तो पर में कहते कहते रुक गया ..." मैंने कहा तो सर हंसने लगे " और तेरा ये लंड कितना मोटा है, कुछ तो खयाल कर"
मैंने धीरे से लंड पेला और वो सट से आधा रचना की चूत में घुस गया. रचना थोड़ी कसमसाई. सर बोले "रचना , घबरा मत, समझ बड़ी मोमबत्ती है. बहुत मजा आयेगा तुझे देखना. चल , आगे चल पर जरा प्यार से"
मैंने फ़िर लंड पेला और वो पूरा रचना की बुर में समा गया. रचना जरा सी चिहुकी और मुझे कस के पकड़ लिया. पाल सर खुश होकर बोले "बहुत अच्छे बेटे. ये अच्छा हुआ, बहन ने कैसे प्यार से भाई का ले लिया. भाई का हो तो दर्द भी कम होता है. अब चोद धीरे धीरे. जगह बना मेरे मूसल के लिये. प्यार से चोदना, और जरा मस्ती से दस मिनिट तक चोद, जल्दी मत कर"
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