RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
हम दोनों भाई बहन ने एक दुसरे की और देखा फिर सहमती में गर्दन हिला दी।पाल सर ने रचना को अपने पास आने को कहा और उन्हें अपनी जांघ पर बेठा लिया। वो रचना की चूंची को फ़्रॉक के ऊपर से मसलते हुए बोले "ब्रा नहीं पहनती रचना तू अभी? उमर तो हो गयी है तेरी."
"पहनती हूं सर" रचना सहम कर बोली "ट्रेनिंग ब्रा पहनती हूं पर हमेशा नहीं"
"कोई बात नहीं, अभी तो जरा जरा सी हैं, अच्छी कड़ी हैं इसलिये बिना ब्रा के भी चल जाता है. अब बता किसी ने मसली है तेरी चूंची? या निपल।" कहकर वे रचना का निपल जो अब कड़ा हो गया था और उसका आकार रचना के टाइट फ़्रॉक में से दिख रहा था, अंगूठे और उंगली में लेकर मसलने लगे. रचना ’सी’ ’सी’ करने लगी. वह अब बेहद गरम हो गयी थी. अपनी जांघें एक पर एक रगड़ रही थी.
सर मजे ले लेकर रचना की ये अवस्था देख रहै थे. उन्होंने प्यार से मुस्करा कर दूर से ही होंठ मिला कर चुंबन का नाटक किया. रचना एकदम मस्ता गई, मचलकर उसने खुद ही अपनी बांहें फ़िर से सर के गले में डाल दी और उनसे लिपट कर उनके होंठ चूसने लगी.
मैंने देखा कि अब पाल सर का दूसरा हाथ रचना की चूंची से हट कर उसकी जांघों पर पहुंच गया था. रचना की जांघें सहला कर पाल सर ने उसका फ़्रॉक धीरे धीरे ऊपर खिसकाया और रचना की बुर पर पैंटी के ऊपर से ही फ़ेरने लगे. रचना ने उनका हाथ पकड़ने की कोशिश की तो सर ने चुम्मा लेते लेते ही उसे आंखें दिखा कर सावधान किया. बेचारी चुपचाप सर को चूमते हुए बैठी रही. सर चड्डी के कपड़े पर से ही उसकी बुर को सहलाते रहै.
रचना ने जब सांस लेने को पाल सर के मुंह से अपना मुंह अलग किया तो पाल सर बोले "रचना , तेरी चड्डी तो गीली लग रही है!"
रचना नजरें झुका कर लाल चेहरे से बोली "नहीं सर ... ऐसा कैसे करूंगी, वो आप जो .... याने .... " फ़िर चुप हो गयी.
"अरे मैं तो मजाक कर रहा था, मुझे मालूम है तू बच्ची नहीं रही. और इस गीलेपन का मतलब है कि मजा आ रहा है तुझे! क्या बदमाश भाई बहन हो तुम दोनों! पर मजा क्यों आ रहा है ये तो बताओ? क्यों रे अमित ? अभी रो रहै थे, अब मजा आने लगा?" पाल सर ने पूछा. उनकी आवाज में अब कुछ शैतानी से भरी थी.
मैं क्या कहता, चुप रहा. "क्यों री रचना ? मेरे करने से मजा आ रहा है? पहले तो मुझे चूमने से भी मना कर रही थीं. अब क्या सर अच्छे लगने लगे? बोलो.. बोलो" सर ने पूछा.
रचना ने आखिर लाल हुए चेहरे को उठा कर उनकी ओर देखते हुए कहा. "हां सर आप बहुत अच्छे लगते हैं, जब ऐसा करते हैं, कैसा तो भी लगता है" मैंने भी हां में हां मिलाई. "हां सर, बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा कभी नहीं लगा, अकेले में भी"
"अच्छा, अब ये बताओ कि मैं सिर्फ़ अच्छा करता हूं इसलिये मजा आ रहा है या अच्छा भी लगता हूं तुम दोनों को?" पाल सर अब मूड में आ गये थे. मैंने देखा कि उनकी पैंट में तंबू सा तन गया था. अपना हाथ उन्होंने अब रचना की पैंटी के अंदर डाल दिया था. शायद उंगली से वे अब रचना की चूत की लकीर को रगड़ रहै थे क्योंकि अचानक रचना सिसक कर उनसे लिपट गयी और फ़िर से उन्हें चूमने लगी "ओह सर बहुत अच्छा लगता है, आप बहुत अच्छे हैं सर"
"अच्छा हूं याने? अच्छे दिल का हूं कि दिखने में भी अच्छा लगता हूं तुम दोनों को" पाल सर ने फ़िर पूछा. रचना का चुम्मा खतम होते ही उन्होंने मेरी ओर सिर किया और मेरा गाल चूम लिया. "क्यों रे अमित ? तू बता, वैसे तुम और तेरी बहन भी देखने में अच्छे खासे चिकने हो"
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