RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मैंने अपना हाथ पीछे करके रचना की गांड पर रख दिया और उसकी गांड के छेद में एक साथ दो उंगलियाँ घुसा दी, अब उसे भी अपनी गांड के छेद के द्वारा मजा आ रहा था, वो मुझसे चुद चुकी थी, आज उसके मन में गांड मरवाने का भी विचार आने लगा, गांड में हुए उत्तेजक हमले और चूत पर मेरे दांतों के प्रहार से वो और भड़क उठी और वो अपनी चूत को ओर तेजी से मेरे मुंह पर घिसने लगी, और झड़ने लगी.......आआआआआआआआअह्ह्ह...ले कुत्ते ....भेन के लोडे.....पी जा मेरा रस......आआआआआआआआह्ह...उसकी चूत आज काफी पानी छोड़ रही थी, मेरे मुंह से निकलकर चूत के पानी की बूंदे नीचे गिर रही थी और वहां बैठी हमारी कुतिया ऋतू अपना मुंह ऊपर फाड़े उसे कैच करने में लगी हुई थी.
झड़ने के बाद रचनामेरे मुंह से नीचे उतर आई और चट्टान पर अपनी टाँगे चोडी करके बैठ गयी, मैंने अपना फड़कता हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा ही था की उसने मुझे रोक दिया ओर बोली "आज मेरी गांड में डालो...." मैंने हैरानी से उसकी आँखों में देखा ओर उसने आश्वासन के साथ मुझे फिर कहा "हां...बाबा...चलो मेरी गांड मारो...प्लीस .." मैंने अपनी वही पुरानी तरकीब अपनाई ओर एक तेज झटका मारकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया....वो चिल्लाई..."अबे...भेन चोद..समझ नहीं आती क्या...गांड मार मेरी...चूत नहीं कुत्ते..." पर मैं नहीं रुका ओर उसकी चूत में अपना लंड अन्दर तक पेल दिया ओर तेजी से झटके मारने लगा.....अब मेरा लंड उसकी चूत के रस से अच्छी तरह सराबोर हो चूका था, मैंने उसे निकाला, उसकी आँखों में विस्मय के भाव थे की मैंने उसकी चूत में से अपना डंडा क्यों निकाल लिया, मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा, कुतिया वाले पोस में, वो समझ गयी ओर अपनी मोटी गांड उठा कर चट्टान पर अपना सर टिका दिया, ऋतू जो अब तक खामोश बैठी अपनी चूत में उँगलियाँ चला रही थी, उछल कर चट्टान पर चढ़ गयी ओर अपनी टाँगे फैला कर रचना के मुंह के नीचे लेट गयी, रचना समझ गयी ओर अपना मुंह उसकी नरम ओर गरम चूत पर रख दिया ओर चाटने लगी..
आआआआआआआआह्ह्ह....ऋतू ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी, .म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
वो रचना के सर को अपनी चूत पर तेजी से दबा रही थी...चाट कुतिया....मेरी चूत से सारा पानी चाट ले...आआआआआआअह्ह्ह.....भेन चोद ....हरामजादी....चूस मेरी चूत को....आआआआआह्ह्ह्ह...
रचना ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया ओर चूसने लगी, ऋतू तो पागल ही हो गयी..
ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह अह अह अह अह अह अह अह .......वो बदबदाये जा रही थी ओर चुसवाती जा रही थी.
पीछे से मैंने रचना की गांड की बनावट देखि तो देखता ही रह गया, उसके उठे हुए कुल्हे किसी बड़े से गुब्बारे से बने दिल की आकृति सा लग रहा था, मैंने उसे प्यार से सहलाया ओर अपने एक हाथ से उसे दबाने लगा , .... रचना ने ऋतू की चूत चाटना छोड़ा ओर पीछे सर करके बोली "अबे भेन छोड़.....क्या अपना लंड हिला रहा है पीछे खड़ा हुआ...कमीने, मेरी गांड मसलना छोड़ ओर डाल दे अपना हथियार मेरी कुंवारी गांड में...डाल कुत्ते....." वो लगभग चिल्ला ही रही थी.
मैंने अपना लंड थूक से गीला किया ओर उसकी गांड के छेद पर टिकाया ओर थोडा सा धक्का मारा...अयीईईईईईईईईईई .........मर गयीईईईईईईईईईईइ .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ..............नहीईईईईईईईइ...."मेरे लंड का तोप उसकी गांड के रिंग में फंस गया था....मैंने आगे बढकर अपने लंड का निशाना बनाकर थूक फैंकी जो सही निशाने पर लगी, लंड गीला हो गया, मैंने एक ओर धक्का मारा....आआआआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह ये चीख काफी लम्बी थी...उसने अपने दांत ऋतू की चूत में गाद दिए, वो भी बिलबिला उठी....."हत्त्तत्त्त्त कुतियाआआआअ.......अपनी गांड फटने का बदला मेरी चूत से ले रही है........आआआआआआआआह्ह्ह्ह ...धीरे चाट........नहीं तो तेरी चूत में लकड़ी का तना डाल दूंगी..."ऋतू ने रचना को धमकी दी..
मेरा लंड आधा उसकी गांड में घुस चूका था....मैंने उसे निकाला ओर थोड़ी ओर थूक लगाकर फिर से अन्दर डाला..अब मैं सिर्फ आधा लंड ही डाल रहा था, वो अपनी गांड धीरे -२ मटका कर घुमाने लगी, मैं समझ गया की उसे भी मजा आ रहा है, रचना की गांड मोटी होने के साथ-२ काफी टायट भी थी, ८-१० धक्के लगाने के बाद मैंने फिर से आगे की तरफ झटका मारा......"तेरी माँ की चूत........भोंसड़ीके ....कमीने....कुते....फाड़ डाली मेरी गांड......आआआआआआआआह्ह्ह्ह ......वो चिल्लाती जा रही थी ओर अपनी गांड मटकाए जा रही थी, मैं समझ नहीं पा रहा था की उसे मजा आ रहा है या दर्द हो रहा है.
|