RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
रचना ने अपने होंठ मेरी तरफ बड़ा दिए और में उन्हें चूसने लगा, मैंने हाथ बड़ा कर उसके सेब अपने हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा, उसे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, पर तभी मेरा ध्यान ऋतू की तरफ गया और मैं जल्दी से खड़ा हुआ और रचना को चलने को कहा, क्योंकि वो जंगली इलाका था और मुझे अपनी मॉम की चिंता हो रही थी, हम जल्दी-२ चलते हुए चट्टान के पास पहुंचे और वहां देखा तो ऋतू , अपने कपडे उतार कर, बिलकुल नंगी बैठी हुई थी। .में मॉम के इस अंदाज को देख कर खुश हो गया मेने मॉम को शुक्रिया कहा तो उन्होंने कहा की इसकी जरू रत नही है वो अपने बेटे ख़ुशी के लिए सब कर सकती है ,फिर उन्होंने कहा की में अब उन्हें ऋतू के नाम से ही पुकारू।
"तुम क्या रास्ते में ही शुरू हो गए थे, इतनी देर क्यों लगा दी ?" उसने हमसे शिकायती लहजे से पूछा.
रचना ने जब देखा की ऋतू नंगी है तो उसने भी अपनी लोन्ग फ्रोक्क को नीचे से पकड़ा और अपने सर से उठा कर उसे उतार दिया, वो नीचे से बिलकुल नंगी थी और वो भी जाकर अपनी मॉम के साथ चट्टान पर लेट गयी, अब मेरे सामने दो जवान नंगी लड़कियां बैठी थी, मेरा लंड मचल उठा और मैंने भी अपने कपडे बिजली की फुर्ती से उतार डाले.
रचना ने मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी, वो आगे बड़ी तभी ऋतू ने उसे पीछे करते हुए कहा "चल कुतिया पीछे हो जा, पहले मैं चुसुंगी अपने बेटे का लंड"
रचना को विश्वास नहीं हुआ की ऋतू ने उसे गाली दी, पर जब हम दोनों को मुस्कुराते हुए देखा तो वो समझ गयी की आज गाली देकर चुदाई करनी hai, तो वो भी चिल्लाई "तू हट हरामजादी, अपने बेटे का लंड चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आती भेन की लोड़ी, कमीनी कहीं की...." और उसने ऋतू के बाल हलके से पकड़ कर पीछे किया और झुक कर मेरे लम्बे लंड को मुंह में भर लिया.
ठन्डे मौसम में मेरा लंड उसके गरम मुंह में जाते ही मैं सिहर उठा.
"अच्छा तो तो इससे चुसना चाहती है, ठहर मैं तुझे बताती हूँ..."और ये कहते ही उसने रचना की गांड को थोडा ऊपर उठाया और अपनी जीभ रख दी उसके गांड के छेद पर..
आआआआआयीईईईईईईई ....."वो चिल्ला उठी..और इतने में ऋतू ने एक जोरदार हाथ उसके गोल चुतद पर दे मारा....और अपनी एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में डाल दी...आआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ......नहीईईईईईईईईईईई .....वहान्न्नन्न्न्न नहीईईईईईईईई.....पर ऋतू ने नहीं सुना और अपनी दूसरी ऊँगली भी घुसेड दी...उसकी आँखें बाहर निकल आई. पर उसने मेरा लंड चुसना नहीं छोड़ा...
उनकी लड़ाई में मेरे लंड का बुरा हाल था, क्योंकि अपने ऊपर हुए हमले का बदला रचना मेरे लंड को उतनी ही जोर से चूस कर और काट कर ले रही थी...
मैंने रचना के बाल वहशी तरीके से पकडे और उसका चेहरा ऊपर करके उसके होंठ काट डाले, वो दर्द से बिलबिला उठी " छोड़ कुत्ते ......आआआआआआयीईईईईइ ..भेन चोद..भुतनिके...आआआआआह...वो चिल्लाती जा रही थी, क्योंकि उसकी गांड में ऋतू की उँगलियाँ थी जिससे उसकी गांड फट रही थी और ऊपर से उसके उसके होंठ काट-२ कर मैं उसकी फाड़ रहा था, उसके मुंह से लार गिर रही थी और उसके पेट पर गिरकर उसे चिकना बना रही थी, अचानक ऋतू ने अपने दुसरे हाथ को आगे बढाकर मेरी गांड में एक ऊँगली दाल दी, मेरे तन बदन में बिजली दौड़ गयी, मैं उछल पड़ा, पर मैंने रचना को चुसना नहीं छोड़ा, फिर मैंने अपनी बलशाली भुजाओं का प्रयोग किया और रचना को किसी बच्चे की तरह उसकी जांघो से पकड कर ऊपर उठा लिया और उसने अपनी टांगे मेरे मुंह के दोनों तरफ रख दी, और अपनी चूत का द्वार मेरे मुंह पर टिका दिया.
ऋतू ने चूसकर उसकी चूत को काफी गीला कर दिया था, मेरे मुंह में उसका रस और ऋतू के मुंह की लार आई और मैं सड़प-२ कर उसे चाटने लगा, उसने मेरे बालों को जोर से पकड़ रखा था और मैं चट्टान पर अपनी गांड टिकाये जमीन पर खड़ा था, रचना मेरे मुंह पर चूत टिकाये चट्टान पर हवा में खड़ी थी, और ऋतू नीचे जमीन पर किसी कुतिया की तरह अब मेरे गांड के छेद को चाट रही थी.
पूरी वादियों में हम तीनो की सिस्कारियां गूंज रही थी.
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