RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
“ऐसा नही हैरचना, अगर इस समय तुम्हारी ईच्छा नही है तो कोई बात नही है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड लुन्गा।”
“नही भाई, तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नही कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करुन्गी। भाई, मैं इतनी स्वार्थी नही हुं कि, अपने प्यारे सगे भाई को ऐसे तडपता हुआ छोड दुं। आओ भाई, चढ जाओ अपनी बहन पर और जल्दी से चोदो,,,,,,,,,, चलो, जल्दी से चुदाई का खेल शुरु करें।”
मैने उसके होंठो पर एक जोरदार चुंबन जड दिया। और उसके मांसल, मलाईदार चुतडों को अपने हाथो से मसलते हुए, उससे कहा,
“रचना, तुम फिर से घुटनो के बल हो जाओ, मैं तुम्हे पिछे से चोदना चाहता हुं।”मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टरने बिना एक पल गंवाये, फिर से वही पोजीसन बना ली। उसने घुटनो के बल होकर, अपनी गरदन को पिछे घुमा कर मुस्कुराते हुए, मुझे अपनी बडी-बडी आंखो को नचाते हुए आमंत्रण दिया। उसने अपने पैरों को फैला कर, अपने खजाने को मेरे लिये पुरा खोल दिया। मैने फिर से अपने चेहरे को उसकी जांघो के बिच घुसा दिया, और उसकी चूत को चाटने लगा। चूत चाटते हुए अपनी जीभ को उपर की तरफ ले गया, और उसकी खूबसुरत और मांसल गांड की दरार में अपनी जीभ को घुसा दिया और जीभ निकाल कर उसकी गांड को चाटने लगा। मैने अपने दोनो हाथो से उसके चुतडों फैला कर, उसकी गांड के छेद को चौडा कर दिया। फिर अपनी जीभ को कडा करके, उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी गांड बहुत टाईट थी और इसे मैं अपनी जीभ से नही चोद पाया। मगर मैं उसकी गांड को तब तक चाटता रहा, जब तक कि, रचना चिल्लाने नही लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी,
“ओह ब्रधर, अब देर मत करो। मैं अब गरम हो गई हुं। अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दो, और अपनी प्यास बुझा लो। मैं समझती हुं, अब हमारा ज्यादा देर करना उचित नही होगा। ओह भाई, जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”
मैने अपने खडे लंड को उसकी गीली चूत के छेद पर लगा दिया। फिर एक जोरदार धक्के के साथ अपना पुर लंड उसकी बुर में, एक ही बार में पेल दिया। ओह, क्या अदभुत अहसास था, यह ! इसका वर्णन शब्दो में करना संभव नही है। उसकी रस से भरी, पनियाई हुई चूत ने, मेरे लौडे को अपनी गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पुरी तरह से कस लिया। मैं धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी बहन ने भी अपनी गांड को पिछे की तरफ धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरु कर दिया। हम दोनो भाई-बहन, अब पुरी तरह से मदहोश होकर मजे की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर, उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकाल कर उसकी गुदाज चुचियों को, उपर से ही दबाने लगा। उसकी चुचियां एकदम कठोर हो गई थी। उसकी ठोस चुचियों को दबाते हुए मैं अब तेजी से धक्के लगाने लगा था, और रचना के मुंह से सिसकारीयां फुटने लगी थी। वो सिसकाते हुए बोल रही थी,
“ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हां,,,, हां, इसी तरह से जोर-जोर से धक्का लगाओ, भाई। इसी प्रकार से चोदो, मुझे।”“आह, शीईईईई, रचना तुम्हारी चूत कितनी टाईट और गरम है। ओह,,, मेरी प्यारी बहना,,,, लो अपनी चूत में मेरे लंड को,,,, ऐसे ही लो। देखो,,, ये लो मेरा लंड अपनी चूत में,,,,,, ये लो,,,,,,,, फिर से लो,,,,,,, क्या, एक और दुं ?? ले लो,,,, मेरी रानी बहन,,,,, हाये रचना।”
मैं उसकी चूत की चुदाई, अब पुरी ताकत और तेजी के साथ कर रहा था। हम दोनो की उत्तेजना बढती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि, किसी भी पल मेरे लौडे से गरम लावा निकल पडेगा।
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