RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
चूत के रस को चाटते हुए और बुर में जीभ पेलते हुए, मैं उसके भगनशे को भी छेड देता था। मेरे ऐसा करने पर वो अपनी गांड को और ज्यादा तेजी के साथ लहराने लगती थी।रचना अब पुरी उत्तेजना में आ चुकी थी। मैने अपने पंजो के बिच में उसके दोनो छुतडों को दबाया हुआ था, ताकि मुझे उसकी प्यारी चूत को अपने जीभ से चोदने में परेशानी ना हो। मैं अपनी नुकिली जीभ को उसकी चूत के अंदर गहराई तक पेल कर, घुमा रहा था।
“ओह भाआआईईईई,,,,,, ऐसे ही प्यारे, मेरे डार्लिंग ब्रधर,,,,, ऐसे ही। ओह,,,, खा जाओ मेरी चूत को, चुस लो इसका सारा रस,,,, प्यारे!!!! ओह,,, चोदु,,,, मेरे भगनशे को ऐसे ही छेडो और कस कर अपनी जीभ को पेलो,,,,,,,, ओओओओह्ह्ह्ह,,, सीईईईईईई मेरे चुदक्कड बालम,,,, मेरा अब निकलने ही वाला,,,, ओह…मैं गई,,,,,,, गईईईईई,,,,,,,, गई राआज्जाआआ,,,,, ओह बुरचोदु,,,,,,,,देखो मेरा निकल रहा है,,,,,,,,, हायेएएए,,, पी जाओ,,,,,, इसे!!!!! ओह,,,, पी,,,,, जाओ मेरी चूत से निकले पानी को,,,,,,,ईईईईईशीशीशीश्श्शीईई,,,, भाई, मेरी चूत से निकले स्वादिष्ट पानी को पीईईई जाआआओओओ प्याआआरेएएएए,,,,,”,
कहते हुए रचना अपनी चूत झाडने लगी।
उसकी मखमली चूत से गाढा द्रव्य निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चुतडों के बिच दबाये हुए, अपनी गांड को नचाते हुए गीर गई। उसकी चूत अभी भी फडफडा रही थी, और उसकी गांड में भी कंपन हो रहा था। मैने उसकी चूत से निकले हुए रस की एक-एक बुंद को चाट लिया, और अपने सिर को उसकी मांसल जांघो के बिच से निकाल लिया।
मेरी बहन पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के निचे वो पुरी नंगी थी। झड जाने के कारण उसकी आंखे बंध थी, और उसके गुलाबी होंठ हल्के-से खुले हुए थे। वो बहुत गहरी सांसे ले रही थी। उसने अपने एक पैर को घुटनो के पास से मोडा हुआ था और दुसरे पैर को फैलाया हुआ था। उसके लेटने की ये स्थिति बहुत ही कामुक थी। इस स्थिति में उसकी सुनहरी, गुलाबी चूत, गांड का भुरे रंग का छेद और उसके गुदाज चुतड मेरी आंखो के सामने खुले पडे थे और मुझे अपनी ओर खींच रहै थे। मेरा खडा लौडा, अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपडा, एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था। मेरे लंड को किसी छेद की सख्त जुरुरत महसूस हो रही थी। मैं गहरी सांसे खींचता हुआ, अपनी उत्तेजना पर काबु पाने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ मेरी रचना के नंगे चुतडों के साथ खेलने के लिये बेताब हो रहै थे। मैं अपने अंडकोषो को सहलाते हुए, सुपाडे के छेद पर जमा हुई पानी की बुंदो को देखते हुए, अपनी प्यारी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया। मेरे बैठते हीरचना ने अपनी आंखे खोल दी। ऐसा लग रहा था, जैसे वो एक बहुत ही गहरी निंद से जागी हो। जब उसने मुझे और मेरे खडे लंड को देखा तो, जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए, मेरे खडे लंड को अपने हाथो में भर लिया और बोली,
“ओह प्यारे, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया है। ओह भाई, तुमने जो किया है, वो सच में बहुत खुशनुमा था। मैं बहुत दिनो के बाद इस प्रकार से झडी हुं।,,,,, ओह प्यारे, तुम्हारा लंड तो एकदम खडा है।,,,,,,ओह,,, मुझे ध्यान ही नही रहा कि, मेरे प्यारे भाई का डण्डा खडा होगा और उसे भी एक छेद की जुरूरत होगी। ओह डार्लिंग आओ,,,,,,,, जल्दी आओ, तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी। मैं भी तैयार हुं,,,,, तुम्हारा खडा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है, और मेरी बुर भी अब खुजलाने लगी है।”
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