RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मैने रचना की चूत पर से, अपने मुंह को एक पल के लिये हटाते हुए कहा,
“ओह सिस्टर, तुम्हारे पेशाब और चूत की खूश्बु ने मुझे पागल बना दिया है। ऐसा लगता है कि, मैने तुम्हारी मुत की एक-दो बुंद पी भी ली है, और मैं अपने आप को इसका और ज्यादा स्वाद लेने से नही रोक पा रहा हुं। हाये रचना, सच में तुम्हारे बदन से निकलने वाली हर चीज बहुत ही स्वादिष्ट है,,,,, ओह,,,,।”“ओह भाई ! लगता है, तुम कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुके हो, और मुझे ये बहुत पसंद है। तुम्हारा इस तरह से मुझे प्यार करना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, प्यारे भाई। पर अगर तुम इसी तरह से मेरी चूत और पेशाब वाले छेद को चुसोगे, तो मुझे लगता है कि मेरा पेशाब निकल जायेगा। और मैं नही चाहती कि, हमारे कपडे खराब हो,,,,,,,, ओह राजा, मेरे प्यारे सनम,,,,,,,तुम इस बात का ख्याल रखते हुए मुझे प्यार करो।”
मैं अभी तक पेशाब वाले छेद को चिडोर-चिडोर कर चाट रहा था। मगर रचना के बोलने पर मैने उसको छोड कर, अपना ध्यान उसकी चूत और भगनशे पर लगा दिया। उसके भगनशे को अपने होंठो से छेडते हुए, उसकी पनियाई हुई बुर के कसे हुए छेद में, अपनी जीभ को नुकिला करके पेलने लगा। अपने हाथो से उसके चुतडों और गांड के छेद को सहलाते हुए, मैं उसकी गांड के छेद को अपने अंगुठे से छेडने लगा। मैं अपनी जीभ को कडा कर के उसकी चूत में तेजी के साथ पेल रहा था, और जीभ को बुर के अंदर पुरा ले जाकर उसे घुमा रहा था। रचना भी अपने चुतडों को तेजी के साथ नचाते हुए, अपनी गांड को मेरी जीभ पर धकेल रही थी, और मैं उसकी बुर को चोद रहा था।
हालांकि, इस समय मेरा दिल अपनी प्यारी बहन की गांड के भुरे रंग के छेद को चाटने का कर रहा था। परंतु मैने देखा कि, रचना अब उत्तेजना की सीमा को पार कर चुकी थी, शायद। वो अब अपने चुतडों नचाते हुए बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी।
“,,,,,भाई, तुम मुझे पागल बना रहै हो,,,,,,ओह,,,,डार्लिंग ब्रधर हां ऐसे,,,,, ही,,,,, ऐसे ही, चुसो मेरी चूत को,,,,,,,मेरी बुर के होंठो को अपने मुंह में भर कर,,,, ऐसे ही चाटो राजा,,,,,,ओह, प्यारे,,,,, बहुत अच्छा कर रहै हो तुम। इसी प्रकार से मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ को पेलो, और अपने मुंह से चोद दो, मुझे। हाय, मेरे चोदु भाई,,,,, मेरी चूत के होंठो को काट लो और उन्हे काटते हुए अपनी जीभ को मेरी बुर में पेलो।”
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