RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
उसने अपने घुटनो को उस जगह के किनारे पर जमा दिया। फिर वो इस तरह से झुक गई, जैसे कि वो दुसरी तरफ कोई चीज खोज रही हो। अपने घुटनो को जमने के बाद, मेरी प्यारी बेहना ने गरदन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को उपर उठा दिया। इस प्रकार उसके खूबसुरत गोलाकार चुतड, जो कि नायलोन की एक जालीदार कसी हुई पेन्टी के अंदर कैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के उपर, उसकी पेन्टी एक दम कसी हुई थी और मैं देखा रहा था कि, चूत के उपर पेन्टी का जो भाग था, वो पुरी तरह से भीगा हुआ था। मैं दौड के उसके पास पहुंच गया और अपने चेहरे को, उसकी पेन्टी से ढकी हुई चूत और गांड के बिच में घुसा दिया। उसके बदन की खुश्बू, और उसकी चूत के पानी व पसिने की महक ने मेरा दिमाग घुमा दिया, और मैने बुर के रस से भीगी हुई उसकी पेन्टी को चाट लिया। वो आनंद से सिसकारीयां ले रही थी, और उसने मुझसे अपनी पेन्टी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैने उसकी चूत और गांड को कस कर चुमा, उसके मांसल चुतडों को अपने दांतो से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफडों में भर लिया। मेरा लंड पुरी तरह से खडा हो चुका था, और मैने अपने पेन्ट और अंडरवियर को खोल कर इसे आजादी दे दी। रचना की मांसल, कंदील जांघो को अपने हाथो से कस कर पकडते हुए, मैं उसकी पेन्टी के उपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। जालीदार पेन्टी से रीस-रीस कर बुर का पानी निकल रहा था। मैं पेन्टी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुंह में भरते हुए, चुसते हुए, चाट रहा था। पेन्टी का बिच वाला भाग सीमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फस गया था, और मैं चूत चाटते हुए, उसकी गांड पर भी अपना मुंह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ गई थी। वो अपनी गांड को नचाते हुए, अपनी चूत और चुतडों को मेरे चेहरे पर रगड रही थी। फिर मैने धीरे से अपनी बहन की पेन्टी को उतार दिया। उसके खूबसुरत चुतडों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा। उसके मैदे जैसे, गोरे चुतडों की बिच की खाई में भुरे रंग की अनछुई गांड, एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी। उसकी गांड के निचे गुलाबी पंखुडियों वाली उसकी चिकनी चूत थी।रचना की चूत के होंठ फडफडा रहै थे और भीगे हुए थे। मैने अपने हाथो को धीरे से उसके चुतडों और गांड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथो को सरका कर उसकी बिना झांठो वाली चूत के छेद को अपनी उन्गलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। मेरी उन्गलियों पर उसकी चूत से निकला, उसका रस लग गया था। मैने उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सुंघा, और फिर जीभ निकल कर चाट लिया। मेरी प्यारी बहन के मुंह लगातार सिसकारीयां निकल रही थी, और उसने मुझसे कहा,
“भाई, जैसाकि मैं समझती, अब तुमने जी भर कर मेरे चुतडों और चूत को देखा लिया है। इसलिये तुम्हे अपना काम शुरु करने में देर नही करनी चाहिए।”
मैं भी अब ज्यादा देर नही करना चाहता था, और झुक कर मैने उसकी चूत के होंठो पर अपने होंठो को जमा दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। उसकी बुर का रस नमकीन-सा था। मैने उसकी बुर के कांपते हुए होंठो को, अपनी उन्गलियों से खोल दिया, और अपनी जीभ को कडा और नुकिला बना कर, चूत के छेद में घुसा कर उसके भगनशे को खोजने लगा।उसके छोटे-से भगनशे को खोजने में मुझे ज्यादा वक्त नही लगा। मैने उसे अपने होंठो के बिच दबा लिया, और अपनी जीभ से उसको छेडने लगा। रचना ने आनंद और मजे से सिसकारीयां भरते हुए, अपनी गांड को नचाते हुए, एक बहुत जोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुंह की ओर मारा। ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में निगल लेना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी, और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुंच चुकी थी। मैं उसके भगनशे को अपने होंठो के बिच दबा कर चुसते हुए, अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया था। मैने अपनी दो उन्गलियों की सहायता से, उसके पेशाब करने वाले छेद को थोडा फैला दिया। फिर अपनी जीभ को उसमे तेजी से नचाने लगा। मुजे ऐसा करने में मजा आ रहा था, और रचना भी अपनी गांड को नचाते हुए सिसकारीयां ले रही थी।
“ओह भाई, तुम बहुत अच्छा कर रहै हो। डार्लिंग ब्रधर, इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटो, हां,,, हां भाई,,,, मेरे पेशाब करने वाले छेद को भी चाटो और चुसो। मुझे बहुत मजा आ रहा है, और मुझे लगता है, शायद मेरा पेशाब निकल जायेगा। ओह भाई, तुम इस बात का ख्याल रखना कि, कहीं तुम मेरे मुत ही नही पी जाओ।”
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