RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
उसकी बाँहों ने मेरी गर्दन को जकड़ लिया. मैनेउसके कोमल कमसिन बदन के ऊपर अपना भारी-भरकम शरीर का पूरा वज़न डाल कर उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. मेरे लंड ने उसकी सिस्कारियों से कमरा भर दिया. मैने उसकी चूत को आधा घंटा अपने मोटे लंड से सटासट धक्कों से चोदा. उसकी चूत तीन बार झड गयी. मेने आख़िरी टक्कर से चूत में अपना लंड जड़ तक घुसेड कर उसकी चूत में झड़ गया. मैंऔर वो एक दूसरे को बाँहों में पकड़ कर चुदाई के बाद के आनंद के रसास्वाद से मगन हो गए.
मैं प्यार से उसको अपनी बाँहों में उठा कर स्नानघर में ले गया.
मैंजब पेशाब करने खड़ा हुआ तो उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर मेरे पेशाब की धार को सब तरफ घुमाते हुए शौचालय में पेशाब कराया. मेरा शिथिल लंड भी बहुत भारी और प्यारा था. उसने मेरे भीगे लंड को प्यार से चूमा. उसको मेरे पेशाब का स्वाद बिलकुल भी बुरा नहीं लगा.
वो जैसे ही शौचालय की सीट पर बैठने लगी मैने उसको बाँहों में उठा कर नहाने के टब में खड़ा हो गया. मैने अपनी शक्तिशाली भुजाओं से उसको अपने कन्धों तक उठा कर उसकी टाँगें अपने कन्धों पर डालने को कहा. उसका मेरी हरकतों से हसंते-हंसते पेट में दर्द हो गया. इस अवस्था में उसकी गीली चूत ठीक मेरे मुंह के सामने थी.
वो मुझसे अपनी चूत चटवाने के विचार से रोमांचित हो गयी, " मेरी पूरी बुर भरी हुई है. मेरा पेशाब निकलने वाला है."
" बेटा, मुझको अपना मीठा मूत्र पिला दो. कुंवारी चूत की चुदाई के बाद पहला मूत तो प्रसाद की तरह होता है." मैने उसकी रेशमी बालों से ढकी चूत को चूम उसको मुझे अपना मूत्र-पान कराने के लिए उत्साहित किया.
उसका पेशाब अब वैसे ही नहीं रुक सकता था. उसके मूत की धार तेज़ी से मेरे खुले मूंह में प्रवाहित हो गयी. मैने मुंह में भरे मूत्र को जल्दी से सटक लिया, पर तब तक उसके पेशाब की तीव्र धार ने मेरे मुंह का पूरा 'मूत्र स्नान' कर दिया. मैं कम से कम उसके आधे पेशाब को पीने में सफल हो गया. मेरा मुंह, सीना और पेट उसके मूत से भीग गया था. सारे स्नानघर में उसके मूत्र की तेज़ सुगंध फ़ैल गयी.
"मास्टर जी, प्लीज़ मुझे शौचासन पर बैठना है."
मैने उसको प्यार से कमोड पर बिठा दिया. वो मेरे आधे-सख्त लंड को मूंह में ले कर मलोत्सर्ग करने लगी. उसके पखाने की महक स्नानघर में फ़ैल गयी. मैने ने गहरी सांस ली, उसका शरीर रोमांच से भर गया, कि मुझको उसका मलोत्सर्जन भी वासनामयी लगता था. मेरा लंड और भी सख्त हो गया. जब उसका मलोत्सर्ग समाप्त हो गया तो उसने अपने आपको साफ़ किया और खड़ी हो गई .
फिर हम इकट्ठे स्नान करने के लिए शावर के लिए चल पड़े. मैने उसको प्यार से साबुन लगाया. मेरे हाथों ने उसके उरोजों, चूत और गांड को खूब तरसाया. मैने उसके बालों में शेम्पू भी लगाया. उसके शरीर में वासना की आग भड़कने लगी. उसने भी मुझको सहला कर साबुन लगाया.उसके हाथों ने मेरे खड़े मूसल लंड को खूब सहलाया, उसने मेरे विशाल बहुत नीचे तक लटके अंडकोष को भी अपने हाथों में भरकर साफ़ करने के बहाने सहला कर मेरी कामंगना को भड़का दिया.
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