RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
"मास्टर जी, आपने तो मेरी चूत को आह....ऐ..ऐ ..ऐ मा..मा...मा..आं..आं..आं..आं..आं. झाड़ दीजिये.उफ ओह मामा जी ..ई..ई..ई." वो हलक फाड़ कर चिल्लाई. उसके निरंतर रति-स्खलन ने उसके दिमाग को विचारहीन और निरस्त कर दिया.
उसका सारा शरीर दर्द भरी मीठी एंठन से जकड़ा हुआ था. मैने एक के बाद एक और भयानक ताक़त से भरे धक्कों से उसकी चूत को बिना थके और धीमे धीमे एक घंटे से भी ऊपर तक चोदता रहा. वो अनगिनत बार झड़ चुकी थी और उस पर रति-निष्पत् के बाद की बेहोशी जैसी स्तिथी व्याप्त होने लगी. उसकी चूत मेरे विशाल मोटे लंड से घंटों लगातार चुद कर बहुत जलन और दर्द कर रही थी.
"मास्टर जी, अब मेरी चूत आपका अतिमानव लंड और सहन नहीं कर सकती. मृेरे प्यारे मास्टर जी मेरी चूत में अपना लंड खोल दीजिये. मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से भर दीजिये," वो चुदाई की अधिकता भरी मदहोशी में मुझे चुदाई ख़त्म करने के लिए मनाने लगी. उसको नहीं लगता था कि वो काफी देर तक अपना होश संभाल पाएगी ..
उसकी थकी विवश आवाज़ और शब्दों ने मेरी कामेच्छा को आनन्द की पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया," बेटा,मैं अब तुम्हारी चूत में झड़ने वाला हूँ," मैने उसकी चूत का सिर्फ कौमार्य भंग ही नहीं किया था पर उसे अपने विशाल लंड और अमानवीय सहवास संयम-शक्ति से अपनी दासी भी बना लिया था. वो मुझसे सारी ज़िंदगी चुदवाने के लिए तैयार ही नहीं उसके विचार से ही रोमांचित थी.
मैने उसकी चूचियों को बेदार्दी से मसल कर उसकी छाती में ज़ोर से दबा कर अपने भारी मोटे लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर तक बारह-तेरह बार डाल कर उसके ऊपर अपने पूरे वज़न से गिर पड़ा. उसके फेफड़ों से सारी वायु बाहर निकल पड़ी. मेरा लंड उसकी चूत में फट पड़ा. स्खलन ने उसकी चूत में नया रति-स्खलन शुरू कर दिया. उसने अपनी बाहें, ज़ोर-ज़ोर से सांस लेते हुए मेरी गर्दन के चरों तरफ डाल कर, मुझको कस कर पकड़ लिया. हम दोनों अवैध अगम्यागमन के चरमानंद से मदहोश इकट्ठे झड़ रहे थे.
मैंउसकी गरदन पर हल्क़े चुम्बन देने लगा. उसने थके हुए मुझको वात्सल्य से जकड़ कर अपने से चिपका लिया. उसको मुझ पर माँ का बेटे के ऊपर जैसा प्यार आ रहा था.
मैंऔर वो उसी अवस्था में एक दूसरे की बाँहों में लिपटे कामंगना की अस्थायी संतुष्टी की थकन से निंद्रा देवी की गोद में सो गए.
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