RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
उसके पेट में अजीब सा दर्द होने लगा, वैसा दर्द उसकी दोनों चूचियों में भी समा गया. कुछ ही क्षणों में वह दर्द उसकी बुर के बहुत अंदर से उसे तड़पाने लगा. उसके सारे शरीर की मांसपेशियां संकुचित हो गयीं.
"मैं .. आ.. आ.. मेरी बुर जल रही है. मैं आह आह अँ ..अँ अँ अँ ऊओह ऊह ," उसके मूंह से चीख सी निकल पडी.
मैने यदि उसकी पुकार सुनी भी हो तो उसकी उपेक्षा कर दी और उसकी चूचियों की घुंडियों को अपने मुंह और हाथ से तड़पाने लगा. उसकी बुर और भगशिश्निका को मैं और भी तेज़ी से मसलने लगा.
"मैं वो झड़ने वाली हूँ. मेरी बुर झाड़ दीजिये मास्टर जी ..ई. ई...आह." उसका शरीर निकट आ रहे यौन-चमोत्कर्ष के प्रभाव से असंतुलित हो गया.
वो यदि मेरे ताकतवर बदन से नहीं दबी होती तो बिस्तर से कुछ फुट ऊपर उठ जाती. उसके गले से एक लम्बी घुटी-घुटी सी चीख के साथ उसका यौन-स्खलन हो गया. उसके कामोन्माद के तीव्र प्रहार से उसका तना हुआ बदन ढीला ढाला हो कर बिस्तर पर लस्त रूप से पसर गया. मैने . तीनो, कामुकता को पैदा करने वाले, अंगों को थोड़ी देर और उत्तेजित कर उसके निढाल बदन को अपनी वासनामयी यंत्रणा से मुक्त कर दिया.
मैं उसे अपनी बाँहों में भर कर प्यार से चूमने लगा. वो थके हुए अंदाज़ में मुस्करा दी. उसके अल्पव्यस्क किशोर शरीर को प्रचण्ड यौन-स्खलन के बाद की थकावन से अरक्षित देख मेरा वात्सल्य मेरे चुम्बनों में व्यक्त हो रहा था.
"मैं, म्मै ऐसे कभी भी नहीं झड़ी," उसने भी प्यार से मुझ को वापस चूमा.
" बेटा, अभी तो यह शुरूवात है," मैने उसकी नाक को प्यार से चूमा. मेरा एक हाथ उसके उरोज़ों को हलके-हलके सहला रहा था.
मैं और वो अगले कई क्षण वात्सल्यपूर्ण भावना से एक दुसरे को चूमते रहे. मैं कुछ देर बाद उठ कर उसकी टागों के बीच में लेट गया.
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