RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
“हाय रामजी, मर गयी रे … धीरे … आराम से क्यों नहीं घुसाते … मम्मीं … ओ माँ ऽऽ.. मर गयी … बचा लो आज तो!” सेठानी तड़प कर बोली और मुझे परे धकेलने लगी. पर मैंने उनकी दोनों कलाइयां कस के पकड़ीं और अपने लंड को जरा सा पीछे खींच के फिर से पूरे दम से सेठानी की चूत में घुसा दिया.
“मार डाला आज तो मुझे ऐसे ही सूखा पेल के … न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी. सारी जान एक बार में ही निकाल लो आप तो!” वो रुआंसे स्वर में बोली.
'' सेठानी जी, मेरा बांस तुम्हारी बांसुरी में हमेशा बजेगा जब तक दम में दम है; आप ऐसे क्यों बोलती है?” मैंने उसे चूमते हुए पुचकारा.
“रहने दो मास्टर, धीरे से नहीं घुसा सकते थे क्या? बस आपको तो जरूरी है एकदम से आक्रमण कर देना. चाहे कोई मरे या जिये आपकी बला से!”
“ऐसे नहीं न कहते मेरी जान … अच्छा चलो मेरी सॉरी; आगे से बड़े प्यार से एंटर करूंगा. बस?” मैंने सेठानी को सांत्वना दी.
“हम्म्म्म … ठीक है मास्टर जी आगे से याद रखना अपनी ये वाली प्रॉमिस?”
“ओके सेठानी जी … पक्का याद रखूंगा” मैंने कहा.
इन हसीनाओं की ये भोली अदाएं ही तो चुदाई का आनन्द दोगुना कर देतीं हैं; इनका ये रोना धोना, नखरे कर कर के चुदना, एक प्रकार का कॉम्प्लीमेंट, उत्साहवर्धक ही है हम चोदने वालों के लिये. सभी हसीनाओं की ये सांझी आदत होती है कि लंड को उनकी चूत के छेद से छुला भर दो और ये ‘धीरे से करना जी, ऊई माँ … हाय राम हाय राम … मार डाला … फट गयी …’ जपना शुरू कर देंगी… नहीं तो इनकी चूतों की कैपेसिटी कितनी और कैसी होती है वो तो हम सब जानते ही हैं. आप सबने ऐसी स्थिति को अनुभव तो किया ही होगा.क्यों दोस्तो मैंने सच कहा न?
चलिए अब स्टोरी आगे बढ़ाते हैं; आप सब भी अपने अपने हाथों से मेरे साथ साथ मजे लेना शुरू करो.
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