RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मैं- "माँ अब बता पहले किससे चुदवाएगी? अपने बड़े बेटे से या छोटे बेटे से?”
तभी अजय बोल पड़ा- “नहीं भैया, माँ पर पहला हक आपका है। माँ से व्याह आपने किया है, सुहागरात आपकी है, मैं पहले कहाँ से आ गया? चलिए अब अपनी चुदासी माँ की चूत की प्यास बुझाइये...”
मैंने माँ की चूत में अंगुली डालते हुए कहा- “क्यों माँ तैयार हो ना अपनी इस मस्त चीज का स्वाद चखाने के लिए?”
राधा- “मेरे लिए तो तुम दोनों एक जैसे हो कोई भी पहले आ जाओ, मुझे क्या फर्क पड़ता है? तुम लोग चाहो तो दोनों एक साथ आ जाओ, दोनों को भी झेल लँगी। विजय बेटे, मेरी चूत का तुम लोगों को स्वाद चखाने के लिए ही तो नंगी हुई हूँ। मुझे जी भर के चोदो, मेरे से जी भरके मस्ती करो। दो-दो पूरे नंगे बेटों के बीच नंगी होने में मुझे बहुत मजा आ रहा है। दो-दो खड़े लण्ड एक साथ देखकर मैं वासना से जल रही हूँ, मुझे खुलकर भोगो मेरे प्यारों, मैं बिल्कुल तैयार हूँ..”
माँ की बात सुनकर मैं माँ को बिस्तर पर खींच लाया और उसे चित्त लेटा दिया। उसकी गाण्ड के नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया और उसके घुटने मोड़कर चूत को उभार दिया।
मैं- “मुन्ना माँ की झाँट भरी मस्त चूत देख... कैसी खुलकर मुझे दावत दे रही है? देख भीतर से कैसी चिकनी है? इसमें तो तेरी गाण्ड जैसे वैसेलीन लगाने की भी दरकार नहीं है...” मैं माँ की चूत पर झुक गया और उसे
चाटने लगा।
मुन्ना ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसे अपने थूक से तर करते हुए चूसने लगा। कुछ देर चूत चाटने के बाद मैंने माँ की टाँगों के बीच अपना आसन जमा लिया। मेरा लण्ड माँ की चूत के ठीक सामने था। अजय मेरे सामने माँ की ठीक बगल में बैठा हुआ था। उसने मेरा लण्ड पकड़ा और माँ की चूत के छेद से भिड़ा दिया। फिर उसने दोनों हाथों से चूत फैला दी ताकी मेरा विशाल लण्ड उसमें आराम से जा सके। मैंने धीरे से धक्का दिया तो माँ की लसलासी चूत में लण्ड का सुपाड़ा घुस गया। फिर धीरे-धीरे लण्ड अंदर ठेलने लगा और कुछ देर में मेरा आधा लण्ड माँ की चूत में समा गया। अब मैं आधे लण्ड से ही माँ को चोदने लगा।
अजय- “भैया अभी तो आपका आधा ही भीतर गया है। क्या आपका पूरा इसमें नहीं जाएगा? जोर लगाकर ठेलिए। आज इसकी चूत फाड़कर भाड़ सा भोसड़ा बना दीजिए...”
अजय की बात सुन मैंने तीन-चार करारे शाट माँ की चूत में मारे और मेरा लण्ड जड़ तक चूत में समा गया। अब मैं माँ पर झुक गया और उसके होंठ चूसने लगा। उधर तीन चौथाई लण्ड बाहर निकालता और एक धक्के में वापस पूरा पेल देता। अभी धक्कों की स्पीड बहुत धीमी थी।
राधा- “अजय यह माँ की चूत है। ऐसे तो दो लण्ड एक साथ भीतर ले लँ। ठीक से देख भैया का मूसल मेरी चूत में कितने आराम से जा रहा है? देख औरत की चूत को मर्द कैसे चोदते हैं? ठीक से देख ले और सीख ले,
आखिरकार तुझे भी तो चोदनी है। तेरे भैया को मेरी जैसी बड़ी सी चूत चाहिए तो मुझे भी भैया के जैसा हलब्बी लौड़ा चाहिए। छोटी मोटी नूनी तो किसी कोने में ही अटक के रह जाएगी। ऐसे मस्ताने लण्ड की ही तो मैं पूरी शौकीन हैं। इसीलिए जब तूने मेरी भैया से शादी की बात छेड़ी तो मैं फौरन तैयार हो गई। मैं बहुत खुश हूँ की तूने मुझे ऐसे लण्ड की दुल्हन बना दिया है। तेरा यह अहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी। आ तेरा लण्ड चूस देती हूँ। ला इसे मेरे मुँह में दे दे...”
माँ की बात सुनकर मैं पूरा गरम हो गया था और अब चूत में लण्ड दनादन पेल रहा था। मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई थी और चूत फचा-फच चुद रही थी। इधर अजय ने माँ की छाती के दोनों ओर अपने घुटने जमा दिए और माँ के मुँह के सामने उसका लण्ड लहराने लगा। माँ अजय के लण्ड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराने लगी।
राधा- “वाह... मेरे छोटे बेटे का लण्ड तो उसके जैसा ही मक्खन सा चिकना और प्यारा है। यह सुपाड़ा तो रसगुल्ले जैसा है। इसे तो अब रोज आइसक्रीम की कैंडी की तरह चूसूंगी। बड़ा बेटा तो मुझे बाजार की कैंडी खिला के लेता है पर अब से मैं तो यह घर की ही कैंडी चूसूंगी...” यह कहकर माँ मुन्ने का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी। उसने आधा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और बाहर-भीतर करते हुए थूक से तर करने लगी। माँ अजय की गोटियों को हाथों से धीरे-धीरे दबा रही थी।
मैंने माँ की दोनों चूचियां हाथों में ले ली और माँ को कस के चोदने लगा, और कहा- “मुन्ना इस लण्ड खोरनी माँ के मुँह में अपना पूरा लौड़ा पेल दे। पूरा भीतर तेल दे जिससे की इसे ठीक से साँस भी नहीं आए। इसे भी। थोड़ा पता तो चले की दो-दो लण्डों की क्या ताकत होती है? देख मैं इसे कैसे कस-कस के चोद रहा हूँ और यह गाण्ड उछाल-उछालकर चुदवा रही है। अपनी माँ पक्की चुदक्कड़ है। इसकी चूत में बहुत खाज है, पर मैं इसकी चुदाई की आज सारी खाज मिटा दूंगा..."
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