RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
विजय- “देखा माँ, मैंने कहा था ना की अब मुन्ना पहले वाला मुन्ना नहीं रहा, पूरा चालू हो गया है। अब यह पहले जैसा शर्मीला और चुपचाप रहने वाला नहीं की तू इसे झिड़क कर चुप करा दे। तू अगर सेर है तो यह पूरा सवा सेर है। ऐसे भाई पर मुझे तो बहुत नाज है, बड़े नशीबवाले को ही ऐसा प्यारा और बड़े भाई का मन रखनेवाला भाई मिलता है...” यह कहकर मैंने मुन्ना को अपने आगोश में जकड़ लिया।
मुन्ना मेरे सीने से सिर टिकाए माँ की ओर देखकर मंद-मंद मुश्कुरा रहा था और माँ भी हम दोनों भाइयों का ऐसा प्यार देखकर गदगद होती हुई हँस रही थी।
विजय- “माँ ऐसा प्यारा भाई पाकर मैं तो धन्य हो गया जो भैया की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है। तूने देखा मेरी खुशी के लिए इसने तुझे भी मेरे लिए पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेरा तो इससे कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो कुछ भी मेरा है वो सब इसका है। अब यदि तुम भी मुझे मिली हो तो मेरे साथ-साथ तुम मुन्ना की भी हो, क्योंकी मुन्ना की वजह से ही तुम मुझे मिली हो। मुन्ना ने वैसे तो मेरा व्याह तुझसे करा दिया है, पर असल में तुम हमारी साझे की लुगाई हो। हम दोनों तेरे मर्द हैं। तू बड़ी नशीबवाली है की इस उमर में तुझे हमारे जैसे दो-दो जवान पति एक साथ मिले हैं..."
राधा- “मैं तो खुद अपने दोनों बेटों का आपस में ऐसा प्यार देखकर बलि-बलि हो रही हूँ, नहीं तो आज के जमाने में भाई भाई का दुश्मन होता है। मैं तो यही चाहती हूँ की तुम दोनों की जोड़ी ऐसी ही बनी रहे। तू तो यहाँ शहर में रहता था, मैं तो इस अजय को देख-देखकर ही गाँव में खुश होती रहती थी और इसी के सहारे ही जिंदगी गुजार रही थी। तू ऐसा भाई पाकर निहाल हो गया है तो मैं भी ऐसा मक्खन सा चिकना देवर पाकर खुशी से। भर गई हूँ। मैं तो अब ऐसे प्यारे गुड्डे से देवर के साथ जी भरके खेलूंगी...” यह कहकर माँ ने अजय को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
माँ ने अजय की ठुड्डी पकड़कर चेहरा ऊपर उठा लिया और उसके गोरे गालों की पुच्चियां लेने लगी। कभी एक गाल चूसती तो कभी दूसरा गाल। फिर माँ अजय के दाढ़ी रहित गालों पर अपने गाल रगड़ने लगी। इसके बाद माँ ने अचानक उसके होंठ अपने होंठ में जकड़ लिए और अपने छोटे बेटे के होंठ चूसने लगी। माँ बीच-बीच में अजय के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी। माँ की आँखों में वासना के लाल डोरे तैर रहे थे।
तभी अजय ने माँ को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और माँ के होंठ अपने होंठों में जकड़ लिए। उसने माँ की जीभ अपने मुँह में ले ली और माँ को अपनी मजबूत बाँहों में झकझोरते हुए जीभ चूसने लगा। वो बार-बार माँ के होंठ मुँह में भर रहा था, माँ के फूले-फूले गाल मुँह में भर रहा था।
मैं- “माँ देखा मेरा माल कितना मस्त और मीठा है की तू भी अपने आपको रोक नहीं पाई। इसके मक्खन से । चिकने गाल खाने का और इसके पतले-पतले गुलाबी होंठ चूसने का मजा ही अलग है। मैं ऐसे ही इस पर थोड़ा ही मरता हूँ...”
उधर अजय ने माँ की चूचियां ब्लाउज़ के ऊपर से ही अपने हाथ में भर ली और उन्हें कस-कस के दबाने लगा। वो माँ की चूचियों को मसल-मसलकर उनसे खेल रहा था। माँ के चेहरे पर झुका हुआ माँ के होंठों का रसपान । अत्यंत कामातुर होकर कर रहा था। मैंने इससे पहले अजय को इतने जोश में कभी नहीं देखा। जिंदगी में पहली बार नारी शरीर को पाकर वो मतवाला हो उठा था, उसके सबर का बाँध टूट गया था। मैं बहुत खुश था की मुन्ना की केवल तगड़े मर्यों में ही दिलचस्पी नहीं है, बल्कि माँ जैसी मस्त औरतों में मर्दो से भी ज्यादा उसकी दिलचस्पी है।
राधा- “क्यों रे अजय, व्याह तो तूने मेरा अपने भैया से कराया है और सुहागरात तू खुद मनाने लग गया?" माँ
भी अजय के इस जोश से बहुत खुश दिख रही थी।
माँ की बात सुनकर अजय ने माँ को छोड़ दिया।
मैं- “अरे माँ, इसमें और मेरे में क्या फर्क है? आज पहली बार मैं मुन्ना को इतने जोश में देख रहा हूँ। देखा कैसे तुझे भभोड़-भभोड़ कर तेरे साथ मस्ती कर रहा था। तू जो इतनी देर से इसका मजाक उड़ा रही थी ना एक बार यह तेरी ले लेगा ना तब देखना तुझे लौंडिया जैसा मजा आएगा। बोल दोनों भाइयों को बिल्कुल खुलकर और पूरी बेशर्म होकर मस्ती करवाएगी ना? तुम हम दोनों भाइयों से जितनी मस्त होकर चुदवायेगी तुझे उतना ही ज्यादा मजा आएगा..."
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