RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
यह कहकर अजय मेरी तरफ देखते हुए बोला- “भैया अब आपकी जोड़ी की सही लुगाई मिली है। आप खुद जितनी अश्लील खुली-खुली बातें करते हुए मस्ती लेते हैं, आपकी लुगाई उससे भी ज्यादा खुली-खुली गंदी बातें। करने की शौकीन है। आप माँ पर ऐसे ही लट्टू नहीं हुए। माँ बिल्कुल आपकी तबीयत की औरत है, आपको माँ के साथ बहुत मजा आएगा...”
मैं- “मैं माँ को अच्छी तरह से जानता हूँ। अपनी माँ बहुत रंगीन तबीयत की पूरी आशिक मिजाज की औरत है। मेरी ही तरह एक बार खुल जाती है तो झुठे नखरे बिल्कुल नहीं करती, मन में कुछ और और जुबान से कुछ। और नहीं बोलती, जो बात सच है उसे बिना लाग लपेट के खुलकर कहने की हिम्मत रखती है। फिर इस काम का मजा तो खूब खुलकर बात करते हुए बोल-बोलकर करने में ही है और यह बात भला माँ से ज्यादा कौन जानता है। तभी तो माँ पर मेरी तबीयत आई है। जब घर में ही ऐसी मस्त लुगाई मौजूद है तो मैं दुनिया भर में ऐसी दूसरी औरत कहाँ ढूँढ़ता फिरता? माँ जैसी मस्त खेली खाई औरत अपनी बनकर सैंया को जब बिल्कुल खुलकर बोल-बोलकर मस्ती कराती है तो उस मजे का क्या कहना?”
अजय- “माँ देखा, भैया तुम्हें कितना समझते हैं और प्यार करते हैं। भैया ने बहुत उम्मीद से तुझसे दिल लगाया है, उन्हें निराश मत करना। मैंने उसमें डुबकी नहीं लगाई तो क्या, पर मुझे पता है की भैया तेरी दोनों टाँगों के बीच वाली चीज ही मेरे सामने लेंगे और तुम जितनी खुलकर बात कर रही हो उतनी ही मस्त होकर अपनी चीज देना। भैया के लेने का मतलब ठीक से समझ रही हो ना, फिर नखरे मत करने लग जाना की तुझे लेने का मतलब नहीं समझ में आया..."
माँ- “मैंने बताया ना की हम औरतों की दोनों टाँगों के बीच गहरा छेद होता है वैसे ही तुम मर्दो की दोनों टाँगों के बीच एक लंबा सा मोटा इंडे जैसा अंग लटकता रहता है, अब यह मुझे नहीं पता की तुम्हारी टाँगों के बीच भी ऐसी कोई चीज लटक रही है या नहीं, क्योंकी तेरे लक्षण तो ऐसे नहीं है? जब मर्द औरत की लेता है तो अपना इंडा औरत के उस लाल छेद के अंदर डालता है, जैसे की भैया ने जब तुम्हारी मारी थी तो अपना वही इंडा तेरे पिछवाड़े के अंदर डाला था। मैंने बताया ना की हमारी वाली चीज तो नेचुरल रूप से ही चिकनी रहती है और पूरी गहरी होती है तो, किसी भी मर्द का चाहे जितना लंबा हो और मोटा हो वो देर सबेर उसमें पूरा चला ही जाता है। फिर मर्द जैसे लोकोमोटिव के एंजिन में पिस्टन आगे-पीछे होता है वैसे ही अपना इंडा हमारे छेद में आगेपीछे करते हैं। ऐसा करने में मर्दो को बहुत मजा आता है और वे पूरे जोश में भर जाते हैं। रेल की स्पीड की तरह उनका जोश बढ़ने लगता है और साथ-साथ उनके पिस्टन की भी हमारे छेद में स्पीड बढ़ जाती है। फिर जैसे स्टेशन आने से ट्रेन फुस्स्स करके रुक जाती है वैसे ही उनकी मंजिल आने से उनका जोश भी ठंडा पड़ जाता है और उनका फूला हुआ कड़ा डंडा मुरझाकर मरे हुए चूहे जैसा लटक जाता है। अब तुम्हारी समझ में बात आई की मर्द इसी तरह हम औरतों की लेते हैं। क्या भैया ने तेरा पिछवाड़ा भी इसी तरह लिया था?”
अजय- “माँ तुम तो अभी से सौतिया डाह से जलने लगी, जो बार-बार मेरा पिछवाड़ा मेरा पिछवाड़ा कर रही हो? तो क्या अपनी तंदूर सी फूली हुई गाण्ड भैया से बचा लोगी? ठीक है भैया तेरी आगे वाली तो लेंगे पर क्या तेरे पिछवाड़े का तबला बजाने से छोड़ देंगे, क्या तेरे पिछवाड़े में अपना हलब्बी 11” का मूसल ठोंके बिना रहेंगे। तू एक नम्बर की चुदक्कड़ है तो, आगे तो आराम से ले लेगी पर भैया जब तेरे पर सांड़ जैसे चढ़ेंगे और तेरे । पिछवाड़े में पेलेंगे तब देखना तेरी यही जुबान बाहर आ जाएगी, जिससे इस समय बड़ी-बड़ी बातें कर रही हो...”
राधा- “हम औरतों की चूत में इतनी ताकत होती है की किसी भी मर्द को पूरा झाड़ कर रख दे। जब तेरे भैया मेरी 15 साल से अनचुदी चूत का स्वाद लेंगे तो उन्हें मेरी गाण्ड की याद भी नहीं आएगी। पर अब तू अपनी सोच की तेरी लण्डखोर गाण्ड की खाज कौन मिटाएगा? क्योंकी तेरे भैया के लण्ड को तो मेरी चूत से ही फुर्सत नहीं मिलेगी। फिर तुझे कैसे पता की तेरे भैया मेरी गाण्ड भी मारेंगे?”
अजय- “माँ भैया की कोई भी बात और इच्छा मेरे से छिपी हुई नहीं है। भैया जो तुम पर इतना मरते हैं ना । उसका एक बड़ा कारण तेरी फूली-फूली मस्त गाण्ड है। भैया मेरे को हरदम कहते रहते थे की मुन्ना देख माँ की
गाण्ड कैसी मस्त और फूली-फूली है। मुन्ना, माँ जब झुक कर अपनी गाण्ड पीछे उभारती है तो उसे देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है और मेरा दिल करता है की माँ की ससड़ी उसकी कमर से ऊपर चढ़ा दें और उसके गोल गाण्ड के छेद में एक ही बार में पूरा लण्ड पेल दें। और सुनो, भैया कहते रहते थे की माँ जैसी मस्तानी गाण्ड
वाली औरत को तो पूरी नंगी करके अपनी गोद में बैठा लेना चाहिए और उसकी गाण्ड की गर्मी से खड़े लण्ड को सेंक देना चाहिए। भैया कहते हैं की माँ को जितना मजा चोदने में आएगा उससे ज्यादा मजा तो उसकी गाण्ड मारने में आएगा। माँ तेरी गाण्ड पर तो भैया लार टपकाते हैं और भैया का लण्ड भी लार छोड़ता है। जब तू घर में अपनी गाण्ड मटकाती हुई इधर से उधर फुदकती रहती हो ना तो भैया तुझे देख-देखकर आहें भरते हैं और कहते रहते हैं की ‘हाय मेरी राधा रानी एक बार तो ससड़ी ऊपर उठाकर अपनी गाण्ड दिखा दे। 'मेरी राधा जानू तूने तो मुझे अपनी गाण्ड का दीवाना बना दिया है। भैया मेरे से कहते रहते थे की मुन्ना मुझे एक बार माँ की गाण्ड दिलवा दे, तभी तो मैंने तुझे भैया की दुल्हन बनाने के लिए इतना जोर लगाया। तो माँ यह खयाल तुम मन से निकाल दो की तुम भैया से अपनी गाण्ड बचा लोगी। तेरी गाण्ड में तो भैया का मूसल ठुकना ही ठुकना
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