RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मैं- “नहीं माँ तेरी मेरी पर्सनल चुदाई के बारे में मैंने मुन्ना को कुछ भी नहीं बताया है और ना ही आगे बताऊँगा। तू भी उसे मत बताना। उसके सामने हम दोनों इस तरह पेश आएंगे की जैसे सब कुछ पहली बार हो। रहा है। इसमें वापस नये के जैसा मजा आएगा। दूसरी बात मुन्ना और मेरे बीच अब कोई पर्दा नहीं रहा है।
मुन्ना को मैं बहुत प्यार करता हूँ और मुन्ना भी मेरी उतनी ही इज़्ज़त करता है। यह समझ लो की हम दोनों । भाई दो जिश्म एक जान हैं। जो कुछ भी मेरा है वो सब मुन्ना का है। इसलिए मुन्ना के बारे में बिल्कुल भी मत सोचो और हम दोनों भाइयों को अपनी मस्त जवानी का खुलकर मजा दो। एक बात तुझे और बताता हूँ की । मुन्ना को यह गान्डूपने का शौक गाँव से लगा हुआ है। वैसे तो मुन्ना मेरी ही तरह एक पूरा मर्द है, मस्ताना लण्ड है, जोश है, जवानी है पर अभी तक उसने औरत की चूत का स्वाद नहीं चखा है और गाँव में ना कभी इसे चखने की उसके मन में आई। उसे चूत का मजा देना जरूरी है, नहीं तो कई गान्डुओं को खाली गाण्ड मरवाने में ही मजा आता है और औरत की चूत देखते ही उनका लण्ड मुरझा जाता है। आगे शादी व्याह करके उसका घर भी तो बसाना है..”
तभी घर की घंटी बज उठी। माँ ने उठकर दरवाजा खोला तो अजय था।
माँ- “विजय बेटा तो आज जल्दी ही घर आ गया था, तेरा कब से खाने के लिए इंतजार हो रहा है। चल तू भी। तैयार हो जा, मैं दोनों भाइयों का खाना लगाती हूँ.." यह कहकर माँ किचेन में चली गई और अजय मेरे रूम में।
थोड़ी देर में हम तीनों खाने की टेबल पर थे। तीनों ने रोज की तरह हँसी मजाक और बातों में खाना खाया। खाना खतम होने पर माँ अपने कमरे में चली गई और हम दोनों भाई टीवी के सामने बैठे रहे। थोड़ी देर बाद माँ ने कहा की वो नहाने जा रही है। हम दोनों भाई भी अपने कमरे में आ गये। मैं भी शावर लेने बाथरूम में चला गया। मैं काफी देर बाद बाथरूम से निकला तो अजय बिस्तर पर लेट हुआ था। मैं भी बिस्तर पर आकर बैठ गया। हम दोनों भाई इधर-उधर की बातों में खो गये।
करीब 45 मिनिट यूँ ही बीत जाने के बाद 10:30 बजे के करीब माँ हमारे कमरे में आई। माँ की आज की सजधज देखने लायक थी। वही शादी का जोड़ा, सिर पर चुनर, माथे पर बिंदिया, गले में सोने का हार, हाथों में । कंगन और साथ ही दुल्हन वाली नजाकत और शर्म। अजय एकटक माँ को देखे जा रहा था। माँ धीरे-धीरे चलती हुई आकर हमारे साथ बिस्तर पर बैठ गई।
राधा- “लो पंडितजी महाराज दुल्हन भी तैयार होकर शादी का जोड़ा पहनकर आ गई। चलिए ‘चट मॅगनी पट व्याह' वाला काम शुरू कीजिए..” माँ ने अजय की तरफ देखते हुए हँसते हुए कहा।
अजय- “माँ, तू तो सचमुच में मेरी भाभी बनने के लिए दुल्हन बनकर तैयार होकर आ गई। हाँ, भैया जैसा दूल्हा बड़े नशीब वालियों को मिलता है। कहीं लड़के वालों का इरादा ना बदल जाय तो तुझे तो जल्दी दिखानी ही थी।
क्यों भैया, आपसे ज्यादा तो आपकी दुल्हन को जल्दी है, तैयार हैं ना?” अजय ने मेरी ओर देखते हुए कहा।
मैं- “ऐसी मस्त और सुंदर दुल्हन को देखकर कोई फूटे नशीब वाला ही ना कर सकता है। मैंने तो कल ही कह दिया था की तुम्हारी पसंद मेरी पसंद है। आगे अब तुम जानो और तुम्हारा काम...”
मेरी बात सुनकर अजय ने कुछ देर पंडितों जैसा मंत्र पढ़ने का नाटक किया और घोषणा कर दी की हम दोनों पति पत्नी बन गये।
अजय- “भाभी आप कितनी प्यारी लग रही हो। आप जैसी सुंदर पत्नी पाकर मेरे भैया की तो तकदीर खुल गई है। भाभी आप सज-धज के भैया के साथ सुहागरात मनाने तो आ गई हैं, पर मैं यहाँ से हिलने वाला नहीं। भाभी मैं तो रात भर यहीं बैठा-बैठा आपको देखता रहूँगा...” अजय माँ को बार-बार भाभी कहकर संबोधित कर रहा था
और छेड़ रहा था।
राधा- “तू यहाँ से क्यों हिलेगा? तू तो पहले ही मेरी सौत बनकर बैठा हुआ है। मैं तेरी सारी लीला गाँव से ही जानती हूँ। वहाँ हरदम लौंडेबाजों की संगत में रहता था। यहाँ भी जब ऐसे गबरू जवान भैया के साथ सोता है तो सुहागरात तो तूने बहुत पहले से ही मना ली होगी। चुद गया होगा अपने भैया से। आजकल भैया का तो तू । खासमखाश बना हुआ है। भैया की हर बात में हाँ में हाँ मिलाते रहता है। साथ में तेरा सैंया भैया भी तुझे ज्यादा ही हवा दे रहा है। मैं सब समझ रही हूँ। गाँव में तो तेरे मुँह से बोली तक नहीं निकलती थी। यहाँ तो तू ऐसे खिल गया है, जैसे लड़की शादी के कुछ दिनों बाद खिल जाती है। तुम मुझे कितना ही भाभी भाभी बोलो और देवर बनने की कोशिश करो, पर तू मेरी सौत है मेरी सौत। समझ रहे हो ना सौत का मतलब?” माँ ने सौत शब्द पर बार-बार जोर देकर कहा।
अजय जो इतनी देर से शेर बना हुआ था और माँ पर हाबी था, माँ की बात सुनकर उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और वो बुरी तरह से झेंप गया। उसने शर्म से गर्दन झुका ली।
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