RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मेरी बात सुनकर अजय के शरीर में एक बार ऐंठन हुई और दूसरे ही पल उसके लण्ड से गरम मूत मेरे मुँह में बहने लगा। मैंने उसका लण्ड जड़ तक अपने हलक में ले लिया और भाई का मूत्रपान मस्त होकर करने लगा। कुछ ही देर में उसके लण्ड से मूत्र की धार निकलनी बंद हो गई, पर मैंने लण्ड को मुँह से बाहर नहीं निकाला। अगले ही पल भलभला कर उसका लण्ड मेरे मुँह में झड़ने लगा। भाई का गाढ़ा वीर्य मेरे मुँह को भर रहा था। कुछ वीर्य तो मैं गटक रहा था और कुछ उसके खड़े लण्ड में लपेटकर लण्ड को तेजी से मेरे मुँह में बाहर-भीतर कर रहा था।
फिर हम दोनों भाई शावर के नीचे खड़े हो गये और मैंने शावर वापस चालू कर दिया। हम दोनों नंगे भाई ठंडे पानी से काफी देर तक नहाते रहे। तभी मैंने शावर बंद कर दिया। हम दोनों के नंगे जिश्म से पानी टपक रहा था। फिर एक बड़े तौलिया से हम दोनों ने एक साथ अपने भीगे जिश्म पोंछे। बड़े तौलिया को दोनों के शरीर पर एक साथ लपेटकर आपस में टकराते हुए हमने अपने शरीर अच्छी तरह पोंछ लिए। फिर मैं कमरे में आ गया और अपनी नाइट ड्रेस पहन ली और बिस्तर पर लेट गया। अजय भी नाइट ड्रेस चेंज करके चुपचाप रोज की तरह मेरे साथ एक ही बिस्तर पर सो गया। आज मैं अपने भाई को तृप्त करके खुद एक अवर्णनीय तृप्ति महसूस कर रहा था और उसी की कल्पना में मुझे नींद आ गई।
आज मैं घर कुछ जल्दी आ गया। माँ किचेन में खाना बनाने का काम कर रही थी। मैं अपने रूम में आ गया और फ्रेश हो
पुंज करके वापस टीवी के सामने बैठ गया। थोड़ी देर में माँ भी किचेन का काम खतम करके मेरे पास आकर बैठ गई।
मैं- “क्यों माँ, मुन्ना के आ जाने से अब तुझे नींद नहीं आ रही होगी। कैसे काम चलाती हो? रात भर बिस्तर पर पड़ी इधर से उधर करवट बदलती रहती होगी और अपनी चूत में अंगुली पेलती रहती होगी। तेरे से ज्यादा तो तेरी चूत की चिंता अब मुझे है। ऐसा करना की आज तुम वापस सज-धज कर पूरे दुल्हन वाले रूप में आना। देखना मुन्ना तुम्हें जब इस रूप में देखेगा तो हक्का बक्का हो जाएगा। वैसे भी दुल्हन के रूप में तो तू कयामत ढाती हो। याद है ना तेरी पहली बार तो मैंने दुल्हन वाले रूप में ही ली थी। कैसे मैंने तेरे एक-एक करके कपड़े उतारे थे और तुझे पूरी नंगी करके तेरी क्या जबरदस्त चुदाई की थी...
”
माँ- “चल बेशर्म कहीं का। जब तक अजय यहाँ है, ऐसी बातें बिल्कुल नहीं। अजय को थोड़ी भी भनक नहीं लगनी चाहिए..."
मैं- “तुझे बताया तो था की अजय की तुम बिल्कुल चिंता मत करो। अजय तो अपने भैया का तेरे से भी ज्यादा दीवाना है। वो तो मेरी खुशी के लिए हरदम तैयार रहता है। तुझे मालूम है? मेरा पक्का लौंडा है वो...” यह बात मैंने माँ की आँखों में झाँक कर कही।
राधा- “तो क्या तूने यह भी शुरू कर रखा है? तभी अजय आजकल गहरी-गहरी बातें करता है। कल मुझे अपने भैया की दुल्हन बनाने के लिए कितना जोर लगा रहा था? मैं तो इसे उसकी नादानी समझ रही थी, अब पता चला की वो नाटक तुम दोनों की मिलीभगत का नतीजा था। क्या सचमुच में तुम अजय के साथ लौंडेबाजी करते हो? कहाँ तो मेरा भोला सा सीधा साधा छोटा बेटा और कहाँ तुम एक नंबर का चालू। तो तूने अपने चिकने भाई को भी नहीं छोड़ा? यह तो मुझे शक था की गाँव में उसकी संगत कुछ लौंडेबाज किस्म के मर्दो से थी, पर तेरे साथ वो इस हद तक खुल जाएगा, विश्वाश नहीं होता। तेरी तो वो भगवान जैसी इज़्ज़त करता है। जरूर तूने उसके साथ जबरदस्ती की होगी और शर्म के कारण अजय कुछ बोलता नहीं होगा। बेचारा मेरा मासूम बेटा... वो तेरा गधे सा मूसल कैसे झेलता होगा? बहुत ही शर्मीले किस्म का लड़का है ना, तेरे काम निपटाने तक चुपचाप पड़ा रहता होगा बेचारा...”
मैं- “अरे माँ ऐसी बात बिल्कुल नहीं है। जानती हो अजय एक नंबर का गान्डू है। तुझे चुदवाने का शायद जितना शौक नहीं होगा, उससे ज्यादा शौक उसे गाण्ड मरवाने का है। मैं तो एक दिन सोया हुआ था तभी उसने मेरे लण्ड से अपनी गाण्ड भिड़ा दी और मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड दबाने लगा। एक तो मुन्ना एकदम मक्खन सा चिकना है, लड़कियों जैसा कमसिन है, औरतों जैसी मस्त भरी और फूली हुई गाण्ड है और ऊपर से गाण्ड मरवाने का पक्का शौकीन है। अब तू ही बता ऐसा मस्त लौंडा जब खुद अपनी गाण्ड मेरे लण्ड पर दबाए तो मैं क्या ब्रह्मचारी बना रह सकता था? मैंने तो तेरी मस्त जवानी देखकर तुझे नहीं छोड़ा और आखीर में तुझे अपने साथ सुला ही लिया। फिर अजय तो मेरे साथ सोता ही है, उसे कैसे छोड़ देता? लेकिन मुन्ना भी ठीक तुम्हारी तरह मस्ती लेने का पूरा शौकीन है, भैया से खुलकर मजा लेता है और भैया को भी पूरा मजा करवाता है...”
राधा- “अभी तो तू कह रहा था की तुम्हें मेरे से ज्यादा मेरी चूत की चिंता है। मेरी फिकर लगी हुई थी की मैं एक बार तेरा लण्ड लेने के बाद अब रात कैसे काटती होऊँगी। पर तेरे लण्ड को तो छोटे भाई की गुदाज गाण्ड मारने को मिल रही है। तुझे मेरी चूत की कहाँ फिकर है? वो तो अपने भाई की गाण्ड के आगे तुझे याद भी नहीं आती होगी। तो तुम दोनों भाइयों की यह रासलीला कब से चल रही है?”
विजय- “देखो माँ इस मामले में तो मुन्ना ने तुमसे बाजी मार ली। तुम तो इतनी मस्तानी चूत और गाण्ड लेकर अंगुली करती ही रह गई थी। यह तो भला हो की मैंने ही अपनी तरफ से कोशिश की की माँ को भी मुन्ना की तरह बड़े से लण्ड की जरूरत है और जब मेरे पास यह है तो क्यों ना माँ को दे दिया जाय? तेरी खुशी के लिए मुझे अपना लण्ड देने में भी कितने पापड़ बेलने पड़े, तब कहीं जाकर मैं तुझे अपना लण्ड दे पाया। वहीं मुन्ना ने तो खुद मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड का रास्ता दिखा दिया और बेचारे लण्ड का क्या दोष? उसे तो बिल दिखेगा तो वो तो उसमें जाएगा ही...”
राधा- “तो आज वापस मुझे दुल्हन के रूप में अपने कमरे में बुलाकर तुम दोनों भाई एक साथ मेरे साथ सुहागरात मनाओगे? तो क्या तूने अजय को अपने बीच की सारी बातें बता दी?”
|