RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
फिर मैंने ब्रीफ को छोड़कर सारे कपड़े खोल दिए। माँ के बारे में सेक्सी बातें करने से मेरा लण्ड पूरा खड़ा था।
और इस वजह से आगे से ब्रीफ फूल गया था। मुन्ना अभी भी बेड पर बैठा था। मैंने ब्रीफ पर से फूले लण्ड को पकड़कर हिलाते हुए अजय को दिखाया।
मैं- “मुन्ना देख माँ की चूत और गाण्ड के बारे में सोचकर मेरा लण्ड कपड़े फाड़कर बाहर आने के लिए मचल रहा है। अब तो इसे माँ की झाँटों भरी चूत और फूली हुई गाण्ड मिले तभी यह ठंडा होगा। चाल उठ, तू भी अपने कपड़े खोल, जरा देखें तो सही की तेरे लण्ड की क्या हालत है?"
मेरी बात सुनकर अजय ने भी एक-एक करके ब्रीफ को छोड़कर सारे कपड़े उतार दिए। अजय का भी ब्रीफ मेरी तरह आगे से पूरा फूला हुआ था। मैंने अजय का लण्ड ब्रीफ पर से पकड़ लिया और कहा- “देख मुन्ना तेरा लण्ड भी माँ की चूत और गाण्ड के लिए तरस रहा है...”
अजय- “हाँ... भैया, आपकी इतनी गरम-गरम बातें सुनकर पूरी मस्ती आ रही है...”
विजय- "तो फिर चल हम दोनों भाई शावर में नंगे होकर नहाते हैं और आज बाथरूम में मस्ती करेंगे...” यह
कहकर हम दोनों मेरे कमरे के विशाल बाथरूम में आ गये।
बाथरूम में बड़ा सा बाथटब लगा था और प्लास्टिक का पार्टीशन पर्दा भी था। बाथरूम में आकर मैंने अपना ब्रीफ
भी उतार दिया और अजय का भी अपने हाथ से ब्रीफ उतारकर उसे भी पूरा नंगा कर लिया।
मैंने अपने मस्त नंगे भाई को बाँहों में भींचकर जोर से जकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। हमारे लण्ड नीचे पूरे खड़े आपस में टकरा रहे थे और दोनों भाई एक दूसरे के चूतड़ अपनी ओर दबा रहे थे। तभी मैंने फुल फोर्स में शावर खोल दिया और ठंडे पानी की फुहारें बड़े वेग से हमारे नंगे जिश्म पर गिरने लगीं। मैं अपना चेहरा भाई के चेहरे पर रगड़ने लगा और एक दूसरे के अंग रगड़-रगड़कर एक दूसरे को नहलाने लगे। हम काफी देर इसी तरह नहाते रहे।
इसके बाद मैं अजय के सामने बाथरूम के फर्श पर बैठ गया और उसके मस्ताने लण्ड से खिलवाड़ करने लगा। कभी उसकी दोनों गोटियों को टटोलते हुए हल्के-हल्के दबाता, तो कभी उसके लण्ड का सुपाड़ा खोलता और बंद करता। मुझे छोटे भाई के लण्ड से बहुत प्यार था और होता भी क्यों नहीं क्योंकी उतने ही प्यार से वो मुझे अपनी गाण्ड भी तो मारने के लिए देता था। फिर मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगा। मैं लण्ड को अपने थूक से पूरा तरबतर कर लिया और लण्ड को मुख से बाहर-भीतर करते हुए काफी देर तक चूसता रहा। अजय का शरीर अकड़ने लगा। वो भी अपनी गाण्ड ठेल-ठेलकर कर मेरे मुँह में अपने लण्ड को पेलने लगा।
इसके बाद मैं वहीं बाथरूम के मार्बल के फर्श पर लेट गया और अजय को घुटनों के बल पर ठीक अपने मुँह पर ले लिया। इस पोज में अजय का लण्ड ठीक मेरे मुँह के सामने था। मैंने भाई के लण्ड के लिए वापस मुँह खोल दिया। मैं कुछ देर फिर उसके लण्ड को चूसता रहा।
तभी मैंने कहा- “अजय आज अपने लण्डखोर भाई का मुँह उसी तरह चोद जैसे की मैं तेरी गाण्ड को अपने लण्ड से चोदता हूँ। अबे साले देखता क्या है? हुमच-हुमच कर अपने भाई के मुँह में अपना लौड़ा पेल। देख मैंने तेरे । लण्ड के लिए अपना मुँह खोल रखा है। आज अपना सारा माल मेरे मुँह में ही झड़ना। तू मेरे से जितने प्यार से अपनी गाण्ड मरवाता है तेरे बड़े भैया उतने ही प्यार से अपना मुँह तेरे लण्ड से चुदवाते हैं। मेरे मुँह में लण्ड का रस छोड़। रस नहीं निकलता है तो मादारचोद भोसड़ी के मेरे मुँह में मूत। मेरे मुँह में मू की धार छोड़, नहीं तो मैं तेरे लण्ड को काट खाऊँगा...”
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