RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
अजय- “हाँ माँ... भैया को मिसेज कपूर जैसी और तुम्हारे जैसी बड़ी उमर की औरतें ही पसंद हैं, तभी तो अब तक मेरे लिए कोई प्यारी सी भाभी नहीं लाए। क्यों भैया माँ को गर्लफ्रेंड बनाते-बनाते कहीं मेरी भाभी बनाने का तो इरादा नहीं है?” अजय ने माँ से नजर बचाकर मेरी ओर आँख दबाते हुए कहा।
राधा- “क्या कहा? मैं तेरी भाभी बनँगी यानी की इसकी लुगा... लुगाई? मैं तुझे भाभी जैसी दिखती हूँ? विजय तो कह रहा था की शहर में आकर तू बहुत समझदार हो गया है पर अभी भी तू गाँव जैसा ही भोलाभाला है...” माँ । ने इसे अजय की भोलेपन भरी बात समझकर हँसते हुए कहा।।
अजय- “पहले तो भाभी जैसी नहीं दिखती थी पर अब भैया ने तुझे मेरी भाभी जैसा बना लिया है। माँ तुम । बिल्कुल वैसी हो, जैसी दुल्हन की भैया कल्पना करते हैं और रही सही कसर भैया ने मेरे जाने के 6-7 दिनों में पूरी कर दी। जरा तुम दोनों अगल बगल में सटकर तो बैठो..”
कहकर अजय ने मेरे को और माँ को अगल बगल में सटा कर बैठा दिया और कहा- “देखो कैसी राधा और श्याम की सी प्यारी जोड़ी है। माँ तुम तो बिल्कुल भैया की उमर की लगती हो और तुम दोनों को देखकर कोई नहीं कहेगा की ये पति पत्नी नहीं है..”
अजय अपनी ओर से मेरे लिए माँ को पटाने में पूरा जोर लगा रहा था पर उस नादान को यह नहीं मालूम था की मैंने जैसे उसे अपने मस्त लण्ड का स्वाद चखाया है वैसे ही माँ को भी चखा चुका हूँ।
राधा- “तो तुम मुझे भाभी बनाना चाहता है पर पहले अपने भैया से तो पूछ लो। वो कहीं पीछे हट गये तो तू क्या करेगा?” अब माँ भी अपनी जान में शरारत पर उतर गई और अजय के भोलेपन में शामिल हो गई।
अजय- “भैया अपनी शादी व्याह के मामले में खुद क्या बोलेंगे? जब मैंने कह दिया तो हमारी तरफ से बात पक्की है। तुम शादी का जोड़ा पहन के आ जाओ, चट मॅगनी पट व्याह करा देंगे...” अजय ने गाँव के बड़े बूढ़ों जैसी बात कही।
मैं- “अब भाई शादी व्याह की बात मैं खुद तो करने से रहा। मुन्ना की पसंद मेरी पसंद है और मुन्ना जो बात पक्की कर देगा वो मेरी तरफ से भी बिल्कुल पक्की है। मैंने तो मुन्ना को बता दिया है की मुझे तो माँ जैसी ही पति की सेवा करने वाली भरी पूरी सुंदर पत्नी चाहिए। अब मुन्ना जाने और उसका काम जाने...”
अजय- “लो माँ भैया ने भी हामी भर दी। भैया के हरी झंडी देते ही अब माँ तू तो मेरी भाभी हो गई। माँ अब तू मुझे अपना देवर माने या ना माने पर मैं तो अब तुझे भाभी ही मानूंगा..."
राधा- “यह तुम दोनों की अच्छी मिली भगत है। वाह... ‘मान ना मान मैं तेरा मेहमान' वाली बात है यह तो। अब मैं तो चली सोने; एक मेरा लुगाई के रूप में सपना देखो और दूसरा भाभी के रूप में..." यह कहकर माँ अपने कमरे में चली गई।
माँ के जाते ही अजय ने कमरा बंद कर लिया और मेरे बगल में बिस्तर पर लेट गया।
मैं- “मुन्ना आज तो तूने कमाल कर दिया। तूने वो काम कर दिखाया जो मैं सोच भी नहीं सकता था। तूने तो सीधे-सीधे माँ से मेरी बात ही चला दी। मेरे प्यारे छोटे भाई अब किसी तरह इस मस्तानी औरत से मेरा टांका भिड़वा दे। तेरी कसम खाकर कहता हूँ की मैं तेरे साथ मिल बाँटकर ही इसका मजा लूंगा। माँ जैसी 46 साल की पूरी खेली खाई भरी पूरी औरत हम दोनों भाइयों को एक साथ पूरा मजा दे सकती है। तुझे औरतों की पूरी पहचान नहीं है, माँ जैसी मस्त औरतों को जब इस उमर में जवानी का शौक चढ़ता है ना तो वे भला बुरा कुछ भी नहीं देखती। एक बार खुल गई तो खुद भी मस्त होकर हम दोनों के लण्डों का मजा लेगी और अपनी चूत और गाण्ड हमारे लण्डों पर न्योछावर कर देगी..."
अजय- “भैया मुझे पता है की आपकी तबीयत माँ पर आ गई है और मैं जी जान से चाहता हूँ की आपको माँ मस्ती करने के लिए मिल जाय। इसके लिए मैं हर कोशिश करूंगा। मेरे को यह लालच बिल्कुल भी नहीं है की भैया के साथ-साथ मुझे भी माँ से मस्ती करने का मौका मिलेगा। मैं तो कभी-कभी आपसे ही गाण्ड मरवाके खुश
विजय- “एक बार तू माँ की चूत और गाण्ड का स्वाद चख लेगा ना तब देखना उस मजे का पक्का लोभी बन जाएगा। ऐसी गुदाज औरत को अपनी गोद में खड़े लण्ड पर बिठाकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मसलना, तब । देखना तुझे कैसी मस्ती आती है। एक बार वो तेरे सामने अपनी चूत का फाटक खोल देगी, तब देखना तेरी जीभ उसे चाटने के लिए लपलपाने लगेगी। और यदि तेरे सामने अपनी हौदे सी गाण्ड उठा देगी तब तेरे लिए चुपचाप बैठे रहना क्या संभव हो पाएगा? तू सांड़ की तरह उसपर चढ़ दौड़ेगा। मैंने तो जब से तेरे से माँ के मूतने की बात सुनी है तब से उस धार के लिए मेरा हलक सुख रहा है। आज तो माँ के बारे में सोच-सोचकर ही गर्मी चढ़ रही है। मैं तो खूब अच्छे से शावर में नहाऊँगा। क्या तू भी मेरे साथ नहाने चलेगा?” मैंने बेड पर से उठाते हुए कहा।
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