RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
तभी अजय अपनी गाण्ड का छेद फैलाकर मुझे दिखाते हुए बोला- “हाय भैया देखिए ना मेरी गाण्ड का यह मस्ताना गोल छेद देखिए ना। देखिए इस छेद पर मैं खुद वैसेलीन चुपड़ रहा हूँ। आप जानते हैं ना की मैं इस गाण्ड के बड़े से छेद पर वैसेलीन क्यों चुपड़ रहा हूँ? भैया में आपके लण्ड का दीवाना हूँ। आज मैं खुद अपने हाथ से आपका लौड़ा अपनी गाण्ड में पेलूंगा। हाय मेरे राजा जानी। अपने राजा भैया का मस्ताना लौड़ा आज खुद आपका छोटा भाई अपनी गाण्ड में पिलवाएगा...”
जब गाण्ड कुछ चिकनी हो गई तो उसने जोर लगाकर आधी के करीब अपनी वो अंगुली अपनी गाण्ड में पेल ली। फिर उसने वो अंगुली बाहर निकाल ली और मेरी ओर मुड़ा। उसने दूसरे हाथ की इंडेक्स उंगली और अंगूठे की सहायता सा गोला बनाया और 3-4 बार वो वैसलीन लगी अंगुली मुझे बाहर-भीतर करके दिखाई। छोटे भाई की इस अदा ने तो मुझे पूरा मस्त कर दिया। मेरा लौड़ा टनटना कर पूरा सीधा खड़ा हो गया।
मुन्ना- “भैया आपका साँप तो आज बहुत जल्दी फुफ्कार मारने लगा। देखिए ना इसको मेरी गाण्ड का बिल क्या दिख गया उसमें जाने के लिए कैसे मचल रहा है? देखिए ना मैं इसी के लिए तो अपनी गाण्ड चिकनी कर रहा हूँ और यह है की थोड़ा भी सब्र नहीं कर रहा है। भैया थोड़ी देर इसे काबू में राखिया ना...” मुन्ना यह बात कहकर हँसने लगा।
मैं- “अरे मुन्ना तू तो गाँव जाकर आने के बाद मेरी वाली भाषा बोलने लग गया। गाँव के दोस्तों से सीख कर आया है क्या?”
अब मुन्ना मेरे खड़े लौड़े पर ठीक से वैसेलीन मथने लगा। मेरे लण्ड और अपनी गाण्ड को अच्छी तरह से चिकनी कर लेने के बाद वो अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे सामने खड़ा हो गया और थोड़ा झुक गया। उसने अपना एक हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ा और लण्ड के सुपाड़े को अपनी गाण्ड के छेद पर टिका लिया। फिर वो अपनी गाण्ड खोलते हुए अपनी गाण्ड कस के मेरे लण्ड पर दबाने लगा। मेरा सुपाड़ा उसकी गाण्ड में अटक चुका था, पर भीतर नहीं जा रहा था। तब एक झटके से उसने गाण्ड आगे खींच ली और बोतल से कार्क जैसे निकलता है वैसे ही मेरा सुपाड़ा उसकी गाण्ड से निकल गया। तब उसने वापस ढेर सारी वैसेलीन मेरे लण्ड और अपने छेद पर मली और वापस झुक कर मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड दबाने लगा।
इस बार जैसे ही उसने गाण्ड खोलते हुए एक झटके से गाण्ड पीछे ठेली तो मेरा पूरा सुपाड़ा उसकी गाण्ड में समा गया। मैंने अपनी गाण्ड दीवार पर जोर से दबा दी और मुन्ना की मस्ती के साथ चुपचाप मजा लेने लगा। अब अजय धीरे-धीरे आगे-पीछे होकर मेरे लण्ड की अपनी गाण्ड में जगह बना रहा था। तब उसने अपने दोनों हाथ पीछे अपने चूतड़ों पर रख लिए और अपने चूतड़ों को फैलाते हुए अपनी गाण्ड कस के मेरे लण्ड पर दबाने लगा।
उसकी इस क्रिया से मेरा लण्ड धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में सरकने लगा। थोड़ी ही देर में पढ़े ने अपने आप मेरा 11' का मूसल सा लौड़ा पूरा अपनी गाण्ड में ले लिया। मेरे लण्ड को उसी प्रकार पूरा गाण्ड में पिलवाए वह सीधा खड़ा हो गया और उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और विजयी भाव से उसने मेरे से आँखें मिलाई।
अजय- “क्यों भैया माँ होती तो क्या ऐसे ही आपसे मरवाती? आप ऐसे ही खड़े रहिएगा। आज आप मत मारिएगा, मैं खुद मरवाऊँगा..” अजय मेरी ओर देखते हुए कह रहा था।
मैंने अजय के होंठ अपने मुँह में ले लिए और अपनी जुबान उसके मुँह में डाल दी जिसे अजय चूसने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ अजय के कुछ उभरे स्तनों पर रख दिए और जोश में उन्हें ही दबाने लगा। इसी मुद्रा में अजय रह-रहकर गाण्ड कुछ आगे खींचता जिससे तीन चोथाई लण्ड बाहर आ जाता और फिर पीछे कस के जोर का । धक्का देता जिससे मेरा लण्ड जड़ तक वापस उसकी गाण्ड में समा जाता। इस प्रकार वो काफी देर मरवाता रहा और मैं उसे चूमता रहा। फिर वो सोफे के दोनों हैंडल पकड़कर झुक गया और तेजी से आगे-पीछे होकर सटासट तेजी से गाण्ड मरवाने लगा।
शौकीन भाई के इस शौक का मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
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