RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
विजय- “मुझे तो शुरू से ही माँ जैसी बड़ी उमर की भरी पूरी खेली खाई औरतें पसंद है। आज की डाइटिंग करने वाली दुबली पतली लड़कियां क्या मेरा 11' का लौड़ा चुपचाप झेल पाएंगी? भीतर डालते ही साली चिल्लाना शुरू कर देंगी। उनकी हाय तौबा सुनकर ही आधी मस्ती तो हवा हो जाएगी। वहीं माँ जैसी प्यासी औरतें तड़प-तड़प कर बोल-बोलकर चुदवाती हैं, जैसे तुम मस्त होकर गाण्ड मरवाते हो। मुन्ना अपनी माँ बहुत तगड़ा माल है, हम दोनों भाइयों की तरह लंबे बदन की और मस्ती लेने की पूरी शौकीन है। मैं माँ जैसी मस्त औरत की झांटों से। भरी चूत का तो रसिया हूँ ही, पर तेरी गाण्ड का स्वाद मिलने के बाद फूली-फूली गुदाज गाण्ड का भी शौकीन बन गया हूँ। तूने अपनी माँ की गाण्ड देखी, साली क्या अपनी मस्त गाण्ड को मटकाती हुई घर में इधर से उधर फुदकती रहती है। बता ऐसी मस्त गाण्ड को देखकर मेरे जैसे लौंडेबाज का लौड़ा खड़ा नहीं होगा? क्या मेरी इच्छा नहीं होगी की इसे यहीं पटक हूँ और इसकी गाण्ड उघाड़ी करके इस पर सांड़ की तरह चढ़ जाऊँ..”
मैं अजय के सामने माँ के बारे में बहुत ही कामुक बातें करके उसके मन में भी माँ के प्रति काम जगाना चाहता था। मेरी गोद में बैठकर और ऐसी खुली बातें सुनकर अजय का लण्ड भी पूरा तन गया था। मैंने अजय का शार्टस अंडरवेर सहित उसकी टाँगों से निकाल दिया। अजय का प्यारा लण्ड पूरा तनकर खड़ा था। गुलाबी सुपाड़ा पूरा चमड़ी से बाहर आकर चमक रहा था। जितना प्यार मुझे अजय की गाण्ड से था उतना ही प्यार मुझे उसके लण्ड से भी था। मैंने उसके लण्ड को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और हल्के-हल्के दबाने लगा।
विजय- “देख माँ के बारे में ऐसी बातें सुनकर ही तेरा कैसे खड़ा हो गया है? अरे अपनी माँ राधा रानी चीज ही ऐसी है की हर कोई उसे चोदना चाहे, उसकी गाण्ड मारना चाहे। भाई मैं तो जैसे तेरा दीवाना हूँ वैसे ही अपनी माँ का भी पूरा दीवाना हूँ। तू बता यदि तेरे को माँ की चूत चोदने को मिल जाय तो तू क्या उसे चोद देगा? माँ जैसी मस्त औरत की चूत और गाण्ड बड़े भाग्यशाली को ही मस्ती करने के लिए मिलती है। हम दोनों तो बड़े खुशनशीब हैं की कम से कम वो हरदम हमारी नजरों के सामने तो है। देखना मैं जल्द ही कोई ऐसा रास्ता निकाल लँगा की हम दोनों भाई एक साथ उसकी मस्त जवानी का मजा लूटेंगे।
मैं उसकी चूत में पेलूंगा तो तुम उसकी गाण्ड मारना, उसके मुँह में अपना पूरा लण्ड डालकर उसे खूब चुसवाना। एक बार माँ तैयार हो जाएगी तो हम दोनों भाइयों को खूब मस्ती करवाएगी। मुन्ना तुझसे एक बात मैं अपने दिल की कहता हूँ की अपनी माँ खूब कड़क माल है। तूने देखा माँ के सेक्सी अंग क्या मस्त हैं? गुलाब की पंखुड़ी से रसभरे होंठ की उन्हें चूसने से जी ना भरे, फूले-फूले चिकने गाल की मुँह में लेकर उन्हें चुभलाते रहो, क्या बड़ी-बड़ी गोल-गोल और बिल्कुल शेप में चूचियां की दबाते-दबाते हाथ ना थकें, पतली कमर, चौड़ी-चौड़ी चिकनी जांघे और माँ की मस्त गाण्ड देखी पीछे कितनी उभरी हुई है और बिल्कुल तरबूज जैसे दो चूतड़। और एक बात तुझे और बताता हूँ, जब । उसकी बाकी चीजें इतनी मस्त है तो उसकी दोनों टाँगों के बीच छुपा हुआ खजाना कितना मस्त होगा?
दूसरी ओर पापा दुबले पतले से सूखे हुए थे और बीमार ही रहते थे, और माँ के सामने तो बिल्ली के सामने चूहे जैसे दिखते थे। मैं सोचता रहता हूँ की माँ जैसी कड़क और मस्त औरत को वो संतुष्ट भी कर पाते थे या बीच में ही पहुँचाकर खुद कुल्ला कर पीछे हट जाते थे। अब माँ को जो मजा पापा नहीं दे सके वही मजा माँ को हम दो भाई मिलकर दें तो कैसा रहेगा?
मुन्ना- “भैया आप बहुत गंदे तो हो ही, साथ ही पूरे बदमाश और बेशर्म भी हो। भला कोई अपनी माँ को इस नजरिए से देखता है? आपने तो मुझे अपनी जोरू बना ही लिया। जैसे लोग अपनी लुगाई के साथ करते हैं वैसे ही आप अपनी इस बिना व्याही जोरू के साथ करते हो। क्या मेरी गाण्ड से आपका मन नहीं भरा जो माँ को चोदना चाहते हैं और उसकी गाण्ड मारना चाहते हैं..."
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