RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
विजय- “हाय माँ... तेरी गाण्ड तो सोलह साल की कुंवारी छोकरी की चूत जैसे कसी हुई है। देखो कितने प्यार से मैंने पूरा लौड़ा तुम्हारी गाण्ड में पेल दिया बताओ तुम्हें दर्द हुआ?” मैं माँ की लटकती चूची दबाते हुए बोला। अब मैं माँ की गाण्ड से आधा के करीब लण्ड बाहर करके धीरे-धीरे फिर भीतर सरकाने लगा था।
राधा- “पहली बार जब अंदर घुसा था तो एक बार तो मेरी जान ही निकल गई थी। लेकिन अब जब अंदर जाता है तो गाण्ड में एक मीठी-मीठी सुरसुरी सी होती है। मारो मेरे राजा। आज तो तुमने मुझे एक नया मजा दिया है, एक नये स्वाद से अवगत कराया है...” माँ ने मेरे चूची दबाते हाथ को पकड़कर अपनी चूत पर रखते हुए कहा।
अब मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। नीचे से माँ भी गाण्ड उछलने लगी थी। मैं समझ गया की माँ पूरी मस्ती में है, और पहली बार गाण्ड मरवाने का मजा लूट रही है। अगले 5 मिनट तक मैंने माँ की गाण्ड खुब कस के मारी। मैं पूरा लौड़ा गाण्ड से बाहर खींचकर एक ही धक्के में जड़ तक पेल रहा था। वैसेलीन से पूरी चिकनी गाण्ड में लण्ड ‘पछ-पछ’ करता अंदर-बाहर हो रहा था। थोड़ी देर बाद माँ की गाण्ड से लौड़ा निकाल लिया, कंडोम निकालकर साइड में रख दी और डागी स्टाइल में माँ पर चढ़कर चूत में एक ही शाट में पूरा लण्ड पेल दिया। मैं माँ को बेतहाशा चोदने लगा।
राधा गाण्ड पीछे ठेल-ठेलकर चुदवा रही थी। थोड़ी देर में मानो मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड पटकने लगी। तभी मेरे लण्ड से वीर्य का फव्वारा माँ की चूत में छूट पड़ा। उधर माँ भी जोर-जोर से हाँफने लगी। कुछ देर बाद हम दोनों शिथिल पड़ गये।
मैंने माँ को अपने आगोश में भर रखा था और माँ बिल्कुल मेरे से चिपकी मेरे साथ बिस्तर पर पड़ी थी। मैंने माँ से कहा- “माँ कल तो मुन्ना भी वापस आ जाएगा। खेतों की बिकवाली का सारा काम मुन्ना ने कर दिया है और रूपये तुम्हारे बैंक अकाउंट में डाल दिए हैं। कल शाम तक वो यहाँ पहुँच जाएगा...”
राधा- “देख तू बहुत चालू और खुले स्वाभाव का है। मुन्ना के जाते ही तूने अपनी माँ को अपनी बीवी बना लिया है, और उसके सब छेदों का मजा ले लिया है। पर मेरा अजय बेटा बहुत सीधा साधा है। ध्यान रखना की उसके सामने कोई ऐसी हरकत मत कर देना की बात बिगड़ जाए."
विजय- “माँ, तुम्हें बताया तो था की अब मुन्ना पहले जैसा भोला नहीं रहा। तेरे दोनों बेटे ठीक तेरे पर गये हैं,तेरे जैसे ही मौज मस्ती के, पहनने के, खाने पीने के, घूमने फिरने के शौकीन। मैं खुलकर करता हूँ तो वो थोड़ा झिझक कर। अपने भैया की हर खुशी के लिए मेरा मुन्ना पूरा तैयार रहता है। तुम उसकी बिल्कुल चिंता मत करो। उसका भी मैं कोई ना कोई रास्ता निकाल लँगा...”
थोड़ी देर बाद कल की तरह माँ अपना गाउन उठाकर अपने रूम में चली गई। दूसरे दिन मेरे स्टोर जाते समय माँ बिल्कुल सामान्य थी।
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