RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
राधा- “लेकिन मैंने आज तक कभी मरवाई नहीं। ये तो मुझे पता है की शौकीन मर्दो को गाण्ड मारने का भी। शौक रहता है, और अपना शौक पूरा करने के लिए चिकने लौंडों को खोजते रहते हैं। हम औरतों की गाण्ड मर्दो के मुकाबले वैसी ही कुदरती भारी होती है तो ऐसे मर्द हमारी गाण्डों पर भी लार टपकाते रहते हैं पर भला हम औरतों को इसमें क्या मजा है?"
विजय- “माँ तुम नहीं जानती। कई मर्द कुदरती तौर पर तो मर्द होते हैं, पर उनके लक्षण औरतें जैसे होते हैं,
जैसे औरतों जैसे नाजुक, दाढ़ी मूंछ और छाती पर बालों का ना होना, औरतों के जैसे शर्माना इत्यादि। वैसे मर्द मारने वालों से ज्यादा मराने को लालायित रहते हैं। उन्हें मराने में जब मजा आता है तो इसका मतलब गाण्ड मराने का भी एक अनोखा मजा है, जो मराने वाले ही जानते हैं। तो तुम यह बात छोड़ो की गाण्ड मराने में तुम्हें मजा नहीं आएगा। जब तूने आज तक मराई ही नहीं तो तुम इसके मजे को क्या जानो? एक बार मेरे से अपनी गाण्ड मरवाके तो देखो। जैसे मेरे हलब्बी लौड़े से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा के तुम मेरी रखेल बन गई हो । वैसे ही कहीं गाण्ड मरवाके पक्की गान्डू ना बन जाओ और गाण्ड मरवाने से पहले अपनी चूत मुझे छूने भी ना दो..."
मेरी बात सुनकर माँ ने कुछ नहीं कहा। मौन को सहमति मानते हुए मैं उठा और मेरी आल्मिरा से कंडोम का पैकेट और वैसेलीन का जार ले आया, जो कुछ दिन पहले मैं इसके छोटे बेटे की यानी की मेरे छोटे भाई मुन्ना की गाण्ड मारने के लिए लाया था। पैकेट से कंडोम निकलकर मैंने लण्ड पर चढ़ा ली। माँ को बेड पर घोड़ीनुमा बना दिया और माँ की गाण्ड पर अंगुली में ढेर सारी वैसलीन लेकर चुपड़ दी। 2-3 बार माँ की गाण्ड में अंगुली घुमाकर माँ की गाण्ड अंदर से पूरी चिकनी कर दी।
फिर मैंने अपना लण्ड अच्छे से चुपड़ लिया। आखिरकार, एक तगड़ी गाय पर जैसे सांड़ चढ़ता है वैसे ही मैं माँ पर चढ़ गया। मेरा सुपाड़ा बहुत ही फूला था, जिसका मुंड माँ की गाण्ड में नहीं जा रहा था। नीचे माँ भी । कसमसा रही थी। मैंने फिर थोड़ी वैसेलीन माँ की गाण्ड और मेरे लण्ड पर चुपड़ी। माँ से कहा की वह बाहर कीओर जोर लगाए। इस बार सुपाड़ा अंदर समा ही गया। माँ दर्द से छटपटाने लगी।
मैंने लण्ड बाहर निकल लिया और माँ का छेद रूपये का आकर का खुला साफ दिख रहा था, जिसमें मैंने अंगुली में लेकर वैसेलीन भर दी और माँ पर फिर चढ़ बैठा। 2-3 बार केवल सुपाड़ा अंदर डालता और पूरा लण्ड वापस बाहर निकाल लेता। इसके बाद मैं सुपाड़ा डालकर गाण्ड पर लण्ड का दबाव बढ़ाने लगा। माँ जैसे ही बाहर को जोर लगाती लण्ड धीरे-धीरे माँ की गाण्ड में कुछ सरक जाता। माँ की गाण्ड बहुत ही कसी थी। फिर लण्ड पूरा निकाल लिया और माँ की गाण्ड और मेरे लण्ड को फिर वैसेलीन से चुपड़कर माँ पर चढ़ गया। इस बार धीरे-धीरे मैंने लण्ड माँ की गाण्ड में पूरा उतार दिया।
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