RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
लेकिन इस घटना से मैं बहुत खुश हो गया की चलो माँ की मस्त गाण्ड मारने की राह आसान हो गई जिसे मैं काफी देर से अपने चेहरे के ठीक सामने लहराते देखकर मारने की फिराक में था। मेरी एक अंगुली माँ की गाण्ड में बड़ी आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी। तभी मैंने अंगुली निकाल ली और इस बार दो अंगुली थूक से अच्छी तरह तर करके धीरे-धीरे बहुत जतन के साथ माँ की गाण्ड में पेलने लगा।
मैं माँ को जरा भी दर्द महसूस नहीं होने देना चाहता था, क्योंकी कहीं वो अपनी गाण्ड देने से मना नहीं कर दे। थोड़ी कोशिश के बाद मेरी दो अंगुली माँ की गाण्ड में जाने लगी। अब मुझे विश्वास हो गया की यह मेरा मूसल सा लण्ड अपनी गाण्ड में भी ले लेगी।
विजय- “माँ तुम्हारी गाण्ड तो बड़ी मस्त है। लगता है इसको मरवाने की भी पूरी शौकीन हो। देखो कितने आराम
से तुम्हारी गाण्ड मैं अपनी अंगुलियों से मार रहा हूँ...” मैंने आखिर पूछ ही लिया।
राधा- “नहीं रे तेरा बाप मेरी चूत की प्यास तो ठीक से बुझा नहीं पाता था, भला वो मेरी गाण्ड क्या मारता? कभी-कभी मैं ही यूँ ही अंगुली कर लिया करती थी..." माँ बोली।
विजय- “तो इसका मतलब अभी तक तुम्हारी गाण्ड कुँवारी है। माँ जैसे तूने मुझे अपनी 15 साल से अनचुदी चूत का मजा दिया, वैसे ही अब अपनी इस कुंवारी गाण्ड का मजा देना। तुम्हारी चूत का तो उद्घाटन नहीं कर सका पर अब तुम्हारी कुँवारी गाण्ड का उद्घाटन तो मैं जरूर करूँगा...” मैंने माँ की गाण्ड में अंगुली से खोदकर कहा।
राधा- “क्या कहता है तू? तुम्हारा घोड़े जैसा हलब्बी लौड़ा कल बड़ी मुश्किल से चूत में ले पाई थी। भला यह गाण्ड में कैसे जाएगा? यह तो मेरी गाण्ड को फाड़ के रख देगा। नहीं बाबा मुझे नहीं मरवानी तुमसे गाण्ड..." माँ ने पुरजोर विरोध किया।
विजय- “माँ कल कितने प्यार से मैंने तुम्हारी चूत ली थी ना। थोड़ा भी दर्द महसूस होने दिया था क्या? मैं। उससे भी ज्यादा संभालकर और प्यार से तेरी गाण्ड लँगा। तेरे जैसी लंबी चौड़ी बड़ी गाण्ड वाली औरत की पूरी नंगी करके गाण्ड भी नहीं मारी तो फिर क्या मजा? तेरे जैसी मस्त गाण्ड वाली औरत अपने प्यारे को जब मस्त होकर गाण्ड देती है ना तो उसका यार बाग-बाग हो जाता है। उसका प्यार उस औरत के प्रति सैकड़ों गुना बढ़ । जाता है...” मैंने माँ की गाण्ड पर हाथ फेरते हुए कहा।
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