RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
अब मेरा लण्ड माँ की चूत में जड़ तक अंदर घुसने में बिल्कुल थोड़ा सा बाकी रह गया था, तो मैंने चूत में लण्ड के हल्के-धक्के देने प्रारंभ कर दिए। माँ हाय हाय करने लगी। मेरा लण्ड माँ की चूत में जड़ तक अंदर-बाहर होने लगा था। धीरे-धीरे मैं धक्कों की स्पीड बढ़ाता गया। लण्ड ‘फछ-फछ’ करता चूत से अंदर-बाहर हो रहा था।
अब माँ ने दोनों हाथ मेरी कमर में जकड़ दिए और धक्कों में मेरा साथ देने लगी। माँ की हाय हाय सिसकारियों में बदल गई। माँ की आँखें मूंद गई और वो मुझसे चुदाई का स्वर्गीय आनंद लेने लगी। मैं माँ को बेतहाशा चोदे जा रहा था। अब % के करीब लण्ड चूत से बाहर निकालता और एक करारा शाट लगाकर जड़ तक वापस पेल देता।
विजय- “माँ कैसा लग रहा है? क्यों तीनो लोक दिख रही है या नहीं?” मैंने पूछा।
राधा- “अरे मत पूछ। आज जैसा आनंद तो मुझे जीवन में आज तक नहीं मिला। तुम बहुत ही प्यार से कर रहे हो। मुझे दर्द महसूस तक नहीं होने दिया और 11 इंच का हलब्बी लौड़ा पूरा का पूरा मेरी चूत में उतार दिया...” माँ ने कहा।
अब मैं पूरे जोश में आ चुका था और जोर-जोर से हुमच-मच कर लण्ड पेलता था। माँ भी नीचे से धक्कों का जबाब दे रही थी।
विजय- "देख तुझे कैसे कस के चोद रहा हूँ। ले ये मेरा धक्का झेल। बड़ी मस्त औरत है तू। तू तो सिर्फ मेरे से चुदने के लिए ही बनी है। तुझ जैसी चुदक्कड़ और सेक्सी औरत को तो दिन रात नंगी करके ही रखना चाहिए। और जब भी लण्ड खड़ा हो जाय तेरे में पेल देना चाहिए..” मैं अनाप सनाप बकते हुए अपनी मस्त माँ को चोदे जा रहा था।
करीब 10 मिनट तक यह चुदाई चली की माँ ने मुझे बुरी तरह से जकड़ लिया। माँ की आँखें लाल हो गई, वो हाँफने लग गई, उसका शरीर एक बार ऐंठा और वो ढीली पड़ने लगी।
राधा- “हाय विजय बेटे तूने तो एक ही चुदाई में मुझे ढीली कर दिया। देख मेरी चूत से क्या बह रहा है? मैं इतनी कमजोर क्यों होती जा रही हूँ? मेरे पर ऐसे ही चढ़ा रह, मुझे अपने नीचे दबोचे रख। मैं तृप्त हो गई..”
तभी मेरे लण्ड से जोर से ज्वालामुखी फट पड़ा। लण्ड से पिघला लावा माँ की चूत में बहने लगा। धीरे-धीरे माँ के साथ मैं भी शीतल पड़ता गया। कुछ देर बाद माँ उठी। सोफे से उसने सारे कपड़े लिए और नंगी ही अपने कमरे में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठा। बाथरूम में जाकर हाथ मुँह धोया और नाइट ड्रेस पहनकर सो गया। आज बहुत अच्छी नींद आई। सोने के बाद एक बार नींद लगी तो सुबह ही खुली। आफिस जाते वक़्त माँ ने नाश्ता दिया पर वो रोज की तरह बिल्कुल सामान्य थी।
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