RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
विजय- “तूने भी कहाँ से ये शादी वाली बात छेड़ दी। मुझे कोई कपूर वपूर नहीं चाहिए। अभी तो मुझे मेरी। प्यारी-प्यारी माँ चाहिए, जिसके सामने मिसेज कपूर तो एक लौंडिया जैसी है। तो माँ मेरे जैसे को देखकर वो मिसेज कपूर शादी के लिए तैयार हो जाएगी तो फिर तुम्हें भी मेरे जैसा कोई मिल गया तो फौरन पट जाओगी?” यह कहकर मैंने माँ को वापस अपने आगोश में भर लिया।
राधा- “मिलेगा तब सोचूँगी..” माँ ने शरारती हँसी के साथ कहा।
माँ की इस बात पर मैंने उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई और उसकी आँखों में झाँकते कहा- “जी तो करता है की तेरी इस बात पर एक प्यारी सी पप्पी ले लँ...”
राधा- “तू मुझे इतना प्यार करता है और इतनी छोटी सी बात पूछ रहा है। लेनी है तो ले ले पूछ क्या रहा है?" यह कह माँ मेरी आँखों में देखते हुए हँसने लगी।
मैंने माँ का फूला-फूला गाल गप्प से अपने मुँह में भर लिया और कस के एक प्यारी सी पप्पी ले ली।
राधा- “चलो तुझे अपनी माँ की पप्पी मिल गई ना, अब खुश हो ना?”
विजय- “माँ सबके मन की बात बिना कहे ही जान लेती है और माँगते ही मुराद पूरी कर दी। जो मजा माँ की
गोद में है वो भला दूसरी की गोद में कहाँ? माँ तेरी हर बात पे, तेरी हर अदा पे मैं हमेशा खुश हूँ..”
राधा- “मेरा बेटा आजकल पूरे आशिक़ों जैसी बातें करता है। कोई बात नहीं इस उमर में हर कोई ऐसी बातें करता है..." माँ ने कहा। माँ उठ खड़ी हुई और बगल में सटे अपने रूम की ओर चल दी।
मैं भी फ्रेश होकर जिस बेड पर अभी माँ के साथ यह सब चल रहा था उसी बेड पर पड़ गया। बेड पर पड़ा-पड़ा काफी देर माँ के बारे में ही सोचता रहा और ना जाने कब नींद आ गई।
इसके दूसरे दिन मैंने माँ को शाम 5:00 बजे ही स्टोर से फोन करके बता दिया की मैंने शाम शो की दो टिकेट बुक कर ली है और वो 6:00 बजे तक तैयार होकर स्टोर में ही आ जाय। माँ 6:00 बजे स्टोर में पहुँच गई।
आज हमने पुरानी पिक्चर ‘खूबसूरत' देखी। माँ को यह साफ सुथरी पिक्चर बहुत ही अच्छी लगी। आज भी हमने बाहर ही रेस्टोरेंट में खाना खाया और 10:30 बजे घर पहुँच गये।
आज कुछ गर्मी थी सो घर पहुँचकर माँ नहाने के लिए बाथरूम में चली गई। मैं भी अपने रूम में चला गया और शावर लेकर नाइट ड्रेस चेंज कर ली। मैं अपने बेड पर पसर गया और एक मैगजीन को पलटने लगा। मैं मैगजीन में खोया हुआ था की माँ की आवाज से की ‘क्या चल रहा है?' से मेरा ध्यान माँ की तरफ गया। एक बार ध्यान गया की मैं माँ की तरफ देखते ही रह गया। माँ बहुत ही आकर्षक नाइटी में थी। माँ को नाइटी में मैं पहली बार देख रहा था। नाइटी में मेरी मदमस्त माँ 35 साल की भरी पूरी बिल्कुल आधुनिक शहरी महिला लग रही थी।
राधा- “क्या घूर-घूर के देख रहा है? जब बेटा मुझे इस रूप में देखना चाहता है, मेरी छोटी सी छोटी खुशी के लिए मरा जाता है तो मैं क्या मेरे प्यारे बेटे की इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकती। अब देखो ठीक से तुम्हारे लिए मैं पूरी शहरी बन गई..” माँ ने कहा और मेरे पास बेड पर बैठ गई।
विजय- “माँ सच-सच बताना, तमको भी ये सब अच्छा लग रहा है ना?"
माँ- “अच्छा क्यों नहीं लगेगा? तुम्हीं तो कहते रहते हो की अभी तो मैं पूरी जवान हूँ और तेरे जैसा जवान तो यह बात किसी बुढ़िया को भी कह दे तो उसमें जवानी आ जाय। पर आज तूने जो पिक्चर दिखाई, देखकर मजा आ गया...”
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