RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
चलते-चलते हम पार्क के उस भाग में आ पहुँचे जहाँ अपेक्षाकृत कुछ अंधेरा था और काफी तादाद में घने झाड़ थे। हर झाड़ के साए में एक जोड़ा बैठा हुआ था, पगडंडी से विपरीत दिशा में मुँह किए एक दूसरे को बाँहों में । समेटे गड्डमड्ड हो रहे थे, पुरुष महिलाओं की जांघों पर लेटे हुए थे, कुछेक पुरुष तो महिलाओं के चेहरे पर झुके हुए किस कर रहे थे। चारों तरफ बहुत ही रंगीन और वासनात्मक नजारा था। माँ कनखियों से जोड़ों की हरकतें देख रही थी और मेरे साथ चुपचाप चल रही थी।
ऐसे वातावरण में मेरी हालत खराब होना लाजिमी थी खासकर जब मेरी जवान मस्त माँ मेरे साथ थी, जिसे मैं अपना बनाना चाह रहा था। पर मैंने अपने आप पर पूरा काबू कर रखा था और अपनी ओर से कोई जल्दबाजी या पहल करना नहीं चाहता था।
मैं माँ की सेक्स की भूख को पूरा जगा देना चाहता था और उसमें तड़प पैदा करना चाह रहा था। एक चक्कर काट के ही हम पार्क से बाहर आ गये। 10:30 पर हम घर पहुँच गये और मैं अपने रूम में बाथरूम में घुस गया। बाथरूम से फ्रेश होकर निकला तो देखा की माँ का रूम बंद था और मैं भी माँ के साथ फैंटेसी में काम क्रीड़ा करते-करते सो गया।
दूसरे दिन मंडे की वजह से मुझे स्टोर से वापस आने में ही रात के 9:00 बज गये। खाना खतम करके टीवी के सामने बैठते-बैठते 10:00 बज गये। मैं थोड़ी देर न्यूज चैनेल्स देखता रहा। फिर मैंने माँ से बात छेड़ी- “क्यों माँ, यहाँ चंडीगढ़ की शहरी जिंदगी पसंद आ रही है ना? बोल गाँव से अच्छी है या नहीं?”
राधा- “मुझे एक बात यहाँ की बहुत अच्छी लगी की लोग एक दूसरे से मतलब नहीं रखते की कौन क्या पहन रहा है, कैसे रह रहा है? वहाँ गाँव में तो कोई अच्छा पहन ले तो लोग बात बनाने लग जाते हैं...”
विजय- "माँ, अब यहाँ तुम कैसे एंजाय करती हो, यह कोई देखने वाला नहीं या तुम्हारे बारे में सोचने वाला नहीं। मैं तुम्हें हर वो सुख दूंगा जो आज तक तुझे गाँव में पति की इतनी सेवा करके भी नहीं मिला। अब से मेरा । केवल एक ही उद्देश्य है की तुझे दुनियां का हर वह सुख हूँ जो तुम जैसी सुंदर और जवान नारी को मिलना चाहिये...” मैं धीरे-धीरे पासा फेंक रहा था।
राधा- “जब उमर थी तो ये सब मिले नहीं...”
विजय- “माँ तुम्हें देखकर कोई भी तुम्हें 35 साल से ज्यादा की नहीं बताएगा। फिर मन की तो तुम इतनी जवान हो की कुंवारी लड़कियों को भी मात देती हो। पिछले 15 साल से बीमार पिताजी की सेवा करते-करते तुम्हारी सोच कुछ ऐसी हो गई है। लेकिन अब तुम यहाँ आ गई हो और अपने वे सारे शौक और दबी हुई इच्छाएं पूरी करो। यहाँ मेरी जान पहचान का एक बहुत ही अच्छा ब्यूटी पार्लर है। कल स्टोर जाते समय मैं तुझे वहाँ छोड़ दूंगा। तुम वहाँ फेशियल, आइब्रो, बालों की सेटिंग सब ठीक से करवा लेना...”
राधा- “मैं जानती हूँ की तुम मुझे बहुत खुश देखना चाहते हो, और मैं यहाँ सचमुच में बहुत खुश हूँ। पर ये सब करके मुझे किसे दिखाना है?”
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