RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
राधा- “जरा देखें तो आज मेरा लाल मेरे लिए क्या नया लेकर आया है?” यह कहकर माँ ने मेरे हाथ से पैकेट ले लिया और उसे खोलने लगी।
उसमें से दो ऐसी पैंटी निकली जो मुश्किल से चूत भर को ढक सके और उन दो में से एक ट्रॅन्स्परेंट भी थी। दो। ही बिना बाँह की तंग और टाइट ब्रा थी। एक झीनी नाइटी थी और एक खुली लेडीस नाइटगाउन था। सारे माँ की साइज के थे क्योंकी इस लाइन में काम करने से मुझे एग्ज़ेक्ट पता था की माँ को किस साइज के फिट बैठेगे। माँ उलट पलट के देखती रही।
राधा- “तो आज तू अपनी माँ के लिए ये सब लाया है?”
विजय- “अरे माँ ये तो सैंपल है, जो मुझे उस सप्लायर ने दिए हैं। यदि तुझे पसंद है तो सारे तुम रख लो..”
राधा- “तो क्या शहर की औरतें ऐसे कपड़े पहनती हैं, की कुछ भी ढका ना रहे। मुझे तो इनको देखकर ही शर्म
आ रही है...”
विजय- “माँ ये सब हल्के और बहुत अच्छी क्वालिटी के हैं। इन्हें नीचे पहन के बहुत आराम लगता है और पता ही नहीं चलता की कुछ पहन रखा है। तुमसे बड़ी-बड़ी उमर की औरतें इन्हें लेने के लिए हमारे स्टोर में भीड़। लगाए रखती हैं। फिर तुम किसी से कम थोड़े ही हो। रख लो इन्हें, ऐसे कपड़े पहनने से सोच भी माडर्न होती है...”
माँ- “हाँ... तुम ठीक कह रहे हो। आजकल तो ऐसी ही चीजों का चलन है और माडर्न लोगों का ही बोलबाला है। पिक्चरों में, होटेलों में, पार्लरों में कहीं भी देखो लोग खुलकर मौज मस्ती करते हैं, ना किसी की शंका शर्म, ना। किसी से लेना देना...”
विजय- “हाँ माँ, शहरी और पढ़े-लिखे लोगों की सोच यह है की जब मौज मस्ती करने की उमर है, साधन है और
शौक है तो खुलकर मौज मस्ती करो। एक बार उमर और तबीयत चली गई तो फिर बस किसी तरह जिंदगी गुजारनी रह जाती है। इसीलिए तो तुम्हारा इतना ध्यान रखता हूँ। जो सुख तुझे गाँव में नहीं मिला वो सुख यहाँ तो खुलकर भोगो। यहाँ ना तो गाँव का वातावरण है और ना कोई यह देखने वाला की तुम क्या करती हो और कैसे रहती हो? तुम्हें खाली जिंदगी गुजारनी थोड़े ही है, तुम्हें तो इस हसीन जिंदगी का पूरा मजा लेना है। तुम्हें यहाँ किस बात की कमी है? गाँव की जायदाद से कम से कम 40 लाख मिल जाएंगे और दो-दो जवान बेटे । कमाने वाले हैं। चलो माँ अच्छे से तैयार हो जाओ, आज तुझे ऐसी जगह दिखाता हूँ की तुझे भी पता चले की लोग जिंदगी का मजा कैसे लेते हैं?”
मेरी बात सुनकर माँ अपने कमरे में चली गई। मैंने अपनी ओर से दाना डाल दिया था। अब देखना था की चिड़िया कब जाल में फंसती है? मुझे बिल्कुल जल्दी नहीं थी। मैं माँ में तड़प पैदा कर देना चाहता था और चाह रहा था की पहल माँ की तरफ से हो। थोड़ी देर में मैं भी उठकर अपने कमरे में चला गया। मैंने शावर लिया, टाइट जीन्स और स्पोटिंग पहनी और टीवी के सामने बैठा माँ का इंतजार करने लगा।
थोड़ी देर में माँ भी तैयार होकर निकली। आज उसने बड़ी दिलकश साड़ी बिना बाँह के ब्लाउज़ के साथ पहनी हुई थी और उसकी मांसल दूधिया नंगी बाहें बड़ी मस्त लग रही थीं। हल्की लिपस्टिक और चेहरे पर हल्का मेकप कर रखा था। वाह... माँ को इस रूप में देखकर मजा आ गया।
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