RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
अजय- “भैया आप कितने अच्छे हैं। मुझे कितना प्यार करते हैं। इतना प्यार तो मुझे किसी ने नहीं किया...” यह कहकर अजय दोनों हाथों से मेरे लण्ड को सहलाने लगा, मरोड़ने लगा, लण्ड की चमड़ी ऊपर-नीचे करने लगा।
विजय- “अरे तू प्यार करने की चीज ही है। तू इतना प्यारा, नाजुक और एकदम नई-नई जवान हुई लड़की जैसा है। उससे भी बढ़कर तेरे पास भी मर्दो जैसा मस्ताना लण्ड है। तेरे जैसे के साथ ही लौंडेबाजी का असली मजा है...” यह कहकर मैंने पास की साइड टेबल पर पड़ी अपनी ब्रीफकेस अपनी गोद में रखकर खोली और कंडोम का पैकेट और वैसेलीन का जार उसमें से निकाल लिया।
अजय- “भैया आप तो पूरी तैयारी करके आए हो। तो आपने आज दिन में ही प्लान बना लिया था की आज रात छोटे भाई की गाण्ड मारनी है। आप पक्के उस्ताद हो...”
विजय- “तैयारी तो करनी ही पड़ती है। तेरे जैसे चिकने भाई की तो खूब चिकनी करके ही लेनी होगी ना। अब तो
डर नहीं लग रहा है ना? क्यों पूरा तैयार है ना? अरे अब तेरे जैसा गाण्ड मरवाने का शौकीन भाई मिला है तो मैं क्या जिंदगी भर मूठ ही मारता रहूँगा...”
यह कहकर विजय ने कंडोम के पैकेट से एक कंडोम निकाल ली और अपने लण्ड पर चढ़ा ली। यह बहुत ही झीनी हाई क्वालिटी की कंडोम थी, चढ़ने के बाद पता ही नहीं चल रहा था की लण्ड पर कंडोम चढ़ी हुई है। कंडोम चढ़ने के बाद लण्ड बिल्कुल चिकना प्लास्टिक के इंडे जैसा लग रहा था। तभी मैंने अजय को झुका लिया और उसकी गाण्ड की दरार में अंगुली फेरने लगा। फिर वैसलीन का जार खोला और अंगुली में ढेर सारी वैसेलीन लेकर अजय की गाण्ड पर लगा दी। गाण्ड में आधी के करीब अंगुली घुसाई और फिर देर सी वैसेलीन अंगुली में लगाकर उसकी गाण्ड में वापस अंगुली घुसा दी। थोड़ी देर गाण्ड के अंदर चारों ओर अंगुली घुमाकर गाण्ड अंदर से अच्छी तरह से चिकनी कर दी। फिर मैंने ढेर सी वैसेलीन अपने लण्ड पर भी चुपड़ ली। अब मैं अपने छोटे भाई पर चढ़ने के लिए पूरा तैयार था।
मैं अजय के पीछे आ गया और घुटनों के बल उसके पीछे खड़ा होकर अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड के खुले छेद पर टिका दिया। धीरे-धीरे लण्ड को अंदर ठेलने की कोशिश करने लगा पर मेरा मोटा सुपाड़ा उसके अंदर नहीं जा रहा था। थोड़ा और जोर लगाया तो मुश्किल से सुपाड़ा उसकी गाण्ड में अटक भर पाया। सुपाड़ा अटकते ही एक बार अजय नीचे कसमसाया पर शांत हो गया। अब मैंने लण्ड निकाल लिया और थोड़ी वैसेलीन लण्ड पर और लगा ली। इस बार वापस चढ़कर थोड़ा ज्यादा जोर लगाया तो सुपाड़ा पूरा अंदर समा गया। सुपाड़ा समाते ही झट से मैंने पूरा लण्ड वापस निकाल लिया। अजय की गाण्ड का छेद पूरा खुला हुआ था। हल्की गुलाबी वैसलीन गाण्ड में लगी हुई थी।
विजय- “मुन्ना तेरी गाण्ड तो बहुत टाइट है, मारने में पूरा मजा आएगा। तू चिंता मत कर। पूरी चिकनी करके
खूब आराम से मारूंगा...”
अजय- “भैया धीरे-धीरे करना। आपका बहुत मोटा है..."
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