RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
विजय ने भी अब गरम लोहे पर चोट की- “अब भाई यह तो मुझे कैसे पता चलेगा की कुछ करने से तेरा क्या मतलब है? पर क्या तुझे अपने भैया पर विश्वास नहीं है? मैं तुम्हारे साथ ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे तुमको थोड़ी सी भी तकलीफ हो। आखिर मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ और तुम्हें थोड़ी सी भी तकलीफ कैसे दे सकता हूँ। तुम्हारी एक 'उफ' भी मेरे दिल पर सौ घाव कर देती है। तुम्हारे साथ इतने प्यार से यह जवानी का खेल खेलूंगा की देखना तू पूरा मस्त हो जाएगा और भैया के साथ यह खेल रोज खेलने का दीवाना हो जाएगा। इतने प्यार से करूँगा की तुझे पता तक नहीं चलने दूंगा। फिर तेरे साथ ऐसे ही जवानी की मस्त बातें करता रहूँगा की तुझे दर्द का पता ही नहीं चलेगा..” मैंने बातों ही बातों में साफ संकेत दे दिया की मैं आज अपना हलब्बी लौड़ा तेरी गाण्ड में पेलूंगा।
फिर विजय ने बात पालटते हुए कहा- “मेरा मुन्ना भी माँ की तरह पूरी रंगीन तबीयत का है। माँ मजे लेने की पूरी शौकीन है तो तुम भी तो जवानी का मजा लेने का पूरा शौकीन दिखते हो। देखो तेरे ऊपर क्या मस्त जवानी चढ़ी है। एकदम माँ जैसी मस्त औरत की तरह दिख रहे हो। अरे मुन्ना मैं तो तुम्हें सीधा साधा और भोला भाला समझता था, पर तुम तो पूरे छुपे रुस्तम निकले। तूने तो गाँव के खुले वातावरण में खूब मस्ती की होगी और लोगों को करवाई होगी?” अब मैं रातवाली घटना का जिक्र करके उसपर मानसिक तौर पर पूरा हाबी होना चाह रहा था।
अजय- “भैया, आप कैसी बात पूछ रहे हैं। मैंने तो आज तक किसी लड़की या औरत की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखा है। वो तो आप जैसे चालू लोगों का काम है। यहाँ आपके स्टोर में एक से बढ़कर एक खूबसूरत छोकरियां हैं, आपने तो ढेरों पटा रखी होंगी...”
विजय- “अरे मुन्ना नहीं। मेरी आजकल की छोकरियों में कोई दिलचस्पी नहीं है। तू तो यार अब मेरे बराबर का हो गया है, और बिल्कुल दोस्त जैसा है इसलिए तुझे दिल की बात बताता हूँ। मुझे तो माँ जैसी बड़ी उमर की। भरे-पूरे बदन की मस्त औरतें पसंद हैं, जिनकी बड़ी-बड़ी चूचियां हो और भारी-भरकम गाण्ड हो...” अब मैं छोटे भाई के चूतड़ सहलाते-सहलाते अपनी बीच की उंगली से उसकी बरमुडा शार्ट के ऊपर से गाण्ड खोदने लगा।
अजय- “पर भैया आप मेरे साथ यह क्या कर रहे हैं? मेरे पीछे से अपना हाथ हटाइए। आपका क्या इरादा है, मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। आज से पहले तो आपने ना तो कभी मेरे से ऐसी बातें की और ना ही । मेरे साथ ऐसी गंदी हरकतें की। आप किसके साथ यह सब कर रहे हैं, यह भी आपने नहीं सोचा। मैं कोई लड़की थोड़े ही हूँ जो मेरे साथ आप ये सब करने की सोच रहे हैं..”
विजय- “अरे मुन्ना तुम तो बुरा मान गये। मैं तो तुझे बराबर का दोस्त समझकर मन की बात कर रहा था। फिर तुम यार हो ही इतने मस्त की हाथ सरक कर अपने आप तुम्हारी सही जगह पर पहुँच गया। पर तुम इतना बुरा क्यों मान रहे हो? लगता है तुम अपनी इस मस्त चीज का मजा लेने के पूरे शौकीन हो। इसकी मस्ती लेने का तुम्हें चस्का लगा हुआ है। अरे माँ जैसे मजा लेने की शौकीन है, वैसे ही तू भी पूरा मजा लेने के शौकीन हो। मैं माँ का इतना ध्यान रखता हूँ और जो मजा उसे आज तक पिताजी से नहीं मिला वो सारा मजा मैं उसे देने की कोशिश कर रहा हूँ। मेरी बात समझ रहा है ना की मैं माँ को कैसा मजा देना चाहता हूँ। पर तू तो माँ से भी दो कदम आगे है। तू मेरा इतना प्यारा, लाड़ला मेरा छोटा भाई है और ऊपर से पूरा शौकीन भी है, तो तुझे मैं तरसाने थोड़े ही दूंगा...”
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