RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर के बाजू में सुषमा बैठी थी और उसके सामने चारू, अपने डॅडी के जाते ही वो बोली – तो फिर क्या प्रोग्राम है दीदी, चल रही हैं ना आप मेरे साथ कॉलेज.. ?
सुषमा ने शंकर की तरफ देखा जो अभी अभी मामी के यौवन को एक नज़र देखकर अपनी नज़र नीची करके नाश्ते में लगा था…, क्या कहते हो शंकर, आज ही चलें अड्मिशन लेने…?
शंकर ने मुस्कराते हुए कहा – जैसी आप लोगों की मर्ज़ी…!
शंकर का जबाब सुनकर सुषमा और चारू अपना प्लान बनाने में मशगूल हो गयी.., इसी का लाभ उठाते हुए मामी ने बड़ी चालाकी से अपना पल्लू ढलका दिया और हलुये की प्लेट उठाकर शंकर की तरफ झुक कर हलुये की प्लेट से उसकी प्लेट में डालते हुए बोली –
लो शंकर बेटा हलुआ और लो, बादाम पिसता पीस कर बनाया है मेने.., ये कहते हुए वो बिल्कुल उसके चेहरे के सामने झुक गयी…. जिससे उनकी दोनो पहाड़ियाँ शंकर की नज़रों के सामने आगयि…!
गहरे गले के ब्लाउस से उनकी दोनो चट्टानों के ढलान और उनके बीच की गहरी खाई अंदर तक शंकर की नज़रों के सामने थी…!
दूध जैसी गोरी-गोरी चुचियों को देखकर शंकर का मंन मचल उठा.., उसका लंड पॅंट में करवट बदलने पर मजबूर हो गया…!
आहह…क्या मस्त भरा हुआ यौवन है मामी का…, देखकर ही शंकर के मूह में पानी आ गया.., अपने पर काबू रखते हुए मुस्करा कर उसने एक चम्मच हलुआ ले लिया, लेकिन जब उन्होने दूसरी चम्मच आगे बधाई तो शंकर ने उनकी घाटी में नज़र गढ़ाए हुए ही कहा… अब और नही मामी जी ज़्यादा हलुआ खाना ठीक नही…!
मामी ने अपने नीचे के होठ को थोड़ा दबाते हुए कहा – तो और क्या चाहिए तुम्हें…?
शंकर – बस मामी जी, अभी इससे ज़्यादा कुच्छ नही, मेरा अभी का कोटा फुल हो गया…!
मामी – अरे वाह ऐसे कैसे हो गया…? गाओं के रहने वाले हो, इतने से ही पेट तो नही भरा होगा.., अपनी घाटी की तरफ इशारा करते हुए – शरमाओ मत, ये घर भी तुम्हारा ही है.., अच्छे से पेट भरकर खा लो…!
शंकर – अब इतना ज़िद कर रही हैं, तो थोडा रस मलाई ले लेता हूँ, मामी ने हलुये की प्लेट टेबल पर रख कर रस मलाई की प्लेट से उसी पोज़ में उसे रस मलाई सर्व की जिससे वो जी भरकर उनके यौवन का रस्पान कर सके….!
शंकर अच्छे से समझ चुका था कि मामी के दिल में क्या है.., खास तौर से अधेड़ औरतों को वो अब अच्छे से समझने जो लगा था…!!!
नाश्ते के बाद वो तीनों तैयार होकर कॉलेज निकल गये, गाड़ी चारू ही ड्राइव कर रही थी, उसके बगल में सुषमा और पीछे की सीट पर शंकर था.
शंकर के प्रति चारू के मन में क्या है ये तो पता नही लेकिन अब तक उसे अनदेखा ही कर रही थी.., वो ये दिखाने की कोशिश कर रही थी कि उसमें उसे कोई इंटेरेस्ट नही है…, वो एक साधारण सा गाओं का लड़का है और खुद वो एक रईस बाप की बेटी जिसका कोई मुकाबला नही…,
कॉलेज पहुँच कर वो तीनो गाड़ी से उतरे…!
विशालकाय कॉलेज की शानदार बिल्डिंग को देख कर शंकर की आँखें फटी रह गयी.., वो तो इसे बाहर से कोई क़िला समझ रहा था.., ये दरअसल यूनिवर्सिटी थी जिसमें हर तरह की उच्च सिक्षा प्राप्त की जाती थी…!
जब वो तीनों बड़ी सी गॅलरी से गुजर रहे थे.., सुषमा और चारू दोनो आगे आगे चल रही थी, उनके ठीक पीछे शंकर.., उसकी एकटक नज़र बस एक टाइट स्ट्रेचाबल जीन्स में कसी हुई, गोल मटोल चारू की गांद की गोलाइयों पर ही टिकी हुई थी जो कदमों के हिसाब से पतली कमर के नीचे इधर-से उधर लहरा रही थी…!
क्या फिगर हैं साली के…, एक बार चखने को मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाए… ये शंकर ही नही कॉलेज का शायद हर नव-युवक यही सोचता होगा.., लेकिन ये मलाई किसके भाग्य में होगी, ये भविश्य की बातें थी…!
बहरहाल, कुच्छ दूर चलने के बाद वो तीनों प्रिन्सिपल के ऑफीस में जा पहुँचे.., चारू को देख कर प्रिन्सिपल अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ.., चारू ने उसे अपनी जगह पर बैठने का इशारा किया और खड़े खड़े ही उसने सुषमा और शंकर का परिचय दिया और उसके अड्मिशन के बारे में बताया…!
प्रिन्सिपल को भला क्या एतराज होना था.., थोड़ी सी प्रक्रिया के बाद उसका अड्मिशन हो गया, वहाँ से वो तीनो कुच्छ देर और कॉलेज में ही घूमते रहे.., और फिर दो-ढाई बजे तक घर लौट लिए…..!!!
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