RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उंगलियों से निप्पलो की मसाज, नीचे रोड जैसे सख़्त लंड का गान्ड के छेद पर ठोकर लगने से सुषमा का बुरा हाल होता जा रहा था.., उसकी पैंटी सामने से गीली होने लगी थी…!
शंकर ने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाल दिया, अंदर जाते ही वो उसके कामरस से गीला हो गया.., चिकनी चूत की फांकों को सहलाते हुए उसने अपनी एक उंगली जैसे ही उसकी गीली चिपचिपा रही चूत के छेद में डाली…!
सुषमा ने सिसक कर अपनी जांघों को भींच लिया…, जैसे तैसे शंकर ने अपना हाथ बाहर निकाला और अपनी गीली उंगलियों को चटकारे लेकर चाट लिया…!
उसकी इस हरकत पर सुषमा बुरी तरह शर्मा गयी…, उधर ये सब देख कर मामी का भी हाल कोई ज़्यादा अच्छा नही था, उन्हें भी अपनी जांघों के बीच गीलापन महसूस होने लगा था…!
सुषमा को ये सब सहन करना अब दूभर होने लगा था, वो उसकी गिरफ़्त से आज़ाद होकर शंकर की टाँगों की तरफ खिसक गयी…, एकबार उसने शंकर के अंडरवेर के विशालकाय तंबू को ज़ोर्से दबा दिया…, और फिर उसकी चड्डी को निकाल फेंका…!
शंकर के लंड का साइज़ देख कर मामी के मूह से चीख निकलते निकलते रह गयी…, इससे पहले कि उनके मूह से कोई आवाज़ निकलती उन्होने अपना एक हाथ अपने मूह पर रख लिया..,
इससे पहले शायद उन्होने कभी 8” लंबा और खूब मोटा ताज़ा लोहे जैसा कड़क लंड अपनी जिंदगी में देखा नही था…!
हाए राम…, ये किसी आदमी का लंड है या घोड़े का.., लाल सुर्ख दह्कते लंड को देखकर इतनी दूर से ही डर के मारे उनकी चूत ने और पानी छोड़ दिया जो अब उनकी जांघों पर बहने लगा था.
उनसे रहा नही गया, और अपना हाथ जांघों के बीच ले जाकर अपनी गीली चूत को साड़ी से ही दबाकर पोंच्छ डाला.., यहीं वो मात खा गयी.., हाथ लगते ही चूत से चिंगारियाँ सी फूटने लगी.., और वो चाहकर भी अपना हाथ वहाँ से हटा नही पाई…!
उधर सुषमा ने अपने प्रियतम का मूसल जैसा सख़्त लॉडा अपने हाथों में ले लिया.., उसकी गर्मी से उसकी चूत फूल पिचकने लगी..,
एक बार उसने शंकर के गरमा-गरम लंड को अपने मुलायम गालों से मसला और फिर उसे अपने मूह में ले लिया…! वो उसकी अपनी लार और जीभ से सेवा करने लगी.., ये देखकर मामी भी अपने हाथ की उंगली को मूह में देकर चचोर्ने लगी…!
कुच्छ देर लंड चुसाई करके सुषमा ने अपनी पैंटी उतार फेंकी, और अपनी रस से लिथड़ी हुई चूत को लंड पर सेट करके वो उसके उपर बैठती चली गयी…!
ना जाने कब मामी की साड़ी भी कमर तक जा पहुँची और उनकी दो उंगलियाँ चूत के अंदर पहुँच गयी…, पूरा लंड अंदर होते होते ही दो सिसकियाँ एक साथ निकल पड़ी…
एक कमरे के अंदर और दूसरी कमरे के बाहर…..! सुषमा ने धीरे धीरे लय पकड़ना शुरू किया.., उसी लय से वर्षा देवी की उंगलियाँ भी उनकी चूत के अंदर बाहर होने लगी…!
चूत से रस टपक-टपक कर जांघों को भिगोने लगा…, जिसका उन्हें कोई भान नही रहा था…, वो बस अंदर का बाइज़कॉप देखते हुए अपने दाँत पर दाँत चढ़ाए सुषमा की लय से लय मिलाती जा रही थी…!
सुषमा की चूत का रस भी शंकर के टट्टों को गीला कर चुका था.., सुषमा के कूदने से शंकर का काम नही बन पा रहा था.., कुच्छ देर तो उसने नीचे से ही अपनी गान्ड उचका कर धक्के देने की कोशिश की…लेकिन सुषमा उसके साथ लय मिलाने में असमर्थ रही…..
उसने एक झटके से उसे अपने नीचे लिया, और उसकी जांघों को पेट से सटा’ते हुए जो हवाई जहाज़ बनाया…, सुषमा हाए—हाए—करती हुई झड़ने लगी…
साथ ही मामी का भी ट्यूब वेल चालू होगया और वो बुरी तरह से हाँफती हुई वहीं खड़े-खड़े झड़ने लगी…!
ये घोर अचंभे की स्थिति थी उनके लिए.., इतना जबरदस्त स्खलन उन्हें आज पहली बार हुआ था.., यहाँ तक कि उनके पति के चोदने पर भी नही, उनसे खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया और वो दीवार से पीठ सटा कर वही पर बैठकर लंबी-लंबी साँसें भरने लगी…!
अंदर निरंतर शंकर की धुआँ धार चुदाई का दौर चल रहा था, जिसका प्रमाद था सुषमा की निरंतर बढ़ती सिसकारियाँ, किल्कारियाँ…, लेकिन अब उनमें ये सब देखने की हिम्मत वाकी नही थी..,
साड़ी से अपनी चूत और जाँघो को पोन्छती हुई धीरे धीरे कदम बढ़ाकर वो जीने की तरफ बढ़ गयी…..!
नीचे आकर वो सीधी बाथरूम में घुस गयी, अच्छे से साफ सफाई काके वो जैसे ही फारिग हुई कि तभी डोरवेल्ल चीघाड़ उठी….!!!!
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