Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 06:30 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
भोला बस उसे देखता ही रहा.., कुछ पूछना चाह कर भी पूछ नही पाया..!

सारी रात उसे करवट बदलते ही गुजारनी पड़ी.., लेकिन दूसरी सुबह वो उदास मन से ही नहा धोकर नये कपड़े पहनकर इस आस में तैयार हो गया कि चलो अपना काम निकलवाने के बाद ही सही रंगीली उसे लाजो से मिलवा तो देगी…!

सही सवा दस बजे शंकर और रंगीली जीप लेकर उसके पास पहुँचे.., उन्हें देखते ही भोला उत्सुकता के साथ बोला – हम लोग इस मोटर गाड़ी से जा रहे हैं..?

शंकर – ताऊ जी.. आप क्या ये सोच रहे थे कि हमें वहाँ तक पैदल जाना है..? आओ बैठो…

भोला को आज पहली बार किसी वहाँ में बैठने का मौका मिला था.., वो उच्छालकर पीछे की सीट पर जा बैठा..,


इस चक्कर में वो सीट पर लुढ़क भी गया...,

शंकर ने हँसते हुए कहा - ताऊ ज़रा संभलकर...

उसके बैठते ही शंकर ने अपनी गाड़ी दौड़ा दी अपनी ननिहाल की तरफ….!

बीती रात हुए माँ-बेटे के बीच रंगा-रंग संगम के दौरान ही आज उसके ननिहाल जाने के बारे रंगीली शंकर को सारी बातें बता चुकी थी…!

अब चूँकि वो भी तो बच्चा नही रहा था, भले ही उमर जो भी हो, एक नव-युवक को जब उसके जीवन की सबसे बड़ी सौगात वो भी उससे जो अपने जीवन की सारी उम्मीदें ही अपने जान से ज़्यादा प्यारे, जिगर के टुकड़े अपने बेटे के नाम कर चुकी थी.

तो स्वाभाविक है वो भी अब दुनियादारी समझने लगा था, माँ के मूह ये सुनकर की साथ में ताऊ जा रहे हैं, जिनके साथ उसका ही नही अपितु उसकी माँ का आमना सामना बीते 20-21 सालों में गिनती का हुआ होगा…….!

तपाक से अपनी माँ की चुनिरि के जान-मारु उभार को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोला – क.क.क्याअ…कह रही हो माँ, ताऊ और हमारे साथ…ननिहाल को…??

अपने दोनो कबूतर जो चोंच लड़ाने के लिए लालयत दिख रहे थे, उनकी चोंच को बुरी तरह से रौन्दते अपने बेटे के हाथों की छुवन से ही


रंगीली के पूरे बदन में रोमांच की एक मीठी लहर सी दौड़ गयी…..

शंकर के पाजामे में बने तंबू के उभार को अपने हाथ में भरते हुए दबाकर बोली … सस्सिईइ…आअहह…मेरे लाल…बेचारे जेठ जी का नाग भी तो तेरे इसकी तरह फड्फाडाता ही होगा ना…,

रंगीली की चोली के बटन पर खेलती शंकर की उंगलियाँ थम गयी.., बड़े उत्तेजना भरे स्वर में बोला – क्क़.क.कहना क्या चाहती है माँ…, क्या ताऊ का कोई जुगाड़ किया है आपने..?

रंगीली अब तक शंकर का पाजामा नीचे सरका चुकी थी, अपने चिर-परिचित मनपसंद खिलौने से खेलते हुए बोली – अरे मे क्या जुगाड़ करूँगी.., मे तो बस उनको उनकी जुगाड़ से मिलवा रही हूँ…!

अबतक शंकर उसकी चोली के सारे बटन्स खोल चुका था, अपनी माँ की सुडौल मखमली चुचियों को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोला –

क्याअ…कह रही हो…, ताऊ की जुगाड़…? वो भी आपके मायके में…?

रंगीली अपने अंगूठे के पोर साथ में हल्के से नाख़ून का सहारा लेकर उसके लंड के पी होल को कुरेदते हुए बोली –

अपने ताऊ को क्या समझता है..? वो इतने भी चोदु नही हैं…? तेरी पुरानी आशिक़ लाजो के एक बेटी भी पैदा कर चुके हैं…!

शंकर ने माँ का लहंगा भी खोल दिया था, नंगी फूली हुई चूत की फांकों पर अपना लॉडा दबाते हुए बोला – इसका मतलब लाजो आपके मायके में है..?

रंगीली ने भी उसके लौडे को अपनी चूत के मुलायम होठों पर रगड़ते हुए कहा – हां, सेठानी ने उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लिया था, और घर से धक्के मार कर निकाल दिया…!

लेकिन लाला जी ने मुझे किसी अच्छी जगह रखने को बोला और चुपके से मे उसे यहाँ ले आई.., उस समय वो पेट से थी.., जो आज एक बेटी की माँ बन चुकी है…!

अब तेरे ताऊ को अपनी बेटी से तो मिलने का हक़ है कि नही…?

शंकर ने रंगीली की एक मांसल गुदाज जाँघ को उपर उठा लिया.., वाकी का काम उसकी माँ ने खुद संभालते हुए उसके लंड को चूत के छेद पर अड़ा दिया…,

दोनो ने अपनी अपनी तरफ से एक साथ धक्का मारा.., लंड सरसराता हुआ गीली चूत में आधे रास्ते तक सरक गया…!

सस्सिईइ….आअहह…बोल मेने सही किया ना बेटा..?

उउउफ़फ्फ़…माआ…मज़ा आ गया…तुम सचमुच बहुत समझदार हो, लाला जी आपको इसलिए सम्मान देते हैं…, हल्के हल्के धक्के लगाता हुआ शंकर बोला…,

रंगीली भी अपनी कमर चलाकर, उसके लंड को अंदर और अंदर तक लेने की कोशिश करते हुए बोली – वो तो मुझ पर सेठानी से भी ज़्यादा भरोसा करते हैं…!

हाईए…मेरे लाल.., चल बिस्तर पर ले चल.., ऐसे ज़्यादा मज़ा नही आरहा..,

शंकर ने उसे किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया.., वो अपने पैरों की केँची उसकी गान्ड पर कसते हुए पूरे लंड को अंदर निगल गयी…,

पूरा लंड अंदर पहुँचते ही आनंद के मारे उसकी आँखें बंद हो गयी.., सिसकते हुए बोली – आअहह…उउउफ़फ्फ़…, मे चाहती हूँ, इसी विश्वास का फ़ायदा उठाकर तू ज़्यादा से ज़्यादा ज़िम्मेदारी अपने सिर लेने लायक हो जा…!

शंकर ने उसे बिस्तर पर लाकर लिटा दिया.., बिना लंड बाहर निकाले वो बिस्तर पर लेट गये.., शंकर ने उसकी दोनो टाँगों को उपर उठा लिया और जैसा उसकी प्राणप्यारी माँ चाहती थी उस तरह से उसे चोदने लगा……!
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