RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
रंगीली ये देख कर मन ही मन मुस्करा कर बुदबुदाई, वाह मेरे बुद्धू जेठ जी, क्या किस्मेत खुली है.., एक भरे बदन लाला की गोरी चिटी बहू की चूत के साथ साथ माल खाने को मिल रहे हैं…!
ज़रूर जेठ जी का हथियार दमदार होगा तभी लाजो जैसी छिनाल माल खिला रही है, वरना काम तो इसका ससुर से भी चल ही रहा था..,
रंगीली बाहर खड़ी खड़ी इन्ही विचारों में खोई हुई थी कि तभी वो दोनो खुले आसमान के नीचे से अंदर भूसे वाले कोठे की तरफ चल दिए…!
रंगीली ने सोचा कि अब उसका यहाँ रुकने का कोई अर्थ नही है, यहाँ से चला जाए, ये दोनो तो मस्ती करेंगे मे बेकार में यहाँ रुककर अपनी रात काली क्यों करूँ…,
ये सोचकर उसने वहाँ से खिसकने का मन बनाया ही था कि तभी उसके दूसरे मन ने सरगोशी की…!
अरे बाबली, इतनी रात को उसका पीछा करते हुए यहाँ तक आई है, लाजो जैसी चुड़ैल औरत जिस आदमी के लिए खुद बादाम का हलवा बना के लाई है, उसमें कुछ तो खास होगा ही..,
ये जाने बिना तू यहाँ से चली जाएगी कि आख़िर तेरे आधे दिमाग़ वाले जेठ के खूँटे में ऐसी क्या खास बात है जो लाजो जैसी छिनाल औरत को बाँधे हुए है… !
अपने दूसरे मन की बात मानकर उसने वहाँ रुक कर उनकी रास लीला देखने का मन बना ही लिया..!
लाजो और भोला भूसे वाले कोठे में जा चुके थे, कुछ देर इंतेजार करने के बाद रंगीली ने बिना आवाज़ किए किवाड़ के दोनो पल्लों में गॅप बढ़ाया..,
अपना पतला लचीला हाथ डालकर सांकॅल को बेअवाज़ खोला और इधर-उधर नज़र डालकर वो चुपके से घेर के अंदर चली गयी…!
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कोठे का दरवाजा खुला ही था, उनके हिसाब से वहाँ इतनी रात गये कौन आने वाला था.., रंगीली दीवार की ऑट लेकर अंदर के सीन को देखने की कोशिश करने लगी…!
एक तेल की डिब्बी का पीला सा उजाला कोठे को रोशन करने की नाकाम कोशिश कर रहा था, ज़मीन पर एक बिछबन डालकर उसे बिस्तेर की सूरत देने की कोशिश की गयी थी..,
इस समय भोला अढ़लेटा पड़ा था और लाजो मात्र पेटिकोट और एक छोटे से ब्लाउस में उसके बगल में अढ़लेटी पड़ी भोला के अजगर जैसे लंड को जो 9” से कतयि कम नही था…!
उसके लंड को लूँगी से बाहर निकाले अपने हाथ से सहला कर उसे उसके असली रूप में लाने की कोशिश कर रही थी..,
लाजो के हाथ के कमाल से भोला का कड़ियल कोब्रा अपना फन फैलाकर खड़ा हो चुका था…!
9” लंबे और अपनी कलाई जितने मोटे भोला के लंड को देखकर रंगीली की आँखें फटी की फटी रह गयी..,
हाए दैयाअ….ये लंड है क्या है..?, तभी साली छिनाल इतनी खातिर कर रही है जेठ जी की.., वाह जी बुद्धू राम क्या किस्मेत पाई है…!
अकल कम है तो क्या हुआ, लंड तो दमदार मिला है.., ये सब बातें अपने मन ही मन बुद-बुदाती रंगीली, अपने पागल जेठ के लंड का महिमा-मॅंडन कर रही थी..
कसे हुए ब्लाउस से लाजो की कसी हुई भरपूर जवान चुचियाँ बाहर को उबली पड़ रही थी, जिन्हें भोला अपने दोनो हाथों से दबाकर और ज़्यादा बाहर को निकालने की कोशिश कर रहा था..!
लाजो की गहरी खाई में उसने अपना मुँह डालकर अब वो उन्हें कुत्ते की तरह चाट रहा था.., लाजो मस्ती में आकर उसके लंड को और कस कर मुत्ठियाने लगी..,
देखते ही देखते भोला ने उसके पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया जिसे दूसरे हाथ से लाजो ने खुद ही अपनी मोटी गान्ड से बाहर करके पैरों में होकर निकाल दिया..!
साली कच्छि भी पहन कर नही आई, लगता है समय बर्बाद नही करना चाहती..
भोला ने उसकी चुचियों को छोड़कर उसकी मटके जैसी गान्ड पर हाथ फिराता हुआ उसकी गान्ड को अपने मुँह की तरफ खींच लिया…!
लाजो अपने घुटने मोड़ कर भोला के उपर आ गई, अपनी गरम दहक्ति चूत को उसने भोला के मुँह पर रखकर खुद ने उसके काले भुजंग कड़ियल नाग को मुँह में भर लिया…!
अब वो दोनो 69 की पोज़िशन बनाकर एक दूसरे के अंगों का सेवन कर रहे थे.., लाजो ने लंड चूस्ते हुए अपना ब्लाउस भी निकाल बाहर किया..,
बिना ब्रा के उसकी मस्त गदराई हुई चुचियाँ हिलोरें मारती हुई हवा में लहरा उठी…!
लाजो अपनी गान्ड को भोला के मुँह पर घिसने लगी, मादकता में उसके मुँह से गुउन्ण..गुउन्ण..जैसी आवाज़ें निकल रही थी..,
लगातार रस छोड़ रही लाजो की चूत को भोला चपर चपर करके चाट रहा था.., इतना गरम सीन देख कर रंगीली की आँखें वासना से सुर्ख हो गयी..,
अनायास ही उसका हाथ अपनी खुद की चूत पर चला गया, जो अंदर चल रही रासलीला को देखकर गीली होने लगी थी..,
कुछ देर बाद भोला ने उसकी गान्ड पर थपकी देकर उसे उठने का इशारा किया.., लाजो इशारा पाकर उसके उपर से उतर गयी, उसकी चूत किसी सावन में बरसते बादल जैसी हो रही थी…!
उसका खुद का बुरा हाल था, सो पलते ही उसने भोला के लंड को अपनी चूत के मुंहाने पर रखा, और कस कर अपने होंठों को भींचकर उसके उपर बैठ’ती चली गयी..,
एक ही प्रयास में पूरे अजगर जैसे लंड को अपनी चूत में लेकर वो हाँफने लगी.., रंगीली ने मन ही मन उसे दाद दी.., साली पक्की छिनाल औरत है ये..,
बताओ इतने बड़े और खूँटे जैसे लंड को एक ही बार में जड़ तक ले गयी और उफ्फ तक नही की..,
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