RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाजो मात्र एक छोटी सी कच्छि में बिछबन पर लेट गयी, और भोला से कहा, लो भोला राजा शुरू करो, पहले डिब्बे से थोड़ी सी रबड़ी मेरी चुचियों पर लगाकर उन्हें चाटो…!
लाजो की गोल-गोल भरी हुई गोरी-गोरी मांसल चुचियों को देख कर भोला अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उनके उपर रबड़ी टपकाने लगा..,
खूब सारी रबड़ी दोनो चुचियों पर लेपने के बाद वो उनपर टूट पड़ा.., कुछ ही देर में वो उनपर से सारी रबड़ी चाट गया,
लेकिन मिठास अभी तक वाकी थी सो वो बुरी तरह से उसके कंचे जैसे कड़क हो चुके निप्प्लो को चूसने लगा…,
चूस-चुस्कर उसने उन्हें लाल सुर्ख कर दिया.., नीचे बिस्तर पर पड़ी लाजो किसी जल बिन मछलि की तरह लहराते हुए सिसक रही थी…
सस्सिईइ…आअहह….मेरे भोले..राजा…चूसो, और ज़ोर्से…हान्णन्न्…म्म्माआ…. मार्रीि…, अब बस करो, और रबड़ी नीचे की तरफ डालकर चाटो..राजा…!
लाजो की फरियाद सुनकर भोला रुक गया, चुचियों को चूसना बंद करके उसने डिब्बे से रबड़ी निकली, उसके पेट और नाभि में भर दी, जब वो उसे चाट रहा था तब…,
लाजो का पेट किसी भूकंप के आने पर जैसे इमारत हिलती है इस तरह हिल रहा था, फिर जैसे ही भोला ने उसकी गहरी नाभि में भरी रबड़ी को अपनी जीभ से चाटा,
वो मारे उत्तेजना और गुदगुदी के दोहरी हो गयी, उसने भोला के कंधों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके रबड़ी से सने होंठों पर टूट पड़ी…!
लाजो उसके होंठों को बुरी तरह से कुचल रही थी, उसके होंठों की मिठास उसे रबड़ी से भी ज़्यादा स्वादिष्ट प्रतीत हो रही थी,
फिर जैसे ही भोला का मुँह थोड़ा सा खुला, लाजो ने फ़ौरन अपनी लिज-लीजी जीभ उसके मुँह में ठेल दी..,
ऐसा खेल भोला ने अपने जीवन में कभी नही खेला था, वासना की आँधी अपनी पूर्ण गति से दोनो को उड़ाए ले जा रही थी…,
दीन दुनिया से बेख़बर दोनो युवा दिल मानो एक दूसरे में समाहित हो चुके थे, काफ़ी देर तक जब लाजो अपनी जीभ का कमाल दिखा चुकी, तो भोला ने उसके कंधे थाम कर उसे अपने से अलग किया और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए बोला…
लाजो रानी बहुत हुआ तेरा ये नाटक, अब मुझे अपनी रबड़ी खाने दे री…,
चूँकि उसे रबड़ी का स्वाद लाजो के बदन से चाटकर खाने में ज़्यादा मज़ा दे रहा था, सो उसने उसे वापिस लिटा दिया…
और फिर उसके शरीर पर वाकी बची हुई कच्छी को भी निकाल कर ढेर सारी रबड़ी उसकी गुदाज जांघों के बीच उडेल दी..,
अब भोला उसकी चूत प्रदेश को चाटने वाला है, ये ख्याल मन में आते ही लाजो की वासना अपने चरम पर पहुँच गयी, इसी एहसास ने उसकी मुनिया को रस छोड़ने पर मजबूर कर दिया…!
भोला किसी भूखे भेड़िए की तरह उसके यौनी प्रदेश पर पड़ी रबड़ी पर टूट पड़ा…,
एक तो मीठी रबड़ी, उपर से लाजो की सफाचट गोरी-गोरी जांघों के बीच उसकी चिकनी चूत, भोला को जन्नत का मज़ा दे रही थी..,
जैसे ही राबड़ी की उपरी सतह उसने चाट ली, तब उसे लाजो की चूतरस का मिश्रित स्वाद मिला, खट्टे-मीठे स्वाद को वो पूरी तन्मयता से चटकारे ले-लेकर चाटने लगा…
जब उसकी जीभ नीचे से लेकर उपर को उसकी चूत के होंठों को रगड़ते हुए जाती, लाजो बुरी तरह से सिसक पड़ती… सस्स्सिईईई….
आअहह….उउउंम्म…मेरे राजा…
खा जाओ मेरी चूत को…उउउफ़फ्फ़…म्म्माआ….कितना मज़ा है इसमें…चाटो, और ज़ोर्से…हहुउऊंम्म…
अच्छी तरह से चूत चाटने के बाद भोला ने लाजो को पलटा दिया, उसके मुलायम उभरे हुए चुतड़ों की मनमोहिनी सुंदरता देख कर भोला ने उनमें अपने दाँत गढ़ा दिए…,
आआयईी…म्म्माआ… काटो मत भोला.., दर्द होता है.., सिसक कर लाजो बोल पड़ी..
भोला उसकी चिकनी गान्ड, कमर और फिर चौड़ी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला – आअहह… तू बहुत सुंदर है लाजो.., मेने आज तक तेरी जैसी औरत नही चोदि…!
लाजो उन्माद में डूबे स्वर में बोली – तो अब चोदो मेरे राजा.., इंतजार किस बात का कर रहे हो.., मेरी चूत में आग जल रही है, उसे अपने मीठे जल से बुझा दो भोला…!
भोला – अब इतनी देर इंतजार किया है तो थोड़ा और सही, इस बची-खुचि रबड़ी को तेरे पूरे बदन का स्वाद लेकर ही ख़तम करूँगा…, उसके बाद चोदने का मज़ा ही अलग होगा…!
लाजो अपनी गर्दन घूमाकर बोली – बड़े स्वार्थी हो, मेरे लिए थोड़ा सा भी नही बचाओगे…?
भोला – क्या तू भी खाएगी ? चल कोई ना छोड़ दूँगा तेरे लिए भी, इतना कहकर उसने रबड़ी की धार उसकी पीठ से लेकर उसकी गान्ड तक फैला दी, और उसे उपर से लेकर नीचे तक चाट’ता चला गया…!
लाजो किसी मछली की तरह उसके नीचे तड़पति रही, सिसकती रही, फिर जैसे ही वो उसकी गान्ड तक आया, लाजो के कूल्हे स्वतः ही उपर को उठ गये…!
रबड़ी के साथ-साथ भोला उसके दोनो पर्वत शिखारों को भी दाँत गढ़ा देता, जिस’से लाजो सिसक पड़ती…!
'उसे आज से पहले इतना मज़ा कभी नही आया था…, इसी मज़े के चलते उसने अपनी जांघें खोल दी, नतीजा गान्ड की दरार में काफ़ी जगह बन गयी, जिसमें ढेर सारी रबड़ी समा गयी…!
लेकिन चटोरा भोला भला कहाँ छोड़ने वाला था, उसकी चटोरी जीभ ढूंड-ढूंड कर रबड़ी चाटने लगी…!
भोला की जीभ लाजो की गान्ड की दरार से रबड़ी निकाल निकाल कर चाट रही थी, वहीं लाजो का उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो रहा था..,
उसने अपने होंठों को कस कर दाँतों के बीच दबा रखा था वरना वो बुरी तरह से चीखने चिल्लाने पर मजबूर हो जाती..,
फिर भी जब जब भोला की जीभ उसके गान्ड के छेद के उपर से गुजरती, उसकी सिसकी निकल ही जाती.., जब उसकी सहन शक्ति जबाब दे गयी तो उसकी मुनिया बहने लगी,
लाजो सिसक कर बोली – आहह…सस्सिईइ…उउउफ़फ्फ़..भोला अब चोदो मुझे प्लीज़, अब सबर नही हो रहा मुझसे !
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