RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
ये हो सकता है वो नुस्ख़ा हर किसी को फ़ायदा नही पहुँचाता हो…!
लाजो – तो अब मे क्या करूँ..? कुछ और उपाय बताइए ना, बस एक बार शंकर भैया से करवाने दो.., शायद कुछ बात बन जाए, अब तो वो अच्छे-ख़ासे जवान हो गये हैं…!
रंगीली – कैसी बातें करती हो बहू.., भला कोई माँ अपने बेटे से ये कहे कि तू इसको चोद दे…!
लाजो – आप बस उनको थोड़ा सा इशारा करदो, मेरी बात सुनने के लिए, वाकी सब मे देख लूँगी…!
रंगीली – बात तो वो सबसे ही करता है, इसमें मेरे कहने की क्या बात है..? क्या वो तुमसे बात नही करता..?
लाजो – नही वो, मेरी बात मानने के लिए कहो ना.., वो तो दूर-दूर ही भागते हैं…!
रंगीली – तुमने एक-दो बार उसके साथ ज़ोर जबदस्ती की है ना, इसलिए उसे डर लगता है तुमसे, कहीं किसी को पता चल गया, तो वो तो बेचारा जाएगा ना काम से..,
कल्लू भैया उसके हाथ-पैर तुडवा देंगे…, ना बाबा ना, तुम खुद ही कोशिश करो कुछ और…!
लाजो – और क्या कोशिश करूँ.., मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा..?
रंगीली – मे क्या बताऊ.., थोड़ा हवेली से बाहर निकलना शुरू करो, दुनिया बहुत बड़ी है…, कोई ना कोई हल निकल ही जाएगा…!
ऐसी ही कुछ पट्टी पढ़ाकर वो अपने काम में लग गयी.., इधर लाजो उलझन में खड़ी सोचने लगी, कि करे तो क्या करे…!
ससुर के लौडे से तो अब कुछ होने से रहा, लगता है अब कुछ और ही सोचना पड़ेगा.., इस रंगीली के तो भाव बढ़े हुए हैं, लगता है अब हवेली से बाहर निकालना ही पड़ेगा..,
ये सोचकर उसने अपने मायके जाने का प्लान बनाया, जहाँ उसके कुछ पुराने यार थे, जो शायद उसकी चूत को फिर से हरा कर सकें…!
लेकिन वो वहाँ पहले ही बदनाम हो चुकी है, अब अगर किसी ने देख लिया, तो बात हवेली तक आ सकती है.., नही.. नही..वहाँ ठीक नही है.. तो फिर…,
यहीं इसी गाओं में किसी को देखती हूँ..ऐसा पक्का इरादा करके वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी…!
उसने वहीं हवेली में काम करने वाली एक नयी नौकरानी मुन्नी को पकड़ा जो उसी गाओं की लड़की थी, और उसे लेकर वो गाओं घूमने निकल पड़ी…!
रामू का बड़ा भाई भोला, कम अकल ज़रूर था, लेकिन देखने में रामू से अच्छा लगता था, शरीर से भी उस’से 21 ही था, मस्त मालांद मजबूत कद काठी…अपने जानवरों के साथ पड़ा रहता था…!
ऐसे लोग शारीरिक कद से अक्सर मजबूत ही मिलेंगे, बिना कुछ सोच विचार के बस मेहनत करने में जुटे रहते हैं…
अब घर में चार पैसे बढ़ने से उनके ख़ान-पान में भी सुधार आ गया था, गे भैंसॉं के दूध दही का खाना मिलने लगा था, जो अब तक दूधिया के यहाँ जा रहा था…
इस समय वो अपने शरीर पर मात्र एक लूँगी पहने अपने बाडे में काम कर रहा था, जब लाजो मुन्नी के साथ घूमते हुए वहाँ पहुँची…!
मुन्नी ने बताया कि ये रंगीली काकी के जानवरों का बाडा है, तो उत्सुकता बस लाजो वहाँ खड़ी होकर देखने लगी, तभी उसकी नज़र मात्र एक लूँगी में काम कर रहे भोला पर पड़ी…!
लाजो ने उससे उसके बारे में पुछा, तो मुन्नी ने कहा – ये शंकर के ताऊ हैं, रामू काका से बड़े,
बेचारे कम अकल हैं इसलिए गे भैंसॉं के काम में ही लगे रहते हैं, शादी भी नही हुई इनकी…!
तभी भोला की नज़र भी उन दोनो पर पड़ी, उसने नादानी से हँसते हुए कहा – अरे..मुनिया .. ये कॉन है..? तेरी कोई रिश्तेवाली हैं..?
मुन्नी – अरे नही काका, ये तो अपने सेठ जी की छोटी बहू हैं..,
लाजो भोला के मेहनती शरीर को ही देखे जा रही थी, उसने उसके लूँगी के पीछे सोए हुए हिलते लंड का भी जायज़ा ले लिया,
उसने देखते ही भाँप लिया, कि लूँगी के पीछे छुपा ये हथियार कम दमदार नही है…!
38-40 साल के इस मुस्टंडे के लंड में बहुत दम होगी, ज़्यादा चला भी नही होगा.., उपर से कम अकल है, थोड़ी सी कोशिश करने पर ये उसके काम आ सकता है..
अपने इन्ही ख़यालों में खोई लाजो बाडे के अंदर चली गयी, और भोला से बोली – भोला जी, तुम अपने भाई के साथ क्यों नही रहते…,
वो वहाँ हवेली में मौज करते हैं, और तुम यहाँ तबेले में गे भैंसॉं के गोबर में सिर खपाते रहते हो…!
भोला ने सहज स्वाभाव से कहा – मुझे नही करनी किसी की गुलामी, मेरा अपना खेत खलियान है, फिर क्यों क्यों जाउ तुम्हारा काम करने…!
रामू और रंगीली ही बहुत हैं सेठ जी की ताबेदारी करने…!
लाजो को उसकी नादानी भरी अकड़ पसंद आई, लेकिन मुन्नी के कारण उसने भोला से ज़्यादा बातें नही की और वो वहाँ से चली आई…!
उसी रात जब सारी हवेली नींद में थी, सुषमा के कमरे में शंकर से लिपटी वो अपने बीते महीने की प्यास बुझने में लगी थी..,
दोनो मादरजात एक दूसरे की बाहों में पड़े थे…!
सुषमा का 4 महीने का गर्भ अब दिखने लगा था, वो शंकर के चौड़े सीने पर सहलाते हुए बोली – तो खूब मज़े किए होंगे तुमने सुप्रिया के साथ…!
शंकर ने उसकी गान्ड की दरार में उंगली घूमाते हुए कहा – हन, उसका परिवार बहुत अच्छा है, दोनो के ही परिवारों ने मुझे बहुत सम्मान दिया…
सुषमा ने अपनी एक टाँग उसके उपर चढ़ा ली, जिससे उसकी गान्ड जो अब पहले से थोड़ी भारी हो गयी थी की दरार थोड़ी ज़्यादा खुल गयी,
शंकर की उंगली अब उसकी गान्ड के छेद के आस-पास मंडरा रही थी…, इस वजह से सुषमा की चूत में सुरसुरी सी बढ़ गयी,
उसने उसके मूसल जैसे कड़क लंड के सुपाडे को अपनी गरम फांकों के बीच फँसाकर उपर नीचे घूमाते हुए कहा
तुम हो ही सम्मान के हक़दार, ये कहकर उसने उसके लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट किया और शंकर की गान्ड के पीछे हाथ लगाकर उसे अपनी ओर खींचा..!
गरम सुपाडा उसकी दहक्ति चूत में घुस गया… सुषमा सिसक उठी…
सस्सिईइ…आअहह… थोड़ा और अंदर करो..ना, जब शंकर ने उसे और अंदर कर दिया, तो वो वहीं उसे रुकने का इशारा करके बोली –
अब तुम यहीं अपने पास वाले कॉलेज में अड्मिशन ले लो, आगे की पढ़ाई ज़रूरी है इस कारोबार को संभालने के लिए…!
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