RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उसके चौड़े चक्ले सीने पर अभी रौन्ये आना शुरू हो रहे थे, एक दम सपाट पेट जिसपर कसरत के कारण एबेस बने हुए थे, पतली सी कमर, मोटी लेकिन कसी हुई जांघें, बाजुओं के मसल्स की मछलिया,
ऐसे सजीले गोरे-चिट्टे नौजवान को इस हालत में देखकर तो इंद्रालोक की अप्सराए भी उसके कदमों में आ गिरें, प्रिया तो फिर भी पृथ्वी लोक की एक साधारण नारी थी…!
वो उसकी तरफ किसी चुंबक की तरह खिचती चली गयी, और उसके चौड़े सीने पर अपने मुलायम मक्खमली हाथों से सहलाते हुए बोली –
आअहह….क्या सुंदर स्वरूप हैं तुम्हारा शंकर, कोई भी औरत इसे देखकर अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाएगी… ये कहकर उसने उसके सीने पर अपने लाल सुर्ख लाली लगे हुए होंठ रख दिए…!
शंकर का पूरा शरीर किसी बिजली के तेज झटके की तरह झन-झना गया, वो पीछे हट’ते हुए बोला – दीदी, ये आप क्या कर रहीं हैं..? मे आपका…..
वो अपना वाक्य पूरा नही कर पाया, उससे पहले प्रिया ने अपनी उंगली उसके होंठों पर टिका दी…!
उसके बदन से लिपट कर बोली – मेरी नज़र में अब तुम पहले वाले शंकर नही हो, एक बार मुझे अपनी मजबूत बाहों में कस लो शंकर,
तुम्हारे बदन की गर्मी से मे पिघल रही हूँ, मुझे संभाल लो प्लीज़…!
शंकर ने उसके कंधे पकड़ कर अपने से अलग करने की कोशिश की लेकिन वो उससे किसी जोंक की तरह चिपक गयी, फिर भी वो कोशिश करते हुए बोला –
दीदी प्लीज़ ऐसा मत करिए, मे आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ, आपके साथ वो नही कर सकता जो आप चाहती हैं…!
वो उसके बदन से चिपके हुए ही बोली – क्यों मे तुम्हें अच्छी नही लगती…?
एक भरपूर जवान और खूबसूरत औरत इस तरह किसी नये जवान लौन्डे से चिपक जाए, वो बेचारा कितनी देर तक अपने आप पर कंट्रोल कर पाएगा,
शंकर भी उसके मादक बदन की महक से अपने आप पर कंट्रोल करने में असहज महसूस करने लगा, उसका लंड अंडरवेर के अंदर सिर उठाने लगा,
जिसका एहसास प्रिया ने अपने पेट पर किया क्योंकि वो हाइट में शंकर के मुक़ाबले बहुत छोटी थी…, भले ही वो हील्स वाले संडले पहने थी…!
वो उस’से और चिपकती हुई बोली – बताओ शंकर मे तुम्हें अच्छी नही लगती..? ये कहकर वो उसकी तरफ देखने लगी…!
शंकर उसकी आँखों में देख कर बोला – आप तो बहुत सुंदर हैं किसी परी की तरह लेकिन दीदी….
उसकी बात बीच में ही काटकर वो बोली – लेकिन वेकीन छोड़ो, मुझे अपनी बाहों में भरकर मुझे प्यार करो शंकर…
आख़िरकार शंकर को हथियार डालने ही पड़े और उसके हाथ उसकी कमर पर कस गये…, उसके मुलायम मखमली पीछे को उभरे हुए कुल्हों पर कसते ही प्रिया तड़प उठी….!
आअहह…शंकर…, कराह भरते हुए उसने उचक कर उसके होंठों को चूम लिया…, उसके लंड के उभार को अपनी कमर के नीचे फील करके वो गन-गना उठी..!
शंकर का समर्पण जान वो मन ही मन खुश हो गयी, और उस’से अलग होकर बोली
– अब जल्दी से ये कपड़े ट्राइ करके देखो, हमें देर हो रही है, बहुत सारे काम हैं आज…!
15-20 मिनिट के बाद प्रिया की गाड़ी फिर से सड़कों पर दौड़ रही थी, लेकिन अब उसकी बगल में जो शंकर बैठा था, वो पहले वाला शंकर नही था,
वो इन नये मॉडर्न कपड़ों में वेदप्रकाश शर्मा के नोबल का कॅरक्टर विकास जैसा दिखाई दे रहा था.., बोले तो सिलसिला का अमिताभ बच्चन…!
उसके चेहरे पर अपने नये रूप को लेकर जो खुशी थी वो साफ-साफ दिखाई दे रही थी, वहीं प्रिया बीच-बीच में उसे ऐसी चाहत भरी नज़रों से देखती,
मानो मौका लगते ही वो उसे चट कर जाएगी..! उसके चेहरे की खुशी इस समय देखने लायक थी.., उसे किसी जगह पहुँचने की बहुत जल्दी थी, इसलिए उसकी गाड़ी की स्पीड इस समय काफ़ी तेज थी…!
अगले 15-20 मिनिट में उसकी गाड़ी एक शानदार 5 स्टार होटेल के पोर्च में खड़ी थी, वो फ़ौरन गाड़ी से नीचे आई,
उसको देखते ही, मेन गेट पर खड़ा दरबान लपक कर उसके पास आया और अदब से झुक कर उसका अभिवादन किया, उसने अपने सिर को हल्का सा झटका देकर उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए बोली – गाड़ी पार्क करवाओ…
फिर उसने उसके जबाब का भी इंतेज़ार नही किया, और शंकर का हाथ थामकर वो उसे अंदर ले गयी…!
सामने एक बड़े से शानदार काउंटर के पीछे बैठी एक निहायत खूबसूरत लड़की जो इस समय एक कसी हुई वाइट शर्ट जिसका एक बटन खुला हुआ था,
जिसमें से उसकी कसे हुए दूधिया उभारों के बीच की घाटी अपनी छटा बिखेर रही थी…
नीचे बेहद कसी हुई पर्पल कलर की स्कर्ट जो सिर्फ़ उसकी आधी जांघों तक ही आ रही थी, कसे हुए सुडौल कूल्हे मानो उस स्कर्ट को फाड़कर निकलने ही वाले हों…,
एकटक शंकर की नज़र उसकी खूबसूरती में अटक गयी, जिसे ताडकर प्रिया मुस्कुरा उठी, तभी वो लड़की अपनी जगह से खड़ी होती हुई सिर को झुका कर बोली – गुड मॉर्निंग मॅम, वेलकम सर..
प्रिया ने भी अपना सिर झटक कर मुस्कराते हुए कहा – मॉर्निंग लीना हाउ आर यू..?
लीना उसी सादगी के साथ बोली – आइ आम फाइन माँ थॅंक यू, ये कहते हुए उसने तिर्छि नज़र शंकर पर डाली…,
वो भी उसकी पर्सनलटी से प्रभावित हुए बिना नही रह पाई…, इस’से पहले की वो कुछ और बोले, तभी वहाँ दौड़ते हुए होटेल का मॅनेजर आया,
वो प्रिया के सामने अपने दोनो हाथ आगे बाँध कर खड़ा हो गया, प्रिया ने उसे कहा – मिस्टर. वाड्रा, हमारा रूम तैयार करवाओ,
कुछ देर हमें यहाँ रुकना है तबतक हम एक राउंड लेकर आते हैं, आओ शंकर…!
अपना नाम पुकारे जाने पर शंकर की तंद्रा भंग हुई, वरना वो अब तक प्रिया के यहाँ रुआब को देख कर, लोगों के उसके प्रति आदर को देखकर अपने आप को बहुत बौना सा महसूस कर रहा था…!
वो फ़ौरन उसके पीछे हो लिया, 30 मिनिट वो होटेल का राउंड लेती रही, उसके बाद वो जिस कमरे में एंटर हुई, उसे देख कर शंकर की आँखें फटी की फटी रह गयी...
वो तो अभी तक श्याम और सुप्रिया के रूम को ही सबसे खूबसूरत कमरा मान रहा था, लेकिन ये… रूम कहना ग़लत होगा, ये तो किसी राजमहल का एक हिस्सा नज़र आ रहा था…!
वो किनकर्तव्याबिमुड सा उसे चारों तरफ घूम-घूमकर उसे देख रहा था, तभी प्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली –
क्या देख रहे हो शंकर प्यारे, ये रूम ही नही समुचा होटेल ही मेरा अपना है,
शंकर ने चोन्क्ते हुए कहा – क्या, सच में दीदी ये सब आपका अपना है…?
प्रिया उसके बेहद नज़दीक जाकर लगभग उसके साथ सॅटकर खड़ी हो गयी, उसने थोड़ा उचक कर शंकर के होंठों को चूम लिया, और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली –
ये तो मेरी प्रॉपर्टी का एक छोटा सा हिस्सा है शंकर लेकिन जबसे तुमने मेरी जान बचाई है, उस दिन तुम्हारी मर्दानगी देखकर मुझे अब किसी चीज़ में इंटेरेस्ट नही रहा…!
बस हर पल तुम्हें अपनी बाहों में लेने के ख्वाब देखती रहती हूँ, मुझे अपनी मजबूत बाहों में लेकर मसल दो शंकर, तुम्हारे एक पल के प्यार के लिए ऐसे 10 होटेल कुर्बान मेरी जान…!
शंकर ने उसके कंधों पर अपने हाथ रखकर उसे अपने से अलग किया, उसके आगे हाथ जोड़कर बोला –
मे बहुत छोटे घर का बच्चा हूँ दीदी, आपके पिताजी के यहाँ एक अदना सा नौकर हूँ, मेरे लिए आपके प्रति ऐसे ख़याल अपने मन में लाना भी पाप है…
आपने मुझे यहाँ लाकर जो इज़्ज़त दी, इतने अच्छे-अच्छे कपड़े दिलवाए उसके लिए मे आपका दिल से अभारी हूँ, अब आप प्लीज़ मुझे सुप्रिया दीदी के यहाँ छोड़ दीजिए…!
प्रिया ने उसके जुड़े हुए हाथ पकड़ लिए और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली – नौकर होगे तुम मेरे पिता के, मेरे लिए तो तुम मेरे ड्रीम हीरो हो शंकर…
अगर तुम यहाँ से मुझे बिना प्यार किए चले गये तो मे यहीं अपनी जान दे दूँगी..,
इतना कहकर उसने झटके से सेंटर टेबल पर रखे एक चाकू को उठा लिया और उसे अपनी कलाई पर रख लिया………….!
उसकी इस हरकत को देख कर शंकर के तिर्पान काँप गये, उसने फ़ौरन उसके हाथ से वो चाकू झपट कर दूर फेंक दिया, और उसे अपनी बाहों में भरकर अपने सीने से लगाते हुए बोला….
ये क्या अनर्थ करने जा रही थी आप, अगर इस ग़रीब का प्यार आपको खुशी दे सकता है तो हाज़िर हूँ आपके सामने जो करना है कर लीजिए मेरे साथ, उफ्फ तक नही करूँगा…!
प्रिया उसके सीने से लगकर सुबक्ते हुए बोली – मे तुम्हारी मजबूरी नही प्यार पाना चाहती हूँ शंकर, अगर तुम्हारी अंतरात्मा नही चाहती तो जाने दो, मे अपने सपनों का गला घोंट लूँगी…
मान लूँगी, जो मेने अतीत में अपने व्यवहार से लोगों को दुख पहुँचाए हैं, उनकी ये सज़ा मिली है मुझे…, मे तुम्हारे प्यार के लायक ही नही हूँ…!
शंकर ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – आख़िर आप मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहती हैं…?
आपको पता नही है, मेरे दिल में हमेशा से आपके लिए एक बड़ी बेहन का दर्जा रहा है, अब आप ही बताइए मे वो सब आपके साथ कैसे कर सकता हूँ..?
मे तो नादान हूँ, अभी बच्चा ही हूँ, आप तो समझदार हो, मुझसे उम्र बहुत बड़ी हो, फिर्भी ये ज़िद कर रही हो…!
प्रिया उसकी बातों को गौर से सुनती रही, फिर जब उसकी बात ख़तम हुई तो वो बोली – वेल ! तुम मुझे अपनी माँ समान बड़ी बेहन मानते हो, लेकिन अपनी बड़ी बेहन को दुखी छोड़कर चले जाना चाहते हो…
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