RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने कमीज़ अपनी पीठ पर डाल ज़रूर ली थी, लेकिन उससे उसका आगे का पूरा हिस्सा ढक नही पाया था, सुप्रिया उसके कसरती बदन को निहारते हुए बोली –
मे ये जानने के लिए आई थी कि तुम्हें कहीं कोई चोट तो नही आई, और काकी मेने इसे रोकने की कोशिश भी की, लेकिन इसने मेरी आवाज़ जैसे सुनी ही नही थी, कहीं वो सांड़ तुम्हें दबोच लेता तो…?
रंगीली उसकी आँखों की भाषा को पहचानते हुए बोली – ये आपकी नेक नीयती है बेटी जो आपको मेरे बेटे की फिकर थी, लेकिन आप ये तो सोचो, अगर ये उसके सामने नही आता तो क्या होता…?
सुप्रिया – हां सो तो है, वो सांड़ प्रिया दीदी को मार ही डालता, वैसे शंकर तुम्हें उस सांड़ से डर नही लगा…?
शंकर – डर से बड़ा मेरे सामने मेरा फ़र्ज़ था जिसके लिए मेने अपनी जान को दाँव पर लगा दिया, और देखो मे जीत भी गया…!
सुप्रिया उसकी बाजू की मछलियो को दबा-दबाकर देखते हुए बोली – वैसे काफ़ी अच्छी बॉडी सौदी बना ली है तुमने, आइ लाइक इट…!
उसके बाद के शब्द रंगीली की समझ में तो नही आए, लेकिन उसकी आँखों की भाषा उसकी खूब समझ में आ रही थी, सो अपनी बेटी से बोली – चल सलौनी दादी के पास चलते हैं, उनसे थोड़ा काम है मुझे…!
सलौनी – तू जा माँ, मुझे भैया से मत के कुछ सवाल पुच्छने हैं..
रंगीली – अरी करम्जलि, देख नही रही वो कितना थक गया है, रात को पुच्छ लेना, चल अभी आते हैं ज़्यादा देर नही लगेगी…!
ये कहकर उसने सलौनी का बाजू पकड़ा और लगभग उसे खींचती हुई कमरे से बाहर ले जाने लगी, उन्हें वहाँ से जाते हुए देख सुप्रिया बोली – अच्छा काकी मे भी चलती हूँ, यू टेक केर शंकर…!
रंगीली उसका हाथ पकड़कर बोली – अरे आप बैठो बेटी, बातें करो, हम बस अभी आते हैं, इतने दिनो बाद आई है, फिर ना जाने कब-कब आना होगा..!
इतना बोलकर वो सलौनी को लेकर अपने घर की तरफ निकल गयी यहाँ शंकर और सुप्रिया दोनो को अकेला छोड़कर…!
सुप्रिया उसके बाजू में अपने घुटने मॉड्कर बैठ गयी, और उसके बाजू को सहलाते हुए बोली – रंगीली काकी कितनी अच्छी हैं, जान बूझकर हमें अकेला कर दिया है ना !
शंकर – हां ! मेरी माँ आँखों की भाषा बड़े अच्छे से समझ जाती है..,
उसने आपकी आँखों की भाषा को पढ़ लिया था, इसलिए वो सलौनी को लेकर चली गयी…!
सुप्रिया साइड से ही उसके बदन से लिपटे हुए बोली – ओह शंकर.. फिर हमें भी इस मौके का फ़ायदा उठा लेना चाहिए..,
शंकर ने उसके बाजुओं के बंधन को अपने शरीर से अलग किया, और खड़े होते हुए बोला – दरवाजा खुला है दीदी, यहाँ आजकल लोग ताका-झाँकी बहुत करते हैं,
इतना बोलकर वो गेट बंद करने चला गया, जब लौटा तो सुप्रिया उससे लिपटाते हुए बोली – तुम हो ही ऐसे, हर कोई तुम्हें पाने के लिए उतावली होने लगे…!
सुप्रिया की लंबाई थोड़ी कम थी, वो शंकर के सीने तक ही आती थी, इसलिए उसने उसे किसी बच्ची की तरह अपनी गोद में उठा लिया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला- ऐसा क्या है मुझमें…?
वो उसके गले में अपनी बाहों को लपेटते हुए बोली – तुम साक्षात कामदेव का रूप हो शंकर, तुम मुझसे उम्र में बहुत छोटे हो फिर भी मे तुम्हारे ही सपने देखा करती थी…,
लेकिन तुम्हारी उमरा को देखते हुए कुच्छ कर ना सकी, अब जब तुम जवान हो गये हो, तो तुम्हें देखते ही मुझसे रहा नही गया, तुम्हें पाने की मेरी अधूरी प्यास फिर से जाग उठी,
शंकर ने उसकी आँखों में झाँकते हुए उसके कुल्हों को अपने हाथों में लेकर मसल्ते हुए कहा – आपके पति आपको प्यार नही करते..?
सुप्रिया – तुम मेरी पहली चाहत हो शंकर जिसे पति का प्यार तो क्या, दुनिया का कोई भी रिस्ता नही भुला सकता, मुझे अपनी मजबूत बाहों में समेट लो शंकर, मुझे प्यार करो मेरे सपनों के राजकुमार…!
शंकर ने वहीं उसे बिच्छावन पर लिटा दिया, और उसके ब्लाउस को उसके बदन से अलग करके, छोटी सी ब्रा में क़ैद उसके 32 के गोल-गोल उरोजो को अपनी मुत्ठियों में भरकर मसल डाला…!
उसके लोहे जैसे शख्त हाथों ने उसकी चुचियों को बुरी तरह मसल डाला, वो एक दर्द भरी कराह अपने मुँह से निकालकर बोली – आअहह…इतनी बेदर्दी से मत करो, दर्द होता है..!
शंकर प्यार से उसके निपल वाली जगह को सहलकर बोला – इसलिए तो ये अभी तक इतने छोटे हैं, लगता है जीजा जी इन्हें प्यार नही करते…!
हां राजा…उन्हें बस पैसा कमाना आता है, प्यार करना नही, इसलिए तो मे प्यासी हूँ, मुझे अपने प्यार से नहला दो… सस्सिईई…आअहह… वो मज़े से कराहती हुई बोली..
शंकर ने उसकी सारी और पेटिकोट भी उसके बदन से अलग कर दिए, छोटे-छोटे ब्रा और पैंटी में वो किसी गुड़िया की तरह बिच्छावन पर मचल रही थी,
शंकर उसके मखमली बदन को अपने कठोर हाथों से सहला रहा था, अब वो चुदाई का मास्टर बनता जा रहा था, दो-दो प्रोढ औरतों को भरपूर सुख देते-देते वो अब इस खेल का महेंद्र सिंग धोनी (कॅप्टन) बन चुका था…
सो सुप्रिया जैसी कमसिन प्यासी औरत उसके हथकंडों के आगे किसी बंदरिया की तरह नाचने लगी…!
उसने अपनी टाँगों को फैलाकर उसे अपनी गोद में उठा लिया, और उसके रसीले मद के प्यालों को चूस्ते हुए उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिए,
छोटी-छोटी, रब्बर की गेंद जैसी उसकी चुचियों को अपने मुँह में लेकर चूस्ते ही सुप्रिया मज़े के सागर में उतर गयी, अपनी आँखें बंद करके उसमें गोते लगाते हुए सिसक पड़ी,
अपनी छातीयों को और आगे करके उसे चुसवाने में बहुत मज़ा आरहा था उसे, शंकर दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चुचि को मसल रहा था,
उसके किस-मिस के दाने जैसे निपल काँच के कंचे के माफिक कड़क हो गये थे.
शंकर ने चूसना बंद करके अपने दोनो हाथों से उसके निप्प्लो को हल्के से मरोड़ दिया…!
सुप्रिया बुरी तरह सिसक पड़ी – सस्स्सिईईई…..आआहह…मेरे राज्जाअ…आआईय… करते हुए वो अपनी चूत को उसके पाजामा में उभरे हुए लंड पर घिसने लगी…!
उसकी चूत ने पैंटी को तर कर दिया, शंकर ने उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी पैंटी भी उतार दी,
छोटे-छोटे बालों से घिरी उसकी छोटी सी चूत, जिसकी माल पुए जैसी फूली हुई दोनो फांकों के बीच की दो इंच लंबी दरार को देख कर उसका लंड किसी विषधर नाग की तरह फनफनाने लगा……!!
उसकी चूत से निकले सोमरस ने पैंटी को तर कर दिया था, शंकर ने उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी पनटी भी उतार दी, उसे हाथ में लेकर अपनी नाक पर लगाया और एक गहरी साँस लेकर उसके कामरस को सूँघा…!
आअहह…क्या मस्त कस्तूरी जैसी सुगंध है.., क्या खाती हो…?
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