RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
रंगीली ने शंकर के सिर पर हाथ रखकर उसे नीचे को दबा दिया, इसका मतलब था वो अपनी चूत चटवाना चाहती है…,
फिर क्या था, इशारा पाकर चूत का चटोरा हो चुका शंकर, लग गया अपनी माँ की चूत का स्वाद लेने, और अपनी जीभ और उंगली के कमाल से 5 मिनिट में ही उसे झडा दिया…!
रोज़ की तरह जैसे ही वो उसे चोदने के लिए तैयार हुआ, रंगीली ने उसका लंड जो अब किसी रोड की तरह सख़्त हो चुका था अपनी मुट्ठी में पकड़ कर बोली –
आज नही बेटा, आज मेरा मन नही है चुदने का, तू जा उपर चौबारे में सुषमा तेरा इंतेज़ार कर रही होगी, उसकी जम के प्यास बुझा दे जा…!
शंकर अपना लंड पकड़े चूतिया की तरह अपनी माँ की शक्ल देखता ही रह गया…!
रंगीली ने उसकी गान्ड पर चपत लगाते हुए कहा – ऐसे क्या देख रहा है, जा ना, एक ताज़ी चुदि चूत तेरे इस मूसल का इंतेज़ार कर रही है, जल्दी जा…, बेचारी इंतेज़ार करते-करते कहीं नीचे ना आजाए…,
अपनी माँ की बात सुन खाली पाजामा चढ़ाकर वो वहाँ से उपर जाने वाले झीने (स्टेर्स) की तरफ दबे पाँव बढ़ गया…!
घर का चौबारा : छत को जाने वाली सीडीयों को कवर करता एक कमरा नुमा जिसमें इतनी जगह होती है कि पलग बिछाकर सोया भी जा सके,
लेकिन लाला की हवेली के चौबारे पे दो और कमरे बने हुए थे, लेकिन कोई सोने नही जाता था, क्योंकि नीचे ही इतनी ज़्यादा जगह थी कि एक बारात रह सके…!
शंकर का लंड अपनी माँ के द्वारा कलपद कर देने से बुरी तरह बग़ावत करने लगा था, वो उसे जैसे-तैसे अपनी मुट्ठी में क़ैद करके उपर चौबारे में पहुँचा…,
सुषमा उसे चौबारे में कहीं नज़र नही आई, फिर वो उसे बाहर खुली छत पर आकर ढूँढने लगा, मुँह से आवाज़ निकाल कर अपनी उपस्थिति किसी और को बताना नही चाहता था…!
अंत में कमरों के पीछे जाकर उसे सुषमा छज्लि के साथ खड़ी दिखाई दी, जो तारों भरे नीले आसमान में देख रही थी…!
बारिश के मौसम के बाद आसमान एक दम धुल सा जाता है, उसकी आभा वाकई के साल के दिनो से बढ़ जाती है…!
शंकर के दिमाग़ में शरारत सूझी, वो दबे पाँव उसके पीछे जा पहुँचा, और पीछे से ही उसे अपनी बाहों में भर लिया, उसके सोटे जैसा लंड उसकी गान्ड की दरार में घुस गया…!
अनायास ही अपने बदन को किसी मर्द की मजबूत बाहों में जकड़े जाने पर सुषमा बुरी तरह से घबरा गयी, उसका बदन थर-थर काँपने लगा…!
फिर जैसे ही उसे पता लगा कि ये मजबूत बाहें किसी और की नही उसके नये प्रेमी की हैं, उसके लंड की चुभन अपनी गान्ड की दरार में महसूस करके वो गन-गना उठी..
उसने पलट कर शंकर के होंठों पर किस करते हुए कहा – तुमने तो मुझे डरा ही दिया था…
ऐसा मत किया करो शंकर मेरे राजा, वरना किसी दिन मेरी जान निकल जाएगी.., उसकी बात पूरी होने से पहले ही फ़ौरन शंकर ने अपने तपते होंठ उसके होंठों पर टिका दिए, और एक लंबा सा किस करके बोला…
ये जान अब मेरी है, इसे ऐसे कैसे निकल जाने दूँगा मेरी जान.., ये कहकर उसने फिर से उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया…!
वो दोनो खड़े खड़े ही एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे…, सुषमा इस समय मात्र एक झीनी सी नाइटी में खड़ी थी,
बिना ब्रा के उसके उन्नत उरोज, शंकर के सीने में धन्से हुए थे जिनका मखमली एहसास पाकर उसका नाग और बुरी तरह से फुफ्कारने लगा…,
काफ़ी देर से उसकी माँ ने उसे गरम करके अधूरा छोड़ दिया था इस वजह से अब उसे सबर करना भारी पड़ रहा था,
उसका लंड फुल टाइट होकर सुषमा की नाभि को छेड़ रहा था, फिर शंकर ने उसके दोनो अनारों को अपनी मुट्ठी में लेकर कमर को नीचे किया, जिससे उसका खूँटा उसकी जाँघो के बीच कबड्डी करने लगा…!
सुषमा ने सिसकते हुए अपनी जांघें खोल दी, शंकर का मूसल उसकी मुनिया के नीचे लहराने लगा, तभी वो थोड़ा उपर को हुआ…!
कड़क लंड की रगड़ से उसकी चूत की फाँकें फैल गयी.., सुषमा को लगा जैसे वो कपड़ों समेत उसकी सुरंग में घुस रहा है..,
बुरी तरह सिसकते हुए उसने शंकर को अपनी बाहों में भर लिया और किसी जोंक की तरह उससे चिपक गयी…!
शंकर का सब्र अब जबाब दे रहा था, सो उसने आव ना देखा ताव वहीं उसकी नाइटी निकाल फेंकी, अपना पाजामा नीचे खिसका कर खड़े-खड़े ही सुषमा की एक टाँग उठाकर अपना लंड उसकी चूत में सरका दिया…
आधे लंड के अंदर जाते ही मारे उत्तेजना के सुषमा अपने एक पैर के पंजे पर खड़ी हो गयी, अपनी बाहों को उसके गले में लपेटकर वो उससे चिपक गयी…
उसका रहा सहा लंड भी उसकी सुरंग में समा गया…, उसके मुँह से एक मादक कराह निकल पड़ी…आअहह…सस्स्सिईईई….मेरे रजाअ…उउउफफफ्फ़….मार्रीइ…हाईए रामम्म… उउउफ़फ्फ़…सस्सिईई… उउंम्म..…!
उसकी मादक सिसकियों के असर से शंकर का जोश और दुगना हो गया, और उसने अपने हाथ उसकी गान्ड के नीचे लगाकर उसे अपनी गोद में उठा लिया…
अब सुषमा पूरी तरह से उसके गले से चिपकी अपनी चूत उसके लंड पर चेन्प्कर उसकी गोद में बैठी थी…!
खड़े-खड़े ही शंकर ने उसकी गान्ड पकड़कर उसकी चूत को अपने लंड पर पटकने लगा.., वो उसे किसी फूल की तरह हल्की महसूस हो रही थी…!
सस्सिईइ…आअहह…अंदर चौबारे में ले चलो शंकर, वहाँ पलंग पर ठीक रहेगा…!
लेकिन शंकर का मन एक राउंड खुले आसमान के नीचे चुदाई करने का था सो वो उसे गोद में लिए हुए उसकी मखमली गान्ड को मसल्ते हुए धक्के पे धक्के जड़ने लगा…!
10 मिनिट में सुषमा की चूत पानी छोड़ बैठी, झड़ने के बाद उसने अपने पैर नीचे लटका दिए…!
शंकर अब औरत के इशारों को बड़े अच्छे से समझने लगा था, उसे पता चल गया कि सुषमा झड चुकी है, अतः उसने उसे अपनी गोद से नीचे उतारा और उसे बिठा कर लंड चूसने का इशारा किया…!
सुषमा वहीं अपने पंजों पर बैठकर उसके लंड से खेलने लगी, अपनी चूत का कामरस उसने उसके सुपाडे पर मल दिया, फिर उसके चारों ओर अपनी जीभ से चाट कर अपने मुँह में भर लिया…,
लंड चूस्ते चूस्ते उसकी चूत फिर से रिसने लगी, शंकर ने उसे छजलि पे हाथ टिका कर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी मस्त गान्ड पर थपकी देकर अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया…!
सुषमा एक बार फिर से आसमानों में उड़ने लगी…
|