RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
रंगीली अपने होंठों का दबाब उसके लंड के चारों तरफ बढ़ाती जा रही थी, इसी से उसने अनुमान लगा लिया, कि उसके बेटे के लंड के आगे लाला का लंड भी लुल्ली ही है…!
चूस्ते चूस्ते काफ़ी देर हो गयी, वो एक हाथ से उसके पेलरे भी सहलाती जा रही थी…लेकिन फिर भी शंकर का मक्खन निकलने का नाम ही नही ले रहा था,
लंड चूस्ते चूस्ते उसका मुँह भी दुखने लगा, लेकिन ना जाने उसपर क्या धुन सवार थी, आज अपने बेटे की क्रीम खाकर ही रहेगी…
वो आधे लंड को मुँह में लेकर आधे को मुट्ठी में कस कर मूठ भी मारती जा रही थी…
आख़िरकार उसकी मेहनत रंग लाई, और शंकर ने अपनी कमर हवा में उठाकर दे दनादन पिचकारियाँ अपनी माँ के मुँह में छ्चोड़ दी…
बाप रे इतना मक्खन, उसके मुँह में समा भी नही पाया, और उसके होंठों के किनारों से निकल कर बाहर बहने लगा…!
अच्छे से चाट-चुट कर उसने उसके लंड को सॉफ किया, और पूरी मलाई अपने पेट में पहुँचा दी…
फिर अपनी गीली हो चुकी चूत को लहँगे से रगड़ कर पोन्छा, और बिना कुछ बोले ही वो अपना मुँह चुनरी से पौछती हुई वहाँ से तेज कदमों से चली गयी…!
शंकर ताज्जुब भरी नज़रों से अपनी माँ को बिना कुछ कहे जाते हुए देखता ही रह गया………….!
आज उसे अपनी माँ के इस नये रूप को देख कर हैरत हो रही थी.., लेकिन जैसे ही उसे कुछ देर पहले की घटना का ध्यान आया, वो रोमांच से भर उठा.
अपनी माँ के द्वारा प्राप्त हुए इस अलौकिक आनंद के बारे में वो सोचने लगा, इससे बड़ा आनंद का क्षण आज तक उसकी अबतक की उम्र में कभी नही मिला था...,
लेकिन वो जानता था कि ये एक अनैतिक कार्य है, जिसे केवल वो स्त्री पुरुष ही कर सकते हैं जो सार्वजनिक जीवन में पति-पत्नी होते हैं, पर ये तो उसकी माँ के द्वारा…???
लेकिन जो भी हो, आज उसकी माँ ने एक नये और अलौकिक आनंद से उसका परिचय करा दिया था, इसके लिए उसके दिल में अपनी माँ के प्रति और ज़्यादा प्रेम और समर्पण के भाव पैदा हो गये…!
उधर अपनी हवस के हाथों बेवस रंगीली ये दुष्कर्म अपने बेटे के ही साथ कर बैठी थी, लेकिन उसके लंड की मलाई पीने के बाद जब उसे होश आया, तो बहुत देर हो चुकी थी…
पर थी तो वो भी एक भरपूर जवान नारी ही, उसकी वासना की आग अभी शांत कहाँ हुई थी, वो तो और बुरी तरह से भड़क चुकी थी, जिसे जल्दी ही शांत नही किया गया, तो ना जाने वो क्या कर बैठे…
कुछ और अनर्थ ना हो जाए इसलिए वो अपने बेटे के पास से तो चली गयी थी, लेकिन तन बदन में भड़की आग को बुझाने का तो कोई उपाय करना ही था, सो वो उसी को बुझाने का इंतज़ाम करने लाला जी की बैठक की तरफ बढ़ गयी…
आज उसकी रस गागर हद से ज़्यादा ही छलक रही थी, उसका लगातार छल्कना उसे परेशान किए दे रहा था, बार बार वो उसे अपने लहंगे में दबाकर सुखाने की कोशिश करती, लेकिन कुछ पलों बाद ही वो फिर से गीली होने लगती…
शायद ये उसके अपने बेटे के ताक़तवर लंड के एहसास और उसकी भर पेट मलाई का असर था…!
भाग्यवस लाला जी उसे बैठक में अकेले ही मिल गये, जो उसी का इंतेज़ार कर रहे थे, उसे देखते ही लपक कर उन्होने उसे बाहों में भर लिया…!
दो प्यासे जिस्म इस कदर लिपट गये मानो बरसों के बिच्छड़े प्रेमी मिले हों…!
ना जाने क्यों आज लाला भी बहुत उत्तेजित दिखाई दे रहे थे, वक़्त बर्बाद ना करते हुए उन्होने रंगीली को गद्दी पर पटक दिया,
और बिना सारे कपड़े निकाले ही उन्होने उसका लहंगा कमर तक चढ़ाया, और अपना गरमा-गरम लंड उसकी पहले से ही गीली चूत में पेल दिया…!
आआहह….धरमजी, धीरे पेलो रजाअ….सस्सिईइ….माआ….इतने उतावले क्यों हो रहे हो आज…?
लाला जी ने पूरा लंड चेन्प्ते हुए कहा – अरे क्या बतायें रंगीली रानी, कुछ देर पहले ही हमने किसी को अपनी चूत में उंगली करते हुए देख लिया, बस तभी से हमारा लॉडा बैठने का नाम ही नही ले रहा…!
रंगीली सिसकते हुए बोली – सस्स्सिईइ…तो चोदो.. और ज़ोर्से, बुझालो अपने लंड की प्यास…आअहह…और तेज..हाईए… बड़ी चुदास चढ़ि है आपको…पर वो थी कॉन..?
हुउन्ण..हुउंम…मत पुछो…कॉन थी… हम बता नही पाएँगे… लाला धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए बोले…
रंगीली अपनी कमर को उचका-उचका कर पूरा लंड जड़ तक लेने की भरसक कोशिश कर रही थी, उसकी चूत में आज भयंकर आग लगी हुई थी…,
सो एक बार झड़ने के बाद भी उसके जोश में कोई अंतर नही आया…, फिर खुद ही उसने लाला को अपने नीचे ले लिया, और उनके लंड की सवारी करते हुए बोली –
कोई घर की ही औरत थी क्या..? लाला के मुँह से बस हुउऊन्ण..ही निकला, और वो नीचे से धक्कों का साथ देते हुए रंगीली की चूत में झड़ने लगे…!
उनके साथ ही वो भी अपना पानी फेंक कर उनके उपर पसर गयी…!
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