RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सपने की बात सुनकर रंगीली समझ गयी, कि रात उसके बेटे ने कोई ऐसा हसीन सपना देखा है, जिसे देख कर वो अपनी उत्तेजना पर काबू नही कर पाया और उसका वीर्य छूट गया…!
अब उसकी जिग्यासा और बढ़ गयी ये जानने की, कि आख़िर उसने सपने में ऐसा क्या देखा जो वो इतना उत्तेजित हुआ होगा…?
उसने फिलहाल उसे इस बारे में ज़्यादा कुछ नही कहा और बोली – चल ठीक है, अभी नही पुछति इस बारे में, तू जल्दी से उठ स्कूल जाना है, सलौनी आती ही होगी…
अभी ये शब्द उसके मुँह से निकले ही थे कि बाहर से सलौनी की आवाज़ सुनाई दी…भैया…, कहाँ हो…?
बड़ी लंबी उमर है इस लड़की की, नाम लेते ही हाज़िर, चल जल्दी उठ बेटा, वरना वो इधर आ धम्केगि…, रंगीली ने उसे बाजू पकड़कर उठाते हुए कहा!
उसे उठाकर उसने सलौनी को आवाज़ दी, आई बेटा, तेरे इस सांड़ भाई को उठा रही थी, बाहर आते आते उसने कहा..
सलौनी – क्या..? भैया अभी तक सो रहा है..? ये आज उल्टी गंगा कैसे बहने लगी, ऐसा तो आज तक नही हुआ मा…?
रंगीली – तू ही देखले, जैसे जैसे बड़ा हो रहा है, आलसी होता जा रहा है तेरा भाई…
खैर तू बैठ मे तेरे लिए कुछ खाने को लाती हूँ, आज इस लड़के के चक्कर में सब कुछ भूल गयी, ये कहकर वो कमरे के एक कोने की तरफ बढ़ गयी जहाँ खाने पीने का समान रखा था…!
थोड़ा बहुत नाश्ता करके भाई बेहन स्कूल निकल जाते हैं, उधर रंगीली अपनी गीली चूत लेकर सोचने लगी, हाए राम शंकर का हथियार तो अभी से कैसा तगड़ा हो गया है…!
मे तो लाला जी का ही समझ रही थी कि इससे बड़ा भला किसी का क्या होता होगा, इसका तो अभी बिना किसी की चूत में गये ही ऐसा है, जब चलने लगेगा तो क्या होगा ?……
ये सोचकर ही उसके शरीर में सनसनी सी फैल गयी, ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपनी गीली चूत पर चला गया जो ये सोचकर और ज़्यादा गीली हो गयी थी,
अपने ही बेटे के बारे में इस तरह से सोचना उसे कुछ अजीब सा लगा, लेकिन वो अपनी चूत की सुरसूराहट की आगे बेबस थी जो लगातार बह-बहकर उसको परेशान किए हुए थी,..
अब उसे किसी भी तरह लंड मिलना चाहिए था, जिससे उसके पानी को अच्छे से निकलवा सके, ये सोचकर वो लाला की गद्दी की तरफ चल दी…!
बैठक के बाहर से ही उसे अंदर से कई सारे लोगों की आवाज़ें सुनाई दी, वो उल्टे पाँव लौट गयी, और खेतों की तरफ अपने पति रामू के पास चल दी…
रामू इस समय एक खेत में कुछ काम कर रहा था, उसके साथ और भी मजदूर लगे थे, रंगीली को खेतों की तरफ आते हुए देखकर वो उसकी तरफ लपका…
इशारे से उसे पास ही बनी झौंपड़ी की तरफ आने के लिए कहा…!
इशारे को समझ रामू भी उसके पीछे-पीछे लपका, वाकी के मजदूर अपनी धोती के अंदर अपने अपने लौडे को मसालते ही रह गये, ये सोच सोच कर कि काश इस रामू की जगह वो होते…,
रामू तो बेचारा उसके हुकुम का गुलाम था, सो कई दीनो बाद मिली अपनी रसीली पत्नी की चूत पाकर धन्य हो गया…!
रंगीली की मटकती गान्ड का पीछा करते हुए उसका लंड खड़ा हो गया…
झोंपड़ी में पहुँचते ही रंगीली ने फटाफट अपना लहंगा उपर चढ़ाया, और टाँगें चौड़ी करके ज़मीन पर पड़े पुआल पर उसके आगे लेट गयी,
अपनी बीवी की गीली चूत देखकर रामू का 6” लंबा लॉडा और अच्छे से खड़ा हो गया, उसने उसकी गोरी-गोरी मुलायम जांघें सहलाते हुए उसे उसकी चूत में उतार दिया…
छोटे कद का रामू उसके उपर मेढक की तरह फुदक फुदक कर उसे चोदने लगा,
रंगीली के प्रयासों से वो कुछ हद तक इस काबिल हो गया था, कि उसका पानी निकलवा देता था..!
सांड़े के तेल की मालिश से उसका लंड लंबा तो ज़्यादा नही हुआ था, लेकिन मोटाई ज़रूर अच्छी ख़ासी हो गयी थी, सो अब वो उसकी चूत में कसा कसा जा रहा था…
रंगीली भी अपनी कामुक सिसकियों से उसे और ज़्यादा उत्तेजित करती हुई, अपनी कमर उचका-उचका कर चुदवाने लगी…!
आअहह…सस्सिईईई….और ज़ोर्से चोदो मेरे राजा…हाआंणन्न्…ऐसे ही, उउफ़फ्फ़…. मेरे दूधों को मस्लो… ज़ोर्से…और.. पेलो….आआयईी….उउउफ़फ्फ़…बहुत मज़ा आरहा है..हुउंम्म…
रामू अपनी पूरा दम-खम लगाकर अपनी लुगाई को तृप्त करने के प्रयास में जुटा रहा…!
15 मिनिट बाद अपनी चूत की गर्मी निकल्वाकर वो वहाँ से हवेली की तरफ लौट गयी…,
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