RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
बुधिया की बात सुनकर, सेठ जी ने एक अर्थपूर्ण नज़र से अपने मुनीम की तरफ देखा, और फिर बड़े ही अप्नत्व भाव से बोले –
देखो बुधिया, तुम्हारी बेटी इस गाओं की बेटी, अब हमारा संबंध इस गाओं से भी है, तो बेटी की शादी में मदद करना हमारा भी कुच्छ फ़र्ज़ बनता है..
अगर तुम्हें कोई एतराज ना हो, तो हम तुम्हें वो रास्ता बता सकते हैं, जिससे तुम्हारे उपर कोई भार भी ना पड़े, और लड़की भी एक सुखी परिवार में पहुँच जाए…
सेठ की बात सुनकर बुधिया को लगा कि आज उसके यहाँ सेठ के रूप में साक्षात भगवान पधारे हैं, सो उनके हाथ जोड़कर बोला – वो क्या रास्ता है सेठ जी,
अगर ऐसा हो गया तो जीवन भर में आपके चरण धो-धोकर पियुंगा…
सेठ जी मुस्कुरा कर बोले – अरे नही भाई, ये तो हम गाओं की बेहन-बेटी के नाते कर रहे हैं..., तुम्हारी बेटी सुखी रहे बस…
हमारे गाओं के रामलाल को तो तुम जानते ही होगे, अरे वोही जिसका बेटा रामू रेलवे में नौकरी करता है,
उसके पास कुच्छ ज़मीन जयदाद भी है, तुम्हारी बेटी राज करेगी वहाँ…
अगर हां कहो तो हम रामलाल से बात चलायें,
बुधिया - पर सेठ जी, वो लड़का तो कद में छोटा है, और कुच्छ रंग भी हेटा है..मेरी बेटी रंगीली तो उससे ज़्यादा लंबी है और रंग की भी बहुत सॉफ है, जोड़ी कुच्छ अजीब सी नही लगेगी.
सेठ जी – देखलो भाई, हमने तो सोचा था, रामलाल भी अपना आदमी है, तुम भी हमारे अपने ही हो, लेन-देन की कोई बात नही रहेगी,
और रही बात बारातियों की खातिर तबज्ज़ो की, अगर तुम ये रिस्ता मंजूर करते हो, तो उसका खर्चा एक बेटी के कन्यादान स्वरूप हम अपनी तरफ से उठा लेंगे…!
इतना अच्छा प्रस्ताव सुनकर बुधिया सोच में पड़ गया, अब वो सोचने लगा कि चलो थोड़ा बहुत जोड़ा 19 -20 भी हो तो क्या हुआ,
4 बच्चों में से एक लड़की का जीवन तो संवर जाए, और सेठ जी की कृपा से शादी भी फोकट में हो जाएगी… !
सेठ – किस सोच में पड़ गये बुधिया, भाई मुझे तो अपने लोगों की चिंता है इसलिए इतना कहा है, वरना मुझे क्या पड़ी… तुम्हारी लड़की जब तक चाहो घर में बिठाकर रखो…
बुधिया – नही ऐसी बात नही है सेठ जी, आप तो हमारे अन्न दाता हैं, मे रंगीली की माँ से एक बार बात करके आपको जबाब देता हूँ, वैसे आप मेरी तरफ से तो हां ही समझो…
उसकी बात सुनकर सेठ के मन में लड्डू फूटने लगे, उसको पता था, कि इतने अच्छे प्रस्ताव को ये ग़रीब आदमी ठुकराने से रहा और रामलाल वही करेगा जो हम कहेंगे…
सेठ – अच्छा तो बुधिया हम चलते हैं, अपनी पत्नी से बात कर्लो, फिर तसल्ली से बता देना, उसके बाद ही हम रामलाल से बात करेंगे, ठीक है..
बुधिया हाथ जोड़कर – जी सेठ जी राम – राम…..
दो महीने बाद ही रंगीली रामू की पत्नी के रूप में शादी करके सेठ के गाओं आ गयी,
अब यहाँ रामू के घर परिवार के बारे में बताना भी ज़रूरी है…
रामलाल के भी 4 बच्चे थे, दो बेटियों की शादी करदी थी जो रामू से बड़ी थी…
सबसे बड़ा एक लड़का और है भोला नाम का जो कम अकल, किसी काम का नही बस गाय भैसे चराने के मतलव का ही है…
कम अकल होने की वजह से कोई अपनी लड़की ब्याहने को तैयार नही हुआ सो बेचारा कुँवारा ही रह गया…
रामू सबसे छोटा था, जो बचपन से काम के बोझ का मारा, ज़्यादा लंबा ही नही हो पाया, यही कोई 5 फुट के आस-पास ही रह गया, जबकि रंगीली की हाइट 5’4” के करीब थी…
पक्का रंग, रेलवे यार्ड में खल्लासी का काम करता है, सारे दिन माल गाड़ियों से समान ढोते-ढोते बेचारे की शाम तक कमर लचक जाती है, ब मुश्किल दो दिन की छुट्टी लेकर दूल्हा बना था…
रंगीली की सखी सहेलियाँ दूल्हे को देख कर कुच्छ दुखी हुई, बेचारी के भाग ही फुट गये, हम सब सहेलिओं में सुंदर है,
और इसका दूल्हा…, अब होनी को कॉन टाल सकता है, भाग में जैसा लिखा है, होकर रहता है… पर चलो जीजा जी कुच्छ कमाते तो हैं…, रंगीली सुखी रहेगी.
खैर रंगीली ने अपने दूल्हे की सुंदरता के बारे में अपनी सहेलियों से ही सुना, देखने का मौका उसे सीधा उसकी सुहाग रात को ही मिला वो भी शादी के तीन दिन बाद सारे देवी-देवताओं की मान-मुनब्बत करने के बाद…
वो भी एक छोटी सी केरोसिन की डिब्बी के उजाले में, सो सही सही अनुमान भी नही लगा कि रंग काला है या पीला.. हां थोड़ी लंबाई ज़रूर कम लगी…
फिर जब सेज सैया पर (एक चरमराती चारपाई) नये बिच्छावन के साथ, पति के साथ संसर्ग हुआ… तो उसे बड़ा झटका सा लगा…
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