Antarvasna Sex kahani मायाजाल
10-16-2019, 01:36 PM,
#12
RE: Antarvasna Sex kahani मायाजाल
वह क्या और किसका दृश्य है । यह तक समझ में नहीं आ रहा था । स्क्रीन पर एक मिनट देखना मुश्किल हो रहा था । और वह बेबकूफ़ इस तन्मयता से देख रहा था । मानों कैटरीना कैफ़ सेक्सी डांस कर रही हो ।
वह समझ गयी । यदि वह एक घण्टा भी वहाँ बैठी रहती । तो भी प्रसून उसकी तरफ़ ध्यान देने वाला नहीं था । सो यदि उसे मौके का फ़ायदा उठाना था । तो उसे ही कुछ करना था । उसने बैचेनी से पहलू बदला ।
और बोली - एक्सक्यूज मी । प्रसून जी ! मैं आपको डिस्टर्ब तो नहीं कर रही । ऐसा हो तो मैं फ़िर चली जाऊँ । एक्चुअली मुझे जस्सी के बारे में बङी फ़िक्र है । उसकी कुछ जिज्ञासा सी थी । प्लीज डोंट माइण्ड ।
वह मानों सोते से जागा । और तुरन्त उसकी तरफ़ आकर्षित सा हुआ । वास्तव में यह उसकी असभ्यता थी । एक महिला उसके पास बैठी थी । और वह उसे उपेक्षित कर रहा था ।
- नो नो । वह अफ़सोस सा करता हुआ बोला - इनफ़ेक्ट गलती मेरी ही थी । असल में जो मैं देख रहा था । वह बीच में था । इसलिये मैं आपको कंपनी नहीं दे पा रहा था । पर चलो । अब वह कम्पलीट हो गया । हाँ आप बोलिये ना ।
करमकौर की बाँछे खिल गयी । इसी पल का तो उसे इन्तजार था । और समय उसके पास बिलकुल नहीं था । कभी भी राजवीर आ सकती थी । जस्सी गगन आ सकती थी । कोई और भी आ सकता था । समय कभी रुकता नहीं । किसी का इन्तजार नहीं करता । और तब समय का लाभ न उठाने वाले बेबकूफ़ ही होते हैं । और वह बेबकूफ़ नहीं होना चाहती थी । कभी नहीं ।
उसने अन्दर ही अन्दर चुपके से अपने गोद के बच्चे को चुटकी भरी । जिससे पीङित हुआ सा वह रोने लगा । तब वह उसे चुप कराने लगी । और फ़िर उसने वही किया । जिसके लिये उसने यह किया ।
प्रसून को अनदेखा सा करते हुये उसने अपना विशाल स्तन खोला । और बच्चे को हिलाते डुलाते हुये वह अपने नग्न गोल स्तन की झलक देर तक उसे दिखाती रही । और फ़िर बच्चे को स्तनपान कराने लगी ।
संभवत हर स्त्री को ऐसा ही लगता है कि उसकी कामुक भाव भंगिमा उस पुरुष के सामने पहली ही बार घटित हो रही है । जिसकी वह अभिसारी नायिका बनने हेतु बेताब है । और वह अपनी ऐसी काम अदा से उसे घायल करके ही छोङेगी । तब पुरुष को उसका प्रणय प्रस्ताव मजबूरन स्वीकार करना ही होगा ।
उसकी ऐसी चेष्टा ने प्रसून को उन तमाम योग स्त्रियों की याद दिला दी । जो पहले कभी उसके अनुभव में आयी थीं
। वह अच्छी तरह जानता था । यदि उसने देखा नहीं । उसे अनदेखा करता रहा । तो वह बराबर प्रयास करती रहेगी । और व्यर्थ का समय खराब करेगी । औरत की नस नस से वाकिफ़ उस सबल योगी ने आश्चर्य और प्रशंसा के मिश्रित भावों से तब तक उसके स्तन से निगाह नहीं हटाई । जब तक उसने प्रसून को निगाह मिलाकर ऐसा करते देख नहीं लिया । तब उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव आये । और नारीत्व सौन्दर्य का गरिमा बोध भी ।
काफ़ी सुन्दर हैं आप । वह मधुर स्वर में उसे और भी संतुष्ट करता हुआ बोला - ईश्वर ने आपको फ़ुरसत से बनाया है । और सब कुछ भरपूर रूप से दिया है ।
- थैंक्स । वह शर्माकर बोली - पर हीरे की परख सिर्फ़ जौहरी ही जानता है । वही उसकी सही कीमत भी समझता है । आई थिंक । औरत को हरेक कोई नहीं समझ सकता । वह काँच के समान नाजुक होती है । यू नो ।
वास्तव में करम कौर का अपने आप से नियन्त्रण हट गया । उसे अपने भीतर अजीव सी चिपचिपाहट महसूस हुयी । वह पिघलती हुयी सी बहने लगी । क्या पुरुष था । अनोखा और कल्पना से परे । अभी उसने उँगली से भी नहीं छुआ था । और वह भावित होकर पहाङी दरार से फ़ूटते वेगवान झरने की तरह बह गयी थी । ओह गाड ! कोई योग पुरुष ऐसा भी हो सकता है । यदि कोई उसे मुँहजवानी बताता । तो उसे कभी विश्वास ही नहीं होता । पर स्वयँ के अनुभव को भला वह कैसे नकार सकती थी । अब उसे यह बहाना भी नहीं सूझ रहा था कि वह प्रसून से क्या और कैसे बात करे ।
- मैंने वो । तब अनुभवी योगी स्वयँ ही उसकी मनोदशा जानकर बोला - वो ..राजवीर जी द्वारा शूट किये जस्सी जी के वीडियो क्लिप देखे । बट मुझे ताज्जुब इस बात का है कि अकार्डिंग टू राजबीर जी सेम ऐसा ही अनुभव आपको भी हुआ । ये बङी ही अजीव बात है । और वह यानी जस्सी जी इसको आधा अधूरा ही बता पाती है । जबकि आप पूरा और ज्यों का त्यों बताती हैं । वैसे वह सब मैं सुन चुका हूँ । पर प्लीज आप कुछ और न समझें । तो मुझे फ़िर से एक बार बतायें ।
करम कौर के मानों सब अरमानों पर पानी फ़िर गया । वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अभी वही सब चाहती थी । जो गगन बता रही थी । पर एकदम ऐसा वह कह भी कैसे सकती थी । तब उसने भी गगन की तरह नमक मिर्च लगाकर उस मैटर का पूरा पूरा फ़ायदा उठाने का निश्चय किया ।
उसने एक निगाह आसपास डाली । अभी कोई नहीं था । वासना वैसे भी मनुष्य को अंधा ही कर देती है । तब यदि कोई होता भी है । तो भी नजर नहीं आता । उसे ख्याल आया । उस चक्रवात में वह एकदम नंगी भाग रही थी । और मूसलाधार पानी बरस रहा था । यहाँ वह स्वयँ खुल जाना चाहती थी । उसके प्यार की बारिश में नहाना चाहती थी । और खुद को वैसा ही आजाद महसूस करना चाहती थी । एक पूर्ण पुरुष को पाने के लिये औरत का भावनात्मक और देहात्मक पूर्ण नग्न होना आवश्यक ही है । तभी वह रीझता है । उसने अपने बच्चे को घुमाया । और दूसरा स्तन भी खोल लिया । अब उसके दोनों उरोज उसके सामने थे । और वह ऐसा प्रदर्शित कर रही थी । जैसे इस तरफ़ उसका ध्यान ही नहीं है । उसे नहीं पता था । गगन और जस्सी भी उसी तरह उसको छिपकर देख रहीं है । जैसे वह उनको सुन रही थी । पर प्रसून एकदम शान्त था । और उसके बोलने की प्रतीक्षा कर रहा था ।
- अरे प्रसून जी ! वह आँखें चौङी करके बोली - अभी क्या बोलूँ । एक तो मेरे को शर्म सी आती है । आप भी सोचोगे कि ये लेडी कैसे बोल रही है । पर डाक्टर से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिये । जिस तरह एक अच्छी सफ़ल समर्पित प्रेमिका को प्रेमी के सामने शर्म छोङकर नंगा होना ही पङता है । उसी तरह रोग ठीक कराना हो । तो डाक्टर के सामने भी नंगा होना ही पङता है । आप समझ रहे हो ना । मैं क्या कह रही हूँ । सो प्लीज । मैं आपको कोई बात संकेत में ना बताकर ज्यों की त्यों बताती हूँ ।
फ़िर वह सचमुच ही ज्यों का त्यों उस चक्रवाती तूफ़ान का वर्णन । और उसमें खुद के भागने की बात । उस टार्जन लुक युवा लङके को देखने की बात । और दरिया में अपने डूबने तक बताती चली गयी । बस उसने अपनी नग्नता की स्थिति में खामखाह का मिर्च मसाला जोङा था । जो प्रसून को स्पष्ट ही बनाबटी लगा । और एकदम झूठा लगा । पर करमकौर को इसकी कोई परवाह नहीं थी । उसे झूठा सच्चा कुछ भी लगे । उसे अपनी तरफ़ आकर्षित करना ही उसका एकमात्र लक्ष्य था ।
- सोचिये प्रसून जी सोचिये । वह होठ दबाकर रोमांचित हुयी सी बोली - मैं बेचारी यह सोच सोचकर मरी जा रही हूँ । यदि बह नाविक मछुआरा मेरी पुकार सुन लेता । और मेरे पास आता । तब वह मेरे साथ क्या बिहेव करता । ध्यान रहे । मैं बिना कपङों में थी ।
- बही । प्रसून उसकी भावनाओं को मनो सन्तुष्टि देने के ख्याल से बोला - वही करता । जो ऐसी स्थिति में एक पुरुष एक खूबसूरत भरपूर जवान स्त्री के साथ करता है । वैसे मैं उसकी नहीं जानता । पर मैं तो निश्चय ही यही करता ।
तब करमकौर के गाल शर्म से लाल हो उठे । उसे पहली बार लज्जा सी आ गयी । उसे पहली बार मानों ख्याल आया । वह अभी भी नग्न सी ही है । और तब उसने नकली हङबङाहट के साथ अपने स्तनों को कुर्ती के अन्दर कर लिया । प्रसून ने चेहरे पर आती रहस्यमय मुस्कराहट को फ़ौरन रोका । और बहुत हल्का सा सामान्य मुस्कराया ।
आसान नहीं होता । ऐसी परिस्थितियों में ठीक से काम करना । सबको सब कुछ समझा पाना भी आसान नहीं है । किसी विदेशी फ़्री सेक्स धरती की तरह पंजाब में भी काम भावना की लहरें सी बह रही थीं । और सबसे बङी बात थी कि वह इस केस में एकदम से कोई प्रभाव भी नहीं छोङ सकता था । कोई झूठे तन्त्र मन्त्र का दिखावा करने से तो उसे वैसे ही नफ़रत थी । फ़िर वह दामाद की तरह इस घर में कब तक ठहरा रह सकता था । जबकि निजी तौर पर उसकी भारी दिलचस्पी इस केस में थी ।
जस्सी उसे खुद को आकर्षित करती थी । गगन कौर बस उसके साथ सेक्स करने के ख्वाव देखती रहती थी । करम कौर तो बस मौका मिलते ही उस पर टूट पङना चाहती थी । हाँ राजवीर बेकरारी से उस पल के इन्तजार में थी । जब प्रसून इस रहस्य पर से कोई परदा उठायेगा । या कहेगा । तुम्हारी लाङली अब ठीक हो गयी । और जाने किस अज्ञात भावना से उसको ऐसी ही उम्मीद भी थी ।
सिर्फ़ बराङ साहब के लिये उसे लगा था कि वह कोई फ़ालतू का बखेङा खङा कर सकते है । और उसके काम में विघ्न पैदा कर सकते है । उन्होंने एक जवान बेटी का पिता होने के नाते प्रसून को संदेह की नजर से देखा भी था । पर यह क्षणिक भावना ही साबित हुयी थी । प्रसून की किसी को भी सम्मोहित कर देने वाली जादुई पर्सनालिटी से अगले दो मिनट में ही वह खुद को उसके आगे बौना महसूस करने लगा । उसकी अमीरी का रौब पल भर में चूर चूर हो गया । जब उसे इस लङके की हस्ती पता लगी ।
वैसे भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके बताने से नहीं स्वयँ उसकी आभा से झलकता है । जब उसे पता लगा । प्रसून कीट बैज्ञानिक है । और उसका एक पाँव रूस में तो दूसरा योरोप में अक्सर रहता है । जब उसने औपचारिकता वश ही अपने शेयर बिजनेस और रिसर्च वर्क के बारे में बहुत संक्षिप्त सा परिचय दिया । तो बराङ साहब को हिसाब लगाना मुश्किल हो गया । इसकी आमदनी कितनी हो सकती है ।
उसने उसकी आलीशन कोठी और वैभव पर एक मामूली सी निगाह डालना भी उचित नहीं समझा था । उसने उसकी आलीशान बेटी को भरपूर देखना तो दूर अभी देखने की ही कोई कोशिश नहीं की । जबकि वह दस बार उसके सामने आ चुकी थी । यह सब अनुभव किसी इंसान के प्रति होना बराङ की जिन्दगी में पहला वाकया था ।
बह कुछ ही देर पहले आया था । और औपचारिक रूप से भावहीन हल्लो बोलकर अपने पास से एक मैगजीन निकालकर उसे पढने लगा था । क्योंकि अभी बातचीत शुरू नहीं हुयी थी । और राजवीर उसके स्वागत में नाश्ता आदि इन्तजाम में लगी हुयी थी । और ये सब घोर अहंकारी बराङ साहब के जीवन में पहली बार हो रहा था । जब वह अपने ही घर में अपने तमाम रौब दाब के बाबजूद भी उस लङके के आगे खुद को बेहद छोटा महसूस कर रहा था । और उससे कोई बातचीत कर पाने में उसकी खुद की जबान ही अटक जाती थी । शब्द बाहर नहीं आते थे । मगर प्रसून को जैसे उसकी उपस्थिति का अहसास तक नहीं था ।
और फ़िर वही हुआ । अहंकारी बराङ तब तक उससे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया । जब तक चाय नाश्ता आ जाने पर प्रसून सबके बैठ जाने पर स्वयँ ही उनकी और आकर्षित नहीं हुआ । और बातचीत शुरू हुयी । उसकी शिष्टता शालीनता और मामूली से मामूली गतिविधि से स्वाभाविक ही झलकता राजसी अन्दाज देखकर दोनों पति पत्नी मानों आकाश में उङने लगे । और मानवीय स्वभाव वश सुन्दर जस्सी के साथ उसकी सुन्दर जोङी की कल्पना करने लगे ।
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