RE: Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख
में--हाँ भाभी बोलो....
भाभी--वैसे ये जगह काफ़ी अच्छी है लेकिन मेरा सोचना ऐसा है कि हमे ज़मीन पर ही टॅंट लगा कर रहना चाहिए....हम लोग काफ़ी उँचाई पर है....कही उतरते चढ़ते कोई हादसा ना हो जाए.....
में--भाभी की इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया....
में--ठीक है भाभी मैं कल ही सुहानी से बोलकर टॅंट का बंदोबस्त करवा दूँगा....
मेरी ये बात सुनकर वो सभी लोग फिर से अपने कॉटेज की तरफ बढ़ जाते है जो नीरा की वजह से रुक गये थे....
वैसे तो किसी को भूक नही थी लेकिन सब का खाना. कॉटेज में पहले ही पहुँच गया था....में अपने बेड पर बैठ कर एक स्कॉच की बोतल खोल देता हूँ जिसमें से रूही और नीरा के लिए भी एक एक छोटा छोटा पेग बना देता हूँ....
रूही--क्या बात है भाई....आज तू खुद हमे दारू पिला रहा है....
में--क्या करूँ अगर मुझे पीनी है तो तुम दोनो को भी पिलानी तो पड़ेगी ही....
इसी तरह हसी मज़ाक करते करते वो दोनो निढाल हो कर बेड पर पसर जाती है और में बाहर खड़ा होकर पूनम के चाँद का दूर से दीदार कर रहा था....थोड़ी देर बाद में भी दोनो के बीच मे पसर जाता हूँ....मेरे ऐसा करते ही नीरा और रूही दोनो का हाथ मेरे सीने पर आजाता है.....
में भी सो जाता हूँ आने वाले उस ख्तरे से अंजान जो किसी मकड़ी के जाल की तरह हमे फसाने के लिए तैयार हो रहा था....
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