Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख
10-12-2019, 11:52 AM,
#36
RE: Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख
रूही--भैया ये कैसी विपदा आ गयी इस घर पर...क्या हो गया ये सब...और आप भी अकेले ही इस तूफान का सामना करने निकल पड़े...कम से कम मुझे तो बता देते भैया.....



में--रूही अपने आप को संभाल सब ठीक हो जाएगा...अब हम लोगो को ही इस घर को फिर से हँसता खेलता घर बनाना है...


उसके बाद में रूही के आँसू पोछ कर उसके माथे पर एक किस कर देता हूँ तभी वहाँ कोमल और दीक्षा भी आजाती है और एक तरफ खड़ी हो जाती है हम दोनो का एक दूसरे के प्रति प्यार देख कर उनकी रुलाई फूट जाती है...में उन दोनो की तरफ़ अपनी बाहे फैला देता हूँ और वो दोनो किसी मासूम बच्ची की तरह मुझ से लिपट जाती है...


दीक्षा--भैया हम दोनो बहने हमेशा एक भाई के प्यार के लिए तरसती रही...हमे तो ये पता ही नही था कि हमारा कोई भाई भी है...और में अपने भाई से मिली भी तो ऐसे समय जब वो खुद टूटा हुआ है...


में--मेरी बहना अगर मुझे पता होता कि मेरी और भी कोई बहन है तो में कब का तुम लोगो से मिल चुका होता....तुम लोगो ने कुछ खाया या अभी तक बिना खाए पिए ही हो...


कोमल--भैया हम लोगो को अभी भूक नही लगी है लेकिन आपको देख कर लगता है आपने काफ़ी दिनो से कुछ नही खाया है...



में--नही कोमल मुझे भी भूक नही है...अब में थोड़ा काम कर लेता हूँ चाचा जी अकेले कितना काम संभालेंगे.
और ये कह कर में वहाँ से बाहर निकल जाता हूँ....बाहर मुझे चाचा जी भी मिल जाते है



चाचा--बेटा अब हम लोगो को थोड़ा जल्दी करना पड़ेगा पंडित जी भी आ गये है और अंतिम यात्रा के लिए अर्थी भी तैयार हो चुकी है...अब तुम ही इस घर के बड़े बेटे हो इसलिए तुम्हे ही इजाज़त देनी होगी किशोर और राज की अंतिम यात्रा के लिए...


में--चाचा जी इस घर के बड़े आप है में तो आपके नाख़ून के बराबर भी नही हूँ...आप जैसा उचित समझे वेसा करे...मुझे आप बस ये बता दीजिए कि मुझे क्या करना है...


चाचा--बेटा तुम्हारी माँ और भाभी के पास भी जाकर इस अंतिम यात्रा के लिए इजाज़त ले लो...


में--चाचा में कैसे सामना कर पाउन्गा उन दोनो का ....कैसे मुझे वो इजाज़त दे देंगी .


चाचा--वो दोनो समझदार है उन्हे इस बात की पूरी समझ है...बस तू वहाँ जा और उनसे बात कर...



में फिर भाभी के रूम की तरफ़ चल देता हूँ और वहाँ मम्मी के सामने बैठ जाता हूँ...अपना सिर नीचे झुकाए हुए ...


में---मम्मी में आपसे और भाभी से ...पापा और भैया की अंतिम यात्रा की इजाज़त माँगने आया हूँ...


भाभी--लेजाओ राज को में नही रोकूंगी तुझे...मुझे मेरा राज हँसता बोलता हुआ पसंद था...मम्मी देखो ना कैसे रूठ गये है अब मुझ से बात भी नही कर रहे....कैसे जियूंगी में इनके बिना इन्होने ज़रा भी फिकर नही करी मेरी....सब कुछ ख्तम हो गया लेजा जय इस लाश को मेरी आँखो के सामने से...


मम्मी--जय बेटा जो होना था वो हो गया अब हम तेरे पापा और भाई की अंतिम यात्रा में बाधक बनके उनकी आत्मा को शांति नही दे सकते...इसीलिए जैसा परंपरा कहती है सारे काम वैसे ही होंगे...ले जा तू में इजाज़त देती हूँ...



उसके बाद मैने बाहर आकर चाचा जी को इजाज़त दे दी...चाचा जी और कॉलोनी के कुछ अनुभवी लोगो ने आर्थिया पहले ही बाँध दी थी फिर ...पूरे विधि विधान के हिसाब से अंतिम यात्रा शुरू हो गयी....उस समय घर में एक कोलाहल मच चुका था माँ और भाभी किसी के संभाले नही सम्भल रही थी और में अपने दोनो कंधो पर अपने भाई और अपने पापा की आर्थियो को ढो रहा था.....

हम वापस घर आ गये थे अंतिम संस्कार करके.
में अब एकांत चाहता था...मैने चाचा से बात करी.


में--चाचा जी में थोड़ी देर बाहर जाना चाहता हूँ ...क्या अभी मेरी कोई ज़रूरत है यहाँ.


चाचा--बेटा वैसे तो कोई काम नही है लेकिन पहले कुछ खा ले फिर चले जाना .


में--चाचा जी भूक नही है मुझे...में वापस आकर कुछ खा लूँगा.


उसके बाद मैने अपनी कार बाहर निकाली और आगे बढ़ गया....में लगातार कार चलाए जा रहा था..तभी मुझे एक दुकान दिखी जिस पर लिखा था इंग्लीश वाइन शॉप...

मैने अपनी कार वहाँ रोकी और शॉप की तरफ़ आगे बढ़ गया ...मुझे नही पता था कौनसी शराब कैसी होती है ....मैने बस इन दो तीन दिनो में ही पी थी आज तक उस से पहले कभी नही...हाँ पापा को ज़रूर पीते हुए देखा था एक दो बार....पापा कौनसी शराब पीते थे ये मुझे याद नही आ रहा था...बस उसका कलर याद था कुछ रेड रेड सा...और बोतल का डिज़ाइन याद था...


दुकान पर जाकर....


में--भैया शराब की बोतल चाहिए...


दुकानदार--कौनसी बोतल चाहिए सर आपको...



में--भैया वो जिस में रेड कलर की शराब आती है और जिसकी बीटल थोड़ी मोटी और चौकोर होती है...


दुकानदार--सर आपको उसका नाम नही पता है क्या...


में--नही भैया बस इतना ही पता है .....और हाँ उसकी बोतल पर एक खुरदूरी सी उभरी हुई डिज़ाइन बनी होती है जैसे कोई पत्थर की दीवार हो...




तभी उसका एक साथी दुकान दार बोल पड़ता है....ये ओल्ड मॉंक की बोतल माँग रहा है इसको वो दे दे...
लेकिन वो दुकानदार दूसरे वाले को बोलता है ये बीएमडब्ल्यू कार लेकर आया है ये ओल्ड मॉंक कैसे झेलेगा...

दूसरा दुकानदार--तू इसको एक बार ओल्ड मॉंक की बोतल निकाल कर तो दिखा हो सकता है ये उसे पहचान जाए.


वो दोनो आपस में जिस भाषा में बात कर रहे थे वो एक आदिवासी भाषा थी जो नोर्मली बांसवाड़ा और डूंगरपुर आँचल के लोग बोला करते थे इस भाषा को बागड़ी कहा जाता है जोकि मुझे समझ में नही आती...
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RE: Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख - by sexstories - 10-12-2019, 11:52 AM

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