RE: Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख
मम्मी को भी मेरे लिंग का कड़क होना महसूस हो गया और वो अपने पैर का अंगूठा मेरे लिंग पर रगड़ने लग जाती है.
मम्मी अंगूठा रगड़ रगड़ कर काफ़ी गरम हो जाती है और मुझे कहती है..
मम्मी-- थोड़ा उपर दबा यहाँ ज़्यादा दर्द हो रहा है ..
में मम्मी की जाँघो को दबाने लगता हूँ...लेकिन मम्मी मुझे और उपर दबाने के लिए कहती है...में अब उनके कूल्हे दबा रहा था...वो दबाते हुए मुझे काफ़ी मज़ा भी आ रहा था मेरे हाथ बार बार फिसल के उस दरार में जाने लगते है...
और मेरा लिंग अब पहले से भी ज़्यादा कड़क हो जाता है फिर मम्मी मुझे रुकने को कहती है और सीधी लेट जाती है अब मुझे वो अपने कंधे दबाने को कहती है.
में अब उनकी जाँघो पर बैठा था और उनके कंधे दबाए जा रहा था मम्मी के बूब्स की निपल मुझे नाइटी में से मुझे बिल्कुल कड़ी हुई नज़र आ रही थी रूही अभी भी मम्मी के हाथ दबाए जा रही थी.
में कंधे दबाने के लिए जैसे ज़ोर लगाता मम्मी की चूत और मेरा लिंग रगड़ जाता और हाथो पर उनके बूब्स.
फिर मम्मी ने मुझे खड़ा होने को कहा और ये बोला कि मेरे पेट पर क्या चुभ रहा है...
में--मम्मी मेरे पास तो चुभने जेसा कुछ भी नही है ..
मम्मी--तेरा निक्कर उतार ज़रूर कुछ ना कुछ तो है जो मुझे चुभ रहा है...
मेने अपना निक्कर तुरंत उतार दिया मेरा लिंग जो इस समय कड़क हो गया था जो कि लगभग 4 इंच से ज़्यादा का था....
मम्मी मेरे लिंग को हाथ में लेकर...
मम्मी--तेरा ये इतना बड़ा कैसे हो गया.
में --पता नही मम्मी मुझे भी समझ नही आया.
मम्मी--मेरे शरीर से रगड़ खाने की वजह से ये बड़ा हो गया है चल में इसे ठीक कर देती हूँ .
और फिर वो मुझे पूरा नंगा कर देती है और खुद अपनी शर्ट उतारकर रूही को बोबे से दूध पीने को बोलकर मेरा लिंग अपने मुँह में लेकर चूसने लग जाती है.
रूही मम्मी का बोबा चूस्ते चूस्ते बोलती है मम्मी इन में से दूध तो आ ही नही रहा..
मम्मी मेरा लिंग अपने मुँह से निकाल कर .
मम्मी--इनमें ऐसे दूध नही आएगा तू एक काम कर एक बोबा ज़ोर ज़ोर से चूस और दूसरा बोबा पूरी ताकत लगा कर दबा जितनी ज़्यादा ज़ोर से तू चुसेगी और दबाएगी उतनी ही जल्दी इन में से दूध निकलने लगेगा.उसके बाद रूही अपनी पूरी ताकत लगा कर उस काम में जुट जाती है..
और इधर मम्मी मेरे लिंग को फिर से मुँह में लेकर चूसने लग जाती है ...मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था तभी मेरा शरीर अकड़ने लगता है और में अपना पानी मम्मी के मुँह में ही छोड़ देता हूँ और मम्मी के चेहरे की तरफ़ देखने लगता हूँ...मम्मी का चेहरा इस समय पूरा लाल हो तखा था मेरा सारा पानी उनके मुँह मे छूट गया था लेकिन कुछ बूंदे उनके होंठो पर आ गयी थी उन्होने अच्छे से मेरे लिंग को अपनी जीभ से सॉफ किया और होंठो पर लगा मेरा पानी भी जीभ फेर कर सॉफ कर दिया..
में--मम्मी सॉरी पता नही ये सुसु आपके मुँह में कैसे निकल गया मुझे तो बड़ा मज़ा आरहा था.
मम्मी--कोई बात नही बेटा तू एक काम कर अब तू मेरे बोबो में से दूध निकाल ये रूही से ढंग से ताक़त नही लग रही.
फिर रूही को वो अपने बोबे से हटा देती है और अपने सारे कपड़े खोल कर मुझ अपनी टाँगो के बीच में ले लेती है और मेरा लिंग अपनी चूत में डालकर कहती है..अब तू यहाँ अपना लिंग ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर और दोनो हाथो से मेरे बोबे दबाता जा और बीच में रुकना मत...
उसके बाद में लगातार ज़ोर ज़ोर से अपना लिंग मम्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था और अपने हाथो से उनके बोबे दबाए जा रहा था....और मम्मी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी और ज़ोर लगा बेटा और ज़ोर लगा...
मम्मी तीन बार झड चुकी थी लेकिन मेरा पानी छूट ही नही रहा था लेकिन में लगातार धक्के लगाए जा रहा था तभी मेरे शरीर में सिहरन आने लगी और मेरे लिंग से खूब सारा पानी मम्मी की चूत की गहराइयो में जाता चला गया......
हम ये खेल काफ़ी दिनो तक खेलते रहे...और उसके बाद एक दिन ऐसा हुआ जो किसी तूफान से कम नही था....संध्या के पीरियड्स आने बंद हो गये थे...
एक दिन.....
राज--रूही मम्मी जब तक बाहर से आती है तब तक हम दोनो वो खेल खेलते है बड़ा मज़ा आएगा..
रूही--हाँ भैया कल मम्मी आप पर कैसे उच्छल रही थी..
राज--चल तू अपने कपड़े उतार और वहाँ सोफे पर बैठ जा ..
राज भी अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बहन के नंगे जिस्म पर हाथ घुमाए जा रहा था....
तभी अचानक घर का दरवाजा खुल जाता है...मम्मी बस हम दोनो को लगातार घुरे ही जेया रही थी...
राज--मम्मी जल्दी आओ हम दोनो वो खेल शुरू करने ही वाले थे..
लेकिन संध्या को होश नही रहा वो वही फर्श पर बैठ कर रोने लगी...
संध्या को रोता हुआ देख कर राज और रूही अपने कपड़े पहन कर संध्या के पास आ जाते है.
राज --क्या हुआ मम्मी आप रो क्यो रही हो....
संध्या--रोते हुए ...राज मेरी एक बात मानेगा.
राज--हाँ मम्मी बोलो.
संध्या--हमने जो कुछ भी किया वो अब दुबारा इस घर में नही होगा..में तुझे कुछ सालो के लिए हॉस्टिल में डाल रही हूँ...क्योकि तू अब कुछ टाइम हम लोगो से दूर रहेगा.
जो ये खेल हम खेल रहे थे ये सब ग़लत है ये सब एक परिवार में नही होना चाहिए...आज के बाद तुम दोनो इस बारे में किसी से कोई भी बात नही करोगे.
राज--मम्मी हम अब दुबारा ऐसा कुछ नही करेंगे प्लीज़ मुझे हॉस्टिल मत भेजो..
और राज रोने लग जाता है.
संध्या राज को अपनी छाती से लगा लेती है और कहती है तुम्हे हॉस्टिल जाना ही होगा.इसी में तुम सब की भलाई है...उसके बाद वो अपने रूम में चली जाती है.
सिटी हॉस्पिटल.....
संध्या यहाँ अपना चेकप करवाने आई थी.
डॉक्टर.आएशा संध्या का चेकप करती है और संध्या को सोनोग्राफी करवाने को कहती है...सोनोग्राफी में पता चलता है संध्या गर्भ से है...
डॉक्टर--कंग्रॅजुलेशन्स मिसेज़.गुप्ता आप प्रेग्नेंट है.
संध्या--लेकिन में अभी बच्चा नही चाहती.
डॉक्टर--इम सॉरी मिसेज़ गुप्ता अब अबोर्शन नही किया जा सकता आपका गर्भाशय काफ़ी कमजोर है और अबोर्शन की वजह से आप दुबारा कभी माँ नही बन पाओगि.
संध्या--कोई तो रास्ता होगा जिस से ऐसा हो सके.
डॉक्टर--नही मिसेज़ गुप्ता कोई रास्ता नही है ....सिर्फ़ यही एक रास्ता है या तो आप इस बच्चे को जन्म दे या फिर दुबारा कभी माँ बनने के बारे में भूल जाए.
उसके बाद संध्या वहाँ से चली जाती है..घर पर किशोर भी आ चुका था संध्या उसे सारी बात बता देती है..किशोर पहले तो बहुत नाराज़ होता है लेकिन बाद में वो समझ जाता है कि अकेलेपन की वजह से संध्या से ये ग़लती हो गयी है...राज को बोर्डिंग में डाल दिया जाता है और कुछ सालो के लिए. और रूही को स्कूल से निकलवा दिया जाता है.
जय के बाद संध्या को एक बेटी होती है जिसका नाम वो नीरा रखते है और वो लड़की किशोर की संतान थी......
भाइयो में इस फ्लॅशबॅक को ज़्यादा खिचना नही चाहता इस लिए मैने इसको यही ख्तम करने का निश्चय किया है.
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