RE: Kamvasna दोहरी ज़िंदगी
वो बकरा मिमियाते हुए तजस्सुस भरी निगाहों से मेरी जानिब देख रहा था। बकरे का लंड चूसने और उसकी मनी पीने की अपनी दिली मुराद तो मैंने शिद्दत से पूरी कर ली थी लेकिन मेरी प्यासी चूत भी तो बकरे से चुदाने के लिये बेकरार थी। मुझे फ़िक्र हुई कि मेरे हलक में अपनी मनी इखराज करने के बाद मालूम नहीं बकरा अब मुझे चोदने के काबिल भी होगा कि नहीं लेकिन मेरी नज़र जैसे ही उसके लंड पे पड़ी तो मेरा तमाम शक़ दूर हो गया। उस वक़्त तो मुझे इस बात का इल्म नहीं था लेकिन बाद में इंटरनेट की बदौलत मालूम पड़ा कि चुदाई के दिनों में एक बकरा अकेला ही कईं बकरियों को मुसलसल चोदने की सलाहियत रखता है।
सूरज डूबने के बाद आसमान में शफ़क़ की सुर्खी छायी हुई थी और मैं खुले आसमान के नीचे... दीन-दुनिया से बिल्कुल बेखबर... हवस और शराब के नशे में मखमूर... सिर्फ़ ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल मादरजात नंगी हालत में उस बकरे से चुदवाने की अपनी फ़ाहिश हसरत को अंजाम देने के लिये अपने घुटनों और हाथों के बल कुत्तिया की तरह या ये कहें कि बकरी की तरह झुक गयी और अपनी गाँड हवा में ऊपर उठा कर उससे चुदने के लिये तैयार हो गयी। मैंने 'पुच-पुच' करके उसे पास बुलाया लेकिन वो अपनी जगह से हिला नहीं और सिर्फ़ मिमियाते हुए मेरी तरफ़ देखने लगा। मैं खुद ही फिर घुटनों के बल पीछे की तरफ़ रेंगती हुई उसकी करीब गयी और उसके चेहरे के ठीक सामने अपनी गाँड ठेल कर हिलाने लगी। उसने मेरी चूतड़ों के बीच में सूँघते हुए मेरी चूत पे अपनी ज़ुबान से दो-तीन चुप्पे लगाये और फिर खड़े होकर मिमियाने लगा और कुछ नहीं किया। मुझे बड़ी मायूसी हुई कि कैसे उसे चोदने के लिये उक्साऊँ... इतने में अचानक मुझे पेशाब लगने का एहसास हुआ और मैं उसी पोज़िशन में मूतने लगी और मूतते हुए अपनी गाँड किसी बकरी की तरह उस बकरे के चेहरे पे ठेल दी। वो बकरा एक दम से हरकत में आ गया और मेरे चूतड़ों में अपना चेहरा घुसेड़ कर मिमियाते हुए मेरा पेशाब पीने लगा। इस दौरान बकरे का चेहरा भी मेरे पेशाब से भीग गया।
फिर अचानक जब मुझे उम्मीद भी नहीं थी कि वो बकरा लपक कर मेरे ऊपर बड़ी फुर्ती से सवार हो गया और उसका लंड मुझे अपने चूतड़ों के दर्मियान और चूत के ऊपर ज़ोर-ज़ोर से चुभता हुआ महसूस होने लगा। बकरे का लंड मेरी चूत और गाँड की दरार में और चूतड़ों पे अपने पेशाब की पिचकारियाँ भी छोड़ रहा था। मैं भी तड़पते हुए उसका लंड अपनी धधकती चूत में लेने के लिये अपनी गाँड हिलाने-डुलाने लगी तो बकरे के लंड को अचानक मेरी चूत की गुज़रग़ाह मिल गयी। मेरी भीगी चूत तो पहले से ही बखूबी चिकनी थी और उस बकरे ने घुरघुराते हुए एक ही झटके में जोर से अपना तमामतर लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ दिया। बकरे का झटका इतना ज़ोरदार था कि अपने हाथों और घुटनों पे तवाज़ुन बिगड़ने से मैं आगे की ओर गिरते-गिरते बची। टट्टों तक उसका तमाम लंड अपनी चूत में लेते हुए मैंने खुद को पुरी तरह उस बकरे को सौंप दिया।
अब मैं एक चुदासी बकरी की तरह उस ताक़तवर बकरे से चुदवाने लगी। बकरा बेहद ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड मेरी चूत में इंसानों की तरह अंदर-बाहर चोदने लगा और मैं चुदाई की मस्ती में इस कदर मजनून और अलमस्त हो गयी कि मुझे अपने अतराफ़ किसी भी चीज़ किसी बात का बिल्कुल होश नहीं रहा। मुझे तो बस अपनी चूत में उस बकरे के लंड की तूफ़ानी वहशियाना चुदाई और उसके लंड से छूटती मनी की पिचकारियों की लज़्ज़त की चाहत थी। वो बकरा ज़ोर-ज़ोर से जुनूनी ताल में अपना लंड मेरी चूत में पुर-जोश चोद रहा था और मैं उससे चुदते हुए मस्ती और बेखुदी में ज़ोर-ज़ोर से सिसक रही थी... कराह रही थी। इतने में बकरे ने घुरघुराते हुए अचानक ज़ोरदार झटका मारते हुए अपना लंड मेरी चूत में पुरी ताकत से अंदर पेल दिया। इंतेहाई मस्ती के आलम में मेरी शहूत भी पूरे परवान पे थी और जैसे ही मुझे बकरे की गरम मनी की पिचकारियाँ अपनी चूत में दगती हुई महसूस हुई तो मैं भी बा-शिद्दत झड़ने लगी। मेरी लज़्ज़त-अमेज़ चींखें फ़िज़ा में गूँज गयीं। अपनी तमाम मनी मेरी चूत में इखराज़ करने के बाद बकरे ने अपना लंड बाहर खींच लिया और मैं अपने जिस्म में दौडती लज़्ज़त-अमेज़ लहरों की मस्ती और बकरे से चुदवाने की हसीन हसरत पूरी होने की शहवती मुसर्रत में डूबी हुई कुछ देर उसी हालत में मुतमईन वहाँ पेट के बल लेटी रही। फिर मैं ऊँची हील की सैंडल में लड़खड़ाटी हुई किसी तरह वापस अंदर चली गयी।
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