Free Sex Kahani काला इश्क़!
12-14-2019, 09:03 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
अब तक आपने पढ़ा:

 सुबह किसी ने ताबड़तोड़ घंटियां बजा कर मेरी नींद तोड़ी! मैं गुस्से में उठा और दरवाजे पर पहुँचा तो वहाँ मैंने अनु mam को खड़ा पाया| उनके हाथों में एक सूटकेस था और कंधे पर उनका बैग, मुझे साइड करते हुए वो सीधा अंदर आ गईं और मैं इधर हैरानी से आँखें फाड़े उन्हें और उनके बैग को देख रहा था| "मेरी फ्रेंड और उसके हस्बैंड आज सुबह वापस आ गए तो मुझे मजबूरन वहाँ से निकलना पड़ा| अब यहाँ मैं तुम्हारे सिवा किसी को नहीं जानती तो अपना समान ले कर मैं यहीं आ गई|" मैं अब भी हैरान खड़ा था क्योंकि मैं नहीं चाहता था की मेरे इस place of solitude में फिर कोई आ कर अपना घोंसला बनाये और जाते-जाते फिर मुझे अकेला छोड़ जाए| "क्या देख रहे हो? मैंने तो पहले ही बोला था न की If I ever need a place to crash, I'll let you know! ओह! शायद मेरा यहाँ आना तुम्हें अच्छा नहीं लगा?" इतना कह कर वो जाने लगीं तो मैंने उनके सूटकेस का हैंडल पकड़ लिया| "आप मेरे वाले कमरे में रुक जाइये मैं दूसरे वाले में सो जाऊँगा|" फिर मैंने उनके हाथ से सूटकेस लिया और अपने कमरे में रखने चल दिया| मुझे जाते हुए देख कर mam पीछे से अपनी चतुराई पर हँस दीं उन्होंने बड़ी चालाकी से जूठ जो बोला था!

update 64

मैं अपना समान बटोरने लगा था की तभी mam अंदर आईं और बोलीं; "कपडे ही तो हैं? पड़े रहने दो.... हाँ अगर कुछ पोर्न वाली चीजें हैं तो अलग बात है!" Mam ने जिस धड़ल्ले से पोर्न कहा था उसे सुन कर मेरी हवा टाइट हो गई! मुझे ऐसे देख कर mam ने ठहाका मार के हँसना शुरू कर दिया, इसी बहाने से मेरी में हँसी निकल गई| मैंने अपने कपडे छोड़ दिए बस शराब की बोतले उठा कर बाहर निकलने लगा| मेरे हाथ में बोतल देख कर mam की हँसी गायब हो गई और उदासी फिर से उनके चेहरे पर लौट आई| पर मैं इस बात से अनजान दूसरे कमरे में आ गया, इस कमरे में बस एक गद्दा पड़ा था| मैंने सारी खाली बोतलें डस्टबिन में डालीं और दो खाली बोतलें अपने सिरहाने रखी| इधर mam ने किचन में खाने लायक चीजें देखनी शुरू कर दी, मैं अपने गद्दे पर चादर बिछा रहा था की mam दरवाजे पर अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी हो गईं; "तुम कुछ खाते-वाते नहीं हो? किचन में चायपत्ती और कुछ नमकीन के आलावा कुछ है ही नहीं!" अब में उन्हें क्या कहता की मैं तो सिर्फ दारु पीता हूँ! 'चलो get ready, कुछ ग्रोसरी का समान लाते हैं|" अब मेरा मन घर से बाहर जाने का कतई नहीं था, तो मैंने अपने फ़ोन में app खोल कर उन्हें दे दिया और मैं करवट ले कर लेट गया| मैंने ये तक नहीं सोचा की उस फ़ोन में मेरी और रितिका की तसवीरें हैं! Mam फ़ोन ले कर बाहर चली गईं और ग्रोसरी का समान आर्डर कर दिया, फिर उन्होंने फ़ोन गैलरी में photos देखनी शुरू कर दी| मेरा फोन मैने आज तक कभी किसी को नहीं दिया था इसलिए फ़ोन में किसी भी app पर लॉक नहीं था| Mam ने सारी तसवीरें देखि, इधर जैसे ही मुझे होश आया की mam फोटोज न देख लें तो में फटाफट बाहर आया और देखा mam ग्रोसरी की पेमेंट वाले पेज पर पिन नंबर एंटर कर रहीं थी| मैं उनके पीछे चुप-चाप खड़ा रखा और जब उन्होंने पेमेंट कर दी तो मैंने उनसे फ़ोन माँगा| "क्यों डर रहे हो? फ़ोन में पोर्न छुपा रखा है क्या?" Mam ने मजाक करते हुए कहा तो फिर से मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई| मैं दुबारा सोने जाने लगा तो mam ने रोक लिया; "यार कितना सोओगे? रात में कहीं चौकीदारी करते हो? चलो बैठो यहाँ मैं चाय बनाती हूँ|" मैं चुप-चाप बालकनी में फर्श पर बैठ गया| ठंड का आगाज हो चूका था और हवा में अब हलकी-हलकी ठंडक महसूस की जा सकती थी और मैं इसी ठंडक को महसूस कर हल्का सा मुस्कुरा दिया| मैंने दोनों हाथों से कप पकड़ा और mam भी मेरे सामने ही अपनी चाय ले कर बैठ गईं| "तो क्या सोचा New York जाने के बारे में?" Mam ने चाय की चुस्की लेते हुए पुछा| ये याद आते ही मैं बहुत गंभीर हो गया और mam समझ गईं की मैं मना कर दूँगा, इसलिए mam का चेहरा मुरझा गया; "कब जाना है?" मैंने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा तो mam के चेहरे पर ख़ुशी फिर से लौट आई| "20 नवंबर को पहले बैंगलोर जाना है, वहाँ से मुझे अपना समान लेना है और फिर वहाँ से मुंबई और फिर फाइनल स्टॉप New York!" Mam ने excited होते हुए कहा और उनके चेहरे की ख़ुशी मुझे सुकून देने लगी थी| ऐसा लगा मानो किसी अपने को ख़ुशी दे रहा हूँ और उनकी ख़ुशी से मुझे भी ख़ुशी होने लगी|

              कुछ देर बाद ग्रोसरी का सारा समान आ गया, इतना समान अपने सामने मैं कई दिनों बाद देख रहा था| मैं उठ कर नहाने गया और mam ने किचन संभाल लिया, नहा के आते-आते उन्होंने नाश्ता बना लिया था| Mam ने एक प्लेट में आधा परांठा मुझे परोस कर दिया| "Mam मुझे भूख नहीं लगती, आप क्यों मेरे लिए तकलीफ उठा रहे हो! आप खाइये!"

"क्या भूख नहीं लगती? अपनी हालत देखि है? अच्छी खासी body थी और तुमने उसकी रैड मार दी है! कहीं मॉडलिंग करने जाना है जो weight loss कर रहे हो?!" Mam ने प्यार से मुझे डाँटा और एक बार फिर मेरी हँसी निकल गई| दरअसल ये Mam का game प्लान था, मुझे इस तरह छेड़ना और प्यार से डाँटना ताकि मैं थोड़ा मुस्कुराता रहूँ, पर मैं उनके इस game plan से अनविज्ञ था!  मैंने परांठे का आधा हिस्सा Mam को दे दिया और बाकी का हिस्सा ले कर मैं वापस बालकनी में बैठ गया| Mam भी अपना परांठा ले कर मेरे पास बैठ गईं और मुझे Project के बारे में बताने लगी, इस बार मैं बड़े गौर  से उनकी बातें सुन रहा था| "वैसे हम जा कितने दिन के लिए रहे हैं?" मैंने पुछा तो उन्होंने 20 दिन कहा और मैं उसी हिसाब से सोचने लगा की घर पर मुझे कितने दिन का बताना है| "और expenses?" मैंने पुछा क्योंकि मेरे पास सवा चार लाख बचे थे, और बाकी मैं शराब और नए फ्लैट के चक्कर में फूँक चूका था! "उसकी चिंता मत करो वो सब reimbursed हो जायेगा!"

इसके अलावा मैंने उनसे कुछ नहीं पुछा| नाश्ते के बाद हम इधर-उधर की बातें करते रहे और लैपटॉप पर कुछ डिस्कशन करने लगे| तभी mam के लैपटॉप की बैटरी डिस्चार्ज हो गई और उन्होंने मुझसे मेरा लैपटॉप माँगा और उस पर वो मुझे कुछ साइट्स दिखाने लगीं जिनके साथ उन्होंने थोड़ा-थोड़ा काम किया था| मैं दो मिनट के लिए गया तो mam ने मेरा लैपटॉप सारा चेक कर मारा और उन्हें वो सब bookmarks चेक कर लिए जो मैंने मार्क किये थे रेंट पर घर लेने के लिए, साथ ही उन्होंने job opening भी देख ली थीं और वो अब धीरे-धीरे सब समझने लगी थीं| जो वो नहीं समझ पाईं थी वो था मेरा और ऋतू का रिश्ता! मेरे वापस आने तक उन्होंने साड़ी windows close कर दी थी और उन्हें history से भी डिलीट कर दिया था! जब मैं वापस आया तो mam ने फिर से मेरी टाँग खींचते हुए कहा; "यार तुम तो बढ़िया वाली पोर्न देखते हो?" ये सुनते ही मैं चौंका क्योंकि कई महीनों से पोर्न देखा ही नहीं था| "नहीं तो! बड़े दिन हुए......" इतना मुंह से निकला और मुझे एहसास हुआ की मैंने कुछ जयदा बोल दिया| Mam मेरा रिएक्शन देख कर जोर-जोर से हँसने लगी, उनकी देखा-देखि मेरी भी हँसी निकल गई| दोपहर हुई और Mam ने खाना बना दिया और मुझे आवाज दी, हम दोनों अपनी-अपनी प्लेट ले कर फिर वहीँ बैठ गए| मैंने बड़ी मुश्किल से एक रोटी खाई और जैसे ही मैं उठने को हुआ तो मम ने मेरा हाथ पकड़ कर वापस बिठा दिया| "हेल्लो मिस्टर इतनी मन मनाई नहीं चलेगी, चुप कर के दो रोटी और खाओ! सुबह भी आधा परांठा खाया है और अब बस एक रोटी?!" Mam ने फिर से प्यार से मुझे डाँटा|

"Mam क्या करूँ इतना प्यार भरा खाना खाने की आदत नहीं है!" मुझे नहीं पता की मेरे मुँह से ये क्यों निकला, शायद ये Mam का असर था जो मुझ पर अब दिखने लगा था|

"तो आदत डाल लो!" Mam ने हक़ जताते हुए कहा और मैं भौएं सिकोड़ कर हैरानी से उनकी तरफ देखने लगा| उनका ये कहना की आदत डाल लो का मतलब क्या था? तभी Mam ने मेरा ध्यान भंग करने को एक रोटी और परोस दी| चूँकि मैंने अभी पी नहीं थी इसलिए अब दिमाग बहुत ज्यादा अलर्ट था और आज सुबह से जो हो रहा था उसका आंकलन करने लगा था| मैं सर झुका कर चुप-चाप खान खाने लगा, Mam का खाना हो चूका था इसलिए वो मुझसे नजरें चुराती हुई चली गईं| मेरा दिल अब किसी और को अपने नजदीक नहीं आने देना चाहता था, फिर New York वाले trip के बाद उन्होंने बैंगलोर चले जाना था और मैंने फिर वापस यहीं लौट आना था तो फिर इतनी नजदीकियाँ क्यों? ये दूसरीबार था जब mam मेरे नजदीक आना चाहती थीं, पहली बार तब था जब हम मुंबई में थे और मैंने उन्हें अपने गाँव के रीती-रिवाज के डर की आड़ में उन्हें अपने नजदीक नहीं आने दिया था| इस बार भी मुझे फिर उसी डर का सहारा लेना था ताकि वो मेरे चक्कर में अपनी जिंदगी बर्बाद ना करें और मैं यहाँ अकेला चैन से घुट-घुट कर मरता रहूँ| मैंने सोचा अगली बार उन्होंने मुझे ऐसा कुछ कहा तो मैं उन्हें समझा दूँगा| अगर मुन्ना मेरी जिंदगी में नहीं आया होता तो शायद मैं mam की तरफ बह जाता पर मुन्ना के आने के बाद मैंने एक बहुत जरुरी सबक सीखा था! मैं अभी इसी उधेड़-बन में था की mam मेरी प्लेट लेने आ गई, पर मैंने उन्हें अपनी प्लेट नहीं दी बल्कि खुद उठा कर किचन में चल दिया| वहाँ से निकल कर मैंने देखा तो mam बालकनी में बैठीं थी और उनकी आँखें बंद थीं| मुझे लगा वो सो रही हैं, इसलिए मैं अपने कमरे में चला गया| कमरे में मेरे सिरहाने पड़ी बोतल पर ध्यान गया तो सोचा की एक घूँट पी लेता हूँ पर ख्याल आया की mam यहाँ हैं, ऐसे में मेरा पीना उन्हें uncomfortable महसूस करवाएगा| पर अब कुछ तो नशा चाहिए था, क्योंकि मेरे हाथ-पेअर थोड़ा कांपने लगे थे! इसलिए मैंने सिगेरट और माल उठाया और चुप-चाप छत पर आ गया| वहाँ बैठ कर मैंने मालभरा और तसल्ली से सिगरेट पी और वहीँ दिवार से पीठ लगा कर बैठ गया| शाम के 4 बजे मैं नीचे आया तो mam अब भी वैसे ही सो रही थीं बस ठंड के कारण वो थोड़ा सिकुड़ीं हुई थीं| मैंने अंदर से एक चादर निकाली और उन पर डाल दी, फिर मैं चाय बनाने लगा| चाय की खुशबु सूंघ कर मम अंगड़ाई लेते हुए उठीं| जान क्यों पर उन्हें ऐसे अंगड़ाई लेते देख मुझे रितिका की याद आ गई|  मैं दोनों हाथों में चाय का कप पकडे वहीँ रुक गया, अब तक mam ने मुझे देख लिया था इसलिए वो खुद आईं और मेरे हाथ से चाय का कप ले लिया|           

                              शायद mam ये भाँप गई थीं की मैं उनकी दोपहर की बात का बुरा मान चूका हूँ, इसलिए हम दोनों में फिलहाल कोई बात नहीं हो रही थी| रात का खाना बनाने के बहाने से mam ने बात शुरू की; "मानु रात को खाने में क्या बनाऊँ?"

"बाहर से मंगा लेते हैं!" मैंने कहा और फ़ोन पर देखने लगा की उनके लिए क्या मँगाऊँ?  पर mam बोलीं; "क्यों मेरे हाथ का खाना पसंद नहीं आया तुम्हें?"

"ऐसी बात नहीं है mam .... आप यहाँ खाना बनाने थोड़े ही आये हो!" मैंने उनकी तरफ देखते हुए कहा|

"पर मैंने लोबिया भिगो दिए थे!" Mam ने मुँह बनाते हुए कहा, ये सुनकर मैं जोर से हँस पड़ा| उन्हें समझ नहीं आया की मैं क्यों हँस रहा हूँ पर मुझे हँसता हुआ देख वो बहुत खुश थीं|

"Mam जब आपने पहले से लोबिया भिगो दिए थे तो आपने पुछा क्यों की क्या बनाऊँ?" ये सुन कर mam को पता चला की मैं क्यों हँस रहा था और अब उन्होंने अपना माथा पीटते हुए हँसना शुरू कर दिया|   

"बिलकुल मम्मी की तरह!" इतना कहते हुए उनकी हँसी गायब हो गई और सर झुका कर वो उदास हो गईं| उनकी आँख से आँसू का एक कटरा जमीन पर पड़ा, मैं एक दम से उठा और उनके कंधे पर हाथ रख कर उन्हें सांत्वना देने लगा| फिर मैंने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें कुर्सी पर बिठाया|

“क्या किसी इंसान को खुश होने का हक़ नहीं है? स्कूल से ले कर शादी तक मैंने वो हर एक चीज की जो मेरे मम्मी-डैडी ने चाही| Tenth के बाद मुझे साइंस लेनी थी पर मम्मी-डैडी ने कहा कॉमर्स ले लो, फिर मुझे DU जाना था तो मुझे करेकपॉन्डेंस में एडमिशन दिलवा दिया ये बोल कर की कौन सा तुझे जॉब करनी है! उसके बाद सीधा शादी के लिए मेरे सामने एक लड़का खड़ा कर दिया और कहा की ये तेरा जीवन साथी है| मैंने वो भी मान लिया पर वो ही अगर धोकेबाज निकला तो इसमें मेरा क्या कसूर है? वो मुझे कैसे कह सकते हैं की निभा ले?! जब मैंने मना किया और डाइवोर्स ले लिया तो मुझे disown कर दिया! इतनी जल्दी माँ-बाप अपने जिगर के टुकड़े को खुद से काट कर अलग कर देते हैं?" ये कहते हुए mam रोने लगीं, मुझसे उनका ये दुःख देखा नहीं गया तो मैं उनके साथ बैठ गया और उनके कंधे पर हाथ रख कर उन्हें शांत करने लगा| उन्होंने अपना मुँह मेरे कंधे से लगाया और रोने लगीं| मैं बस उनका कन्धा सहलाता रहा ताकि वो शांत हो जाएँ| मेरा मन कहने लगा था की हम दोनों ही चैन से जीना चाहते है, एक को माँ-बाप ने छोड़ दिया तो दूसरे को उसकी मेहबूबा ने छोड़ दिया| हालाँकि तराजू में mam का दुःख मेरे दुःख से की ज्यादा बड़ा था पर कम से कम उन्होंने अपनी जिंदगी दुबारा शुरू तो कर ली थी और वहीँ मैं अपने गम में सड़ता जा रहा था|

             कुछ देर बाद वो चुप हुईं और मेरे कंधे से अपना चेहरा हटाया, जहाँ उनका मुँह था वो जगह उनके आंसुओं से गीली हो गई थी| अब उन्हें हँसाने की जिम्मेदारी मेरी थी, पर जो इंसान खुद हँसना भूल गया हो वो भला दूसरों को क्या हसायेगा? "Mam माने आपको पहले भी कहा था न की आप के चेहरे पर हँसी अच्छी लगती है आँसू नहीं!" Mam ने तुरंत मेरी बात मान ली और अपने आँसू पोछ कर मुस्कुरा दी| फिर mam ने खाना बनाया और उनका दिल रखने के लिए मैंने दो रोटी खाईं, कुछ देर तक हम दोनों बालकनी में खड़े रहे और फिर सोने चले गए| बारह बजे तक मैंने सोने की बहुत कोशिश की, बड़ी करवटें ली पर नींद एक पल के लिए नहीं आई| Mam की मौजूदगी में मेरा दिमाग मुझे पीने नहीं दे रहा था पर मन बेचैन होने लगा था, हाथ-पाँव फिर से कांपने लगे थे और अब तो बस दारु चाहिए थी|


हार मान कर मैं उठा और सोचा की ज्यादा नहीं पीयूँगा, जैसे ही मैंने अपने सिरहाने देखा तो वहाँ से बोतलें गायब थीं| मैं समझ गया की ये mam ने ही हटाईं हैं, मैं गुस्से में बाहर आया और mam के कमरे में झाँका तो पाया वो सो रही हैं| किसी तरह मैंने गुस्सा कण्ट्रोल किया और किचन में बोतले ढूँढने लगा| अभी 24 घंटे हुए नहीं इन्हें आये और इन्होने मेरी जिंदगी में उथल-पुथल मचाना शुरू कर दिया| ये शराब की ललक थी जो मेरे दिमाग पर हावी हो कर बोल रही थी! मेरा दिमाग भी यही चाह रहा था की mam ने वो बोतलें फेंक दी हों ताकि आज मैं दारु पीने से बच जाऊँ, ये तो कम्बख्त मन तो जिसे दारु का सहारा चाहिए था! सबसे ऊपर की शेल्फ पर मुझे बोतल मिल ही गई और मैंने फटाफट गिलास में डाली और उसे पीने ही जा रहा था की पीछे से एक आवाज मेरे कान में पड़ी; "प्लीज.... मत पियो...." इस आवाज में जो दर्द था उसने जाम को मेरे होठों से लगने नहीं दिया| मैंने सबसे पहले लाइट जलाई और पलट कर देखा तो mam आँखों में आँसू लिए मेरी तरफ देख रही थीं| उन्होंने ना में गर्दन हिलाई और मुझे पीने से मना करने लगी| ऐसा लगा जैसे बहुत हिम्मत कर के वो मुझे रोक रहीं हों, उनके हाव-भाव से मुझे डर भी साफ़ दिख रहा था| एक शराबी को दारु पीने से रोकना इतना आसान नहीं होता, क्योंकि शराब की ललक में वो कुछ नहीं सुनता और किसी को भी नुक्सान पहुँचा सकता है| पर मैं अभी उस हद्द तक नहीं गिरा था की उन पर हाथ उठाऊँ!   


मैंने चुप-चाप गिलास किचन स्लैब पर रख दिया और सर झुका कर अपने अंदर उठ रही शराब पीनी की आग को शांत करने लगा| मेरा ऐसा करने का करना था mam के आँसू, जिन्होंने मेरे जलते हुए कलेजे पर राहत के कुछ छींटें मारे थे| Mam डर्टी हुई मेरे नजदीक आईं और मेरे कांपते हुए दाएं हाथ को पकड़ कर धीरे से मुझे हॉल की कुर्सी पर बिठाया| फिर मेरे सामने वो अपने घुटनों के बल बैठ गईं और आँखों में आँसू लिए हिम्मत बटोर कर बोलीं; "मानु....मैं जानती हूँ तुम रितिका को कितना प्यार करते थे!" ये सुनते ही मैंने हैरानी से उनकी आंखों में देखा, पर इससे पहले मेरे लब कोई सवाल पूछते उन्होंने ही सवाल का जवाब दे दिया; "मुझे सिद्धार्थ ने कल बताया| मैं नहीं जानती की क्यों तुम दोनों अलग हुए पर इतना जर्रूर जानती हूँ की उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं हो सकती| वो ही तुम्हें समझ नहीं सकी, इतना प्यार करने वाला उसे कहाँ मिलेगा? पर वो तो move on कर गई ना? फिर तुम क्यों अपनी जान देना चाहते हो? मैंने तुम्हारी साड़ी मेडिकल रिपोर्ट्स पढ़ी हैं, तुम ने अगर पीना बंद नहीं किया तो मैं अपना सबसे प्यारा दोस्त खो दूँगी!" Mam ने मेरे दोनों गालों को अपने दोनों हाथों के बीच रखते हुए कहा| ये सब सुन कर मैं फिर से टूट गया; "Mam ... अगर नहीं पीयूँगा तो वो और याद आएगी और मैं सो नहीं पाऊँगा| चैन से सो सकूँ इसलिए पीता हूँ!" मैंने ने रोते हुए कहा| ये सब मेरे दिमाग की उपज थी जो मुझे पीना नहीं छोड़ने देना चाहती थी और mam ये जानती थीं|

"तुम इतने भी कमजोर नहीं हो! ये तुम्हारे अंदर का डिप्रेशन है जो तुम्हें खुल कर साँस नहीं लेने दे रहा| फिर मैं हूँ ना यहाँ पर? I promise मैं तुम्हें इस बार छोड़ कर कहीं नहीं जाऊँगी| एक बार गलती कर चुकी हूँ पर दुबारा नहीं करुँगी! हम दोनों साथ-साथ ये लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे भी|" Mam ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा और ना चाहते हुए भी मैं उनकी बातों पर विश्वास करने लगा| वैसे भी मेरे पास खोने के लिए बस मेरी एक जान ही रह गई थी!


Mam ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे उठा कर अपने साथ अपने कमरे में ले गईं, वो पलंग के सिरहाने बैठ गईं और मुझे उनकी गोद में सर रखने को कहा| मैं उस वक़्त अंदर से इतना कमजोर था की मुझे अब किसी का साथ चाहिए था जो मुझे इस दुःख के सागर से निकाल कर किनारे लाये| Mam की वो गोद मेरे लिए कश्ती थी, ऐसी कश्ती जिसका सहारा अगर मैं ना लिया तो मैं पक्का डूब जाऊँगा| जब इंसान डूबने को होता है तो उसकी fighting spirit सामने आती है जो उसे आखरी सांस तक लड़ने में मदद करती है और यही वो spirit थी जिसने मुझे mam की गोद में सर रखने को कहा| मैं भी उनकी गोद में सर रख कर सिकुड़ कर लेट गया| मेरी आँखें अब भी खुली थीं और वो सामने दिव्वार पर टिकी थी, दिल पिघलने लगा था और उसमें से आँसू का कतरा बहा और बिस्तर पर गिरा| Mam जिनकी नजर मुझ पर बनी हुई थी, उन्होंने मेरे आँसू पोछे और बोलीं; "मानु एक रिक्वेस्ट करूँ?"मैंने हाँ में सर हिलाया| "प्लीज मुझे मेरे नाम से बुलाया करो, तुम्हारे मुँह से 'Mam' सुनना मुझे अच्छा नहीं लगता|" मैंने फिर से हाँ में सर हिलाया|


'अनु' ने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरू किया, ये एहसास मेरे लिए जादुई था| मन शांत हो गया था और आँखें भारी होने लगी थीं, धीरे-धीरे मैं नींद के आगोश में चला गया| पर जिस्म को नशे की आदत हो गई थी इसलिए तीन बजे मेरी आँख फिर खुल गई| कमरे में अँधेरा था और इधर मेरा गला शराब की दरक़ार करने लगा था, दिल की धड़कनें अचानक ही तेज हो गई थीं, हाथ-पेअर फिर से कांपने लगे थे अब बस दारु चाहिए थी ताकि मैं खुद को काबू में कर सकूँ| मैं धीरे से उठा और कमरे से बाहर आया और किचन स्लैब पर देखा जहाँ मेरा जाम मुझे देख रहा था और अपनी तरफ बुला रहा था| मेरे कदम अपने आप ही उस दिशा में बढ़ने लगे, काँपते हाथ अपने आप ही जाम को थाम कर उठा चुके थे पर कहते हैं ना की जब हम कोई गलत काम करते हैं तो हमारी अंतर्-आत्मा हमें एक बार रोकती जरूर है| मैं एक पल के लिए रुका और ममेरी अंतर्-आत्मा ने मुझे गाली देते हुए कह; "वहाँ अनु तुझे इस गम से निकालने के लिए इतना त्याग कर रही है और तू उसे ही धोका देने जा रहा है? भला तुझमें और रितिका में फर्क ही क्या रहा?" ये ख़याल आते ही मुझे खुद से नफरत हुई, क्योंकि मेरे लिए सिर्फ और सिर्फ रितिका ही दोषी थी और मेरी इस हालत की जिम्मेदार भी वही थी! मेरा कुछ भी ऐसा करना जिसके कारन मैं उसके जैसा बन जाऊँ उससे अच्छा था की मर जाऊँ| मैंने वो गिलास किचन सिंक में खाली कर दिया, पता नहीं क्यों पर मुझे ऐसा लगा जैसे नाली में गिरती वो दारु मुझे गालियाँ दे रही हो और कह रही हो; "जब कोई नहीं था तेरे पास तब मैं थी! आज जब अनु आ गई तो तू मुझे नाली में बहा रहा है? जब ये भी छोड़ कर जायेगी तब मेरे पास ही आएगा तू!"

"कभी नहीं आऊँगा तेरे पास, मर जाऊँगा पर नहीं आऊँगा! बहुत तिल-तिल कर मर लिया अब फिर तुझे कभी अपने मुँह नहीं लगाऊँगा| तूने सिर्फ मुझे जलाया ही है, कोई एहसान नहीं किया मुझ पर! एक इंसान मुझे सहारा दे कर संभालना चाहता है और तू चाहती है मैं भी उसे धोका दूँ?" मैं जोश-जोश में ऊँची आवाज में बोल गया इस बात से अनजान की अनु ने पीछे खड़े हो कर ये सब देख और सुन लिया है| जब मैं पलटा तो अनु की आँखें भरी हुई थीं, उन्होंने मेरे काँपते हुए हाथों को पकड़ा और आ कर मेरे सीने से लग गईं और बोलीं; "Thank You!!!" इसके आगे वो कुछ नहीं बोलीं, फिर मुझे वापस पलंग पर ले गईं और मुझे अपने गोद में सर रख कर लेटने को कहा| एक बार फिर मैं उस प्यार की गर्माहट में लेट गया पर नींद आना इतना आसान नहीं था| "I’m proud of you!” ये कहते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूमा और मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फेरने लगीं| अनु का ये kiss मेरे पूरे शरीर को झिंझोड़ गया, पुराण मानु अब जाग गया था और वो अब वापस आने को तैयार था! पर अंदर से मेरा पूरा जिस्म काँप रहा था और अनु बस मन ही मन प्रार्थना कर रही थीं की ये रात कैसे भी पार हो जाए ताकि वो कल सुबह मुझे हॉस्पिटल ले जा सकें| जागते हुए दोनों ने रात गुजारी और सुबह होते ही उन्होंने मुझे फ्रेश होने को कहा, उन्होंने चाय बनाई और नाश्ता भी बनाया| मेरा शरीर अब बुरी तरह कांपने लगा था, जिस्म से पसीना आने लगा था और मुझे थकावट भी बहुत लग रही थी| नहाने का जैसे कोई असर ही नहीं पड़ा था मुझ पर, मुझसे तो ठीक से बैठा भी नहीं जा रहा था| अनु ने बड़ी मुश्किल से मुझे नाश्ता कराया और कटोरी से धीरे-धीरे चाय पिलाई| घर से निकलना आफत हो गई थी ऐसा लगा जैसे की कोई भूत-बाधा वाला मरीज भगवान के डर से बाहर नहीं आना चाहता हो|

"एम्बुलेंस बुलाऊँ?" अनु ने पुछा तो मैंने ना में सर हिला दिया और कहा; "इतनी जल्दी हार नहीं मानूँगा! आप कैब बुला लो!" कैब आई और मैं सीढ़ियों पर बैठते-बैठते नीचे उतरा और आखिर हम हॉस्पिटल पहुँचे| अनु ने वहाँ इमरजेंसी में मुझे उसी फैक्टर से मिलवाया और वो मेरी ये हालत देख कर समझ गया| "See I told you!" उसने फटाफट जो औपचारिकताएं थी वो पूरी कीं और वही tests दुबारा दोहराये| रिपोर्ट आने तक उसने मुझे आराम करने को कहा और एक बेड दे दिया| पर मैंने मना कर दिया; "सर I'm a fighter! अभी इस पर लेटने का समय नहीं आया| मैं बाहर वेट करता हूँ!" डॉक्टर और अनु मेरे अंदर ये पॉजिटिव चेंज देख कर बहुत खुश थे| रिपोर्ट्स आने के बाद डॉक्टर ने हमें वापस अंदर बुला लिया और बिठा कर बताने लगा; "मानु I’m afraid reports are not good! Your liver is damaged considerably….. you’ve Cirrhosis of Liver!!! YOU CAN’T GO BACK TO DRINKING OR ELSE YOU’RE GONNA DIE!” ये बात अनु के लिए बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था इसलिए वो रो पड़ी| मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा; "Hey! I'm dying!" मैंने थोड़ा मजाक करते हुए कहा|

"Is she you’re wife?” डॉक्टर ने पुछा| तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा; "She's the one who’s keeping me alive!”

“Then mam its gonna be one hellova fight for you! As you can see the constant shivering, its because his body is addicted to the intoxication he’s been taking for such a long time. Now that he’s stopped, his body is craving for it! His body will reject any medication we give but you’ve to make sure he takes medicines on time. Also, very soon you’ll see the withdrawl symptoms! He’s goning to react and by react I mean he might become violent. Keep an eye on him cause I know HE WILL START DRINKING AGAIN! You’ve to keep alcohol away from him at any cost or you’ll loose your best friend! He also needs a therapist so he can ease the pressure on his head, he seems a very emotional person and he’ll eventually have a nervous breakdown! At that time do take care of him, the therapist will write some medication to ease his mental pressure and keep him in check. I’m writing some syrups and capsules for his liver as well as his apetite. Home cooked food only! No oily food, fast food or anything. Normal Home cooked food only. Also, he complained about sleep deprivation so I’m writing one sleeping pill, DO NOT INCREASE THE DOSAGE UNDER ANY CONDITION!” डॉक्टर ने बड़ी ही सख्त हिदायतें दी थीं और ये सुन कर ही पालन करने से डर लगने लगा था|
"कितना टाइम लगेगा इस में?" मैंने पुछा तो डॉक्टर ऐसे हैरान हुआ जैसे मैं कोई तुर्रमखाँ हूँ|


"It won’t be easy! If you follow my advice properly then atleast a year!” डॉक्टर ने गंभीर होते हुए कहा| पर मुझे अपने ऊपर पूरा विश्वास था की मैं ये कर लूँगा..... Bloody Overconfidence!
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:46 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:28 PM
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RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
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