Free Sex Kahani काला इश्क़!
12-02-2019, 02:47 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
update 53 

ये पूरा हफ्ता मेरा और ऋतू का मिलना कुछ कम हो गया, ऑफिस से मुझे दो बार बरैली जाना पड़ा और डेढ़ घंटे की ये ड्राइव वो भी एक तरफ की बड़ी कष्टदाई होती थी| अब रोजो-रोज ऋतू से मिलने हॉस्टल भी नहीं जा सकता था, इसलिए अब हमारे लिए बस वीडियो कॉल ही एक सहारा था| एक दूसरे को बस वीडियो कॉल में ही देख लिया करते और दिल को सुकून मिल जाता| सैटरडे आया तो ऋतू उम्मीद करने लगी थी की आज मैं हाफ डे में आऊँगा पर ये क्या उस दिन बॉस ने मुझे फिर बरैली जाने को कहा| मेरा बॉस खड़ूस तो था पर इज्जत से बात करता था, उसका दिया हर काम मैं निपटा देता था तो वो मुझसे खुश था| जब मैंने ऋतू से कहा की मैं आज नहीं आ पाऊँगा तो वो उदास हो गई पर मैंने उसे संडे का प्लान पक्का करने को कहा, तब जा कर ऋतू मानी| उस रात जब मैं घर पहुँचा तो ऋतू ने कॉल किया: "कल पक्का है ना? कहीं आप फिर से तो कंपनी के काम से कहीं नहीं जा रहे ना?"

"जान! कल बस मैं और तुम! कोई काम नहीं, कोई ऑफिस नहीं!" मेरी बात सुन कर ऋतू को इत्मीनान हुआ उसके आगे बात हो पाती उससे पहले ही किसी ने उसे बाथरूम के बाहर से पुकारा इसलिए ऋतू फ़ोन काट कर चली गई| मैंने भी खाना खाया और जल्दी सो गया, सुबह उठा और ब्रश किया, चूँकि ठंड शुरू हो चुकी थी इसलिए मन नहीं किया की नहाऊँ! ठीक नौ बजे ऋतू ने दरवाजा खटखटाया, ये दस्तक सुनते ही दिल में मौजें उठने लगी| माने दरवाजा खोला, ऋतू का हाथ पकड़ के उसे अंदर खींचा और दरवाजा जोर से बंद कर दिया| ऋतू को दरवाजे से ही सटा कर खड़ा किया और उसके होठों पर ताबड़तोड़ चूमना-चूसना शुरू कर दिया| ऋतू भी कामुक हो गई और उसने भी मेरी Kiss का जवाब अपनी Kiss से देना शुरू कर दिया| दो मिनट बाद ही हम दोनों का वहाँ खड़े रहना दूभर हो गया और मैं ऋतू को खींच कर बिस्तर पर ले आया| उसे धक्का देने से पहले उसके सारे कपडे उतारे, बस उसकी ब्रा और पेंटी ही बची थी| फिर उसे धक्का दे कर बिस्तर पर गिराया और मैं उसके जिस्म पर टूट पड़ा| उसके सारे नंगे जिस्म को मैंने चूमना शुरू कर दिया और इधर ऋतू का सीसियाना शुरू हो गया| मेरे हर बार उसके जिस्म को होंठों से छूने भर से उसकी; "सससस" निकल जाती| टांगों से होता हुआ मैं उसके पेट और फिर उसके स्तनों के बीच की घाटी पर पहुँचा तो ऋतू ने अपने दोनों हाथों से मेरे गालों को पकड़ा और अपने होठों के ऊपर खींच लिया| हम फिर से बेतहाशा एक दूसरे को चूमने लगे, एक दूसरे के होठों को चूसने लगे| हमारी जीभ एक दूसरे से लड़ाई करने लगी थीं, और नीचे मेरे लंड ने ऋतू की बुर के ऊपर चुभना शुरू करा दिया था| 


[Image: RituNMyHotScene.gif]


ऋतू ने अपने दोनों हाथों को मेरे सीने पर रख कर मुझे अपने ऊपर से बगल में धकेल दिया, वो उठ के बैठी और मेरे कच्छे को निकाल कर फेंक दिया| फिर आलथी-पालथी मार के मेरे लंड के पास बैठ गई और अपने दाहिने हाथ से उसने लंड की चमड़ी को नीचे किया, प्री-कम से गीला मेरा सुपाड़ा ऋतू की आँखों के सामने चमचमाने लगा| पर आज उसके मन में कुछ और था, ऋतू ने मेरे लंड को चूसा नहीं बल्कि आज तो वो उसके साथ खेलने के मूड में थी| उसने अपने दोनों हाथों की उँगलियों से मेरे लंड को पकड़ा और सिर्फ लंड के सुपाड़ी को अपने मुँह में ले कर उसे चूसने लगी| मुझे ऐसा लगा मानो वो मेरे सुपाडे को टॉफ़ी समझ रही हो! उसका ऐसा करने से मेरी सिसकारियां कमरे में गूंजने लगी; "सससससस....आह!!!" मेरी सिकारियाँ सुन ऋतू को जैसे और मजा आने लगा और ऋतू ने अपने जीभ से मेरे सुपाडे की नोक को कुरेदना शुरू कर दिया| अब तो मेरा मजा दुगना हो गया था और मैं स्वतः ही अपनी कमर नीचे से उचकाने लगा ताकि मेरा लंड पूरा का पूरा ऋतू के मुँह में चला जाए| 

[Image: RituSucks.gif]


पर ना जी ना! ऋतू तो सोच कर आई थी की वो आज मुझे ऐसा कतई नहीं करने देगी| पर लंड को तो गर्मी चाहिए थी, ऋतू के मुँह से ना सही तो उसकी बुर से ही सही! मैंने ऋतू के मुँह से अपना लंड छुड़ाया और उसे लेटने को कहा|

ऋतू मेरी जगह लेट गई और मैं उसकी टांगों के बीच आ गया, अब मैंने सोचा जितना ऋतू ने मुझे तड़पाया है उतना उसे भी तो तड़पाया जाए! इसलिए मैंने ऋतू की टांगें चौड़ी कीं और लंड को उसकी बुर पर मिनट भर रगड़ने लगा| ऋतू बेचारी सोच रही थी की अब ये अंदर जायेगा...अब अंदर जायेगा...पर मैं बस रगड़-रगड़ के उसके मजे ले रहा था| “ऊँह..उन्हह ..उम्!!!" ऋतू प्यार भरे गुस्से बोली और मैं उठ कर बिस्तर से नीचे आ गया| ऋतू एक दम से अवाक मुँह फाड़े मुझे देखती रही और सोचने लगी की मैं क्यों नाराज हो गया? पर अगले ही पल मैंने उसे पकड़ के खींचा और बिस्तर से उठा के उसे कुर्सी पर बिठा दिया| फिर मुस्कुराते हुए उसकी  टांगें चौड़ी कीं और अपना लंड उसके बुर में ठेल दिया| 


[Image: 5folr1zq0tey.jpg] 
(GIF play करने के लिए लिंक ओपन करें!)



ऋतू की बुर इतनी पनियाई हुई थी की एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर पहुँच गया, पर ऋतू चूँकि इस धक्के के लिए मेंटली प्रेपरेड़ नहीं थी तो उसकी 'आह!' निकल गई| शुरू-शुरू में मैंने पूरे धक्के मारे, जिससे मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी बुर में उत्तर जाता और फिर पूरा बाहर आता| पर शायद इतने दिन से हमने सेक्स नहीं किया था तो ऋतू को इसकी आदत नहीं रही थी इसलिए वो कुछ ज्यादा ही कराह रही थी| जबकि मेरा मानना ये था की अब तक तो ऋतू की बुर को मेरे लंड का आदि हो जाना चाहिए था! पर मैं फिर भी लगा रहा और करीब 5 मिनट बाद ही ऋतू ने पानी छोड़ दिया, अब मेरा लंड अंदर अच्छे से विचरण कर सकता था और मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शरू किये, पूरी कुर्सी मेरे धक्कों से हिलने लगी थी और ऋतू अपने दूसरे चरम-आनंद पर खुसंह गई थी! अगले धक्के के साथ हम दोनों साथ ही फारिग हुए और अपना साड़ी पानी उसकी बुर में भर कर मैं पलंग पर बैठ गया| कुर्सी पर टांगें चौड़ी कर के बैठी ऋतू की बुर से हम दोनों का रस टप-टप कर गिरने लगा और ऋतू इससे बेखबर अपनी साँसों पर काबू पाने लगी|                


          कुछ देर बाद मैं उठा और बाथरूम में फ्रेश होने लगा, इधर ऋतू ने चाय-नाश्ता बनाना शुरू कर दिया था| मेरे नहा के आते-आते ऋतू ने नाश्ता तैयार कर दिया था और फिर हमने बैठ के एक साथ नाश्ता किया| नाश्ते के बाद ऋतू ने बर्तन सिंक में रखे और मुझे खींच कर बिस्तर पर बिठा लिया; "जानू! मैं है ना....वो...मुझे है न....कुछ...मेकअप का समान खरीदना था...जैसे वो...मस्कारा ...ऑय लाइनर...काजल...और वो..एक टैंक टॉप (शर्माते हुए)....और...एक जीन्स....एक स्लीवलेस वाला टॉप...!!" ऋतू ने अपनी ये फरमाइश किसी बच्चे की तरह की|

"मेले जान को मॉडर्न दिखना है?!" मैंने तुतलाते हुए ऋतू से पुछा तो जवाब में ऋतू ने शर्म से गर्दन हाँ में हिला दी| "अच्छा...तो अभी ना...मेरे पास न...ज्यादा पैसे नहीं हैं! नेक्स्ट मंथ सैलरी आएगी ना ...तब आप ले लेना...ओके?" मेने भी ऋतू की तरह बच्चा बनते हुए सब कहा, ये सब सुन कर ऋतू मुस्कुराने लगी और फिर मेरे गले लग गई| "तो जानू! हम फ़ोन पर प्रोडक्ट्स देखें?" ऋतू ने पुछा तो मैंने फटाफट अपना फ़ोन निकाला और हम अमेज़न पर उसकी पसंद के प्रोडक्ट्स देखने लगे और सब के सब कार्ट में add कर दिए| अगले महीने सैलरी आते ही मैं वो आर्डर करने वाला था| हम दोनों ऐसी ही कुछ और प्रोडक्ट्स देख रहे थे की ऋतू का फ़ोन बज उठा और जो नाम और नंबर स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहा था उसे देख वो तमतमा गई; "क्या है? मना किया था न की मुझे कॉल मत करिओ, फिर क्यों कॉल किया तूने?.... मैंने क्या किया? सब तेरी करनी है!.... बहुत खुजली थी ना तुझे? अब भुगत!!! ....अच्छा? क्यों न कहूँ? तू क्यों मरी जा रही है उसके लिए, तेरे लिए बंदे फंसाना कोई मुश्किल काम है?! पहले उसके साथ सोइ थी अब किसी और के साथ सो जा!!!" इतना कह कर ऋतू ने फ़ोन काट दिया| अब मुझे थोड़ा-थोड़ा तो समझ आ गया था की ये कौन है और क्या बात आ रही है, तो मैंने इस बात का ना कुरेदना ही ठीक समझा|       

पर ऋतू को ये बात कहनी थी; "काम्या का फ़ोन था! कह रही थी की तूने क्यों रोहित को सब बोल दिया? उस कामिनी को दर्द हो रहा है की अच्छा ख़ासा बकरा उसके हाथ से निकल गया| हरामजादी!"

"बस मैडम! आपके मुँह से गालियाँ अच्छी नहीं लगती!" मैंने ऋतू को टोका!

"सॉरी जी! पर उसका नाम सुनते ही मुझे अभूत गुस्सा आता है!"

"अच्छा छोड़ उसे, और सुन मुझे इस coming week में रोज बरैली जाना है इसलिए अब नेक्स्ट मुलाक़ात संडे को ही होगी!" मैंने कहा|

"Hawwwwwwww !!!! फिर .....???" ऋतू एक दम से उदास हो गई|

"जान! थोड़ा टाइम दो मुझे ताकि ये नई जॉब संभाल सकूँ!" मैंने ऋतू के गाल को सहलाते हुए कहा|

"हम्म!" ऋतू ने मुस्कुराते हुए कहा|

उस दिन के बाद पूरे एक महीने तक हमारा मिलना बस संडे तक के लिए सीमित हो गया| हम फ़ोन पर रोज बात किया करते, और रात में सोने से पहले ऋतू मुझसे बाथरूम में छुपकर वीडियो कॉल पर बात करती| फिर जब हम संडे को मिलते तो पूरे हफ्ते की कसर निकाल देते| हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमते और प्यार करते मानो जैसे जन्मों के प्यासे हों! आखिर सैलरी वाला दिन आ गया और मैं उस दिन अपनी सैलरी अकाउंट में देख कर बहुत खुश हुआ| मैंने बिना ऋतू को बताये उसके सेलेक्ट किये हुए सारे सामान का आर्डर दे दिया और संडे को उसकी डिलीवरी भी होनी थी| ऋतू इस सब से अनजान थी और जब वो संडे को आई तो प्यासी हो कर मुझ पर टूट पड़ी पर मैं जानता था की आज हमें एक दूसरे को प्यार करने का समय नहीं मिलेगा| इसलिए मैंने उसे रोकते हुए कहा; "जान! आज नहीं!" ये सुन कर ऋतू परेशान हो गई और बोली; "क्यों क्या हुआ? आपकी तबियत तो ठीक है ना?"

"मैं ठीक हूँ जान! बस आज कोई आने वाला है|" मैंने बात बनाते हुए कहा|

"कौन आ रहा है? और आपने क्यों बुलाया उसे? एक तो दिन मिलता है उस दिन भी आपके दोस्त हमें अकेला नहीं छोड़ते?" ऋतू ने नाराज होते हुए कहा| ठीक उसी वक़्त दरवाजे पर दस्तक हुई और ऋतू का गुस्सा आसमान छूने लगा, मैंने उसे दरवाजा खोलने को कहा तो ऋतू ने गुस्से से दरवाजा खोला" सामने डिलीवरी बॉय खड़ा था और उसने कहा; "रितिका जी का आर्डर है!" ये सुनते ही ऋतू का गुस्सा काफूर हो गया और उसने हँसते हुए डिलीवरी ली और दरवाजा बंद कर के मेरे पास आ गई और गले लग गई| "थैंक यू जानू!!!" कहते हुए ऋतू  ने पंजों पर खड़े होते हुए मेरे होठों को चूम लिया| एक-एक कर तीन लोग और आये....फाइनली ऋतू का सारा सामान आ गया| अब ऋतू उन सबको पहन कर मुझे दिखाने को आतुर हो गई|


सबसे पहले उसने टी-शर्ट और जीन्स पहनी, आज लाइफ में पहलीबार वो जीन्स पहन रही थी| जीन्स बहुत टाइट थी जिसके कारन उसका पिछवाड़ा बहुत ज्यादा उभर कर दिख रहा था| उसे देखते ही मेरे मुँह से निकला; "दंगे करवाएँगी क्या आप?" 



[Image: DXGaYpBXkAAihge.md.jpg]
ये सुन कर जब ऋतू का ध्यान अपनी उभरी हुई गांड पर गया तो वो बुरी तरह शर्मा गई! "इसे return कर दो!" ऋतू ने शर्माते हुए कहा और मैंने भी उसकी बात मान ली क्योंकि ये जीन्स उसके लिए कुछ ज्यादा ही कामुक थी! बाकी बचे हुए टॉप्स उसने एक-एक कर पहने और मुझे दिखाने लगी|  


[Image: 855208257_268073.jpg] [Image: 855209266_335603.md.jpg] [Image: 855210836_276580.md.jpg] 
वो सब अच्छे थे पर जो उसने स्लीवलेस पहना तो मेरी आँखें उस पर गड़ गईं| ऋतू ने आज पहली बार स्लीवलेस पहना था और मैं उसे बस देखे ही जा रहा था| "आपको ये वाली पसंद आई ना?" उसने पुछा और मैंने हाँ में गर्दन हिलाते हुए मुस्कुरा दिया| 


[Image: 855209613_330612.md.jpg] [Image: 855210785_322307.md.jpg] [Image: 855210950_368313.md.jpg] 
मुझे ये जान कर ख़ुशी हुई की ऋतू अब अपनी खूबसूरती को पहचानने लगी है पर एक अजीब सा एहसास भी दिल में होने लगा था, वो ये की मेरी गाँव की भोली-भाली ऋतू जिसे मैं बहुत प्यार किया करता था वो अब शहरी रंग में रंगने लगी है! चलो अच्छा है.... जमाने के साथ बदलना ही चाहिए! ये सोच कर मैंने इत्मीनान कर लिया....  
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
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RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
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