Free Sex Kahani काला इश्क़!
11-29-2019, 08:13 PM,
#99
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
update 51 

अगली सुबह हुई तो हम अब भी उसी तरह लेटे हुए थे| ऋतू की आँख खुली और उसने मेरी गर्दन को चूमा तब मेरी आँख खुली| मैंने ऋतू के सर को चूमा और तब ऋतू उठ के बाथरूम में घुस गई| मैं भी अंगड़ाई लेता हुआ उठा और अपना फ़ोन देखा तो उसमें एक मेल आई थी| मुझे एक इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था, मेरे पास बस दो घंटों का समय था इसलिए जैसे ही ऋतू बाथरूम से निकली मैं तुरंत बाथरूम में घुस गया| 10 मिनट में नहा कर बाहर आया, ऋतू मेरी टी-शर्ट पहने हुए चाय बना रही थी| "जान! प्लीज जल्दी से कपडे पहनो, I've an interview to catch!" ये सुनते ही ऋतू ने फटाफट चाय बनाई और मेरे लिए टोस्ट भी बना दिए| मैंने कपडे पहने और खड़े-खड़े ही नाश्ता किया और दोनों साथ निकले, ऋतू को मैंने हॉस्टल छोड़ा; "Best of luck!!!"  ऋतू ने कहा और मैंने मुस्कुरा कर थैंक यू कहा| फिर मैं इंटरव्यू के लिए पहुँच गया, वहाँ गिनती के लोग थे और जब मेरा नंबर आया तो उन्होंने मेरा रिज्यूमे देखा और फाइनली मैं सेलेक्ट हो गया! आज जितनी ख़ुशी मुझे पहले कभी नहीं हुई थी! मैंने तुरंत ऋतू को कॉल किया और उसे कॉलेज के बाहर बुलाया, वो भी मेरी आवाज से मेरी ख़ुशी समझ चुकी थी| मैं ख़ुशी से इतना बावरा हो गया था की मुझे कोई होश नहीं था| जैसे ही ऋतू कॉलेज के गेट से बाहर आई मैंने उसे गोद में उठा लिया और गोल-गोल घूमने लगा| "I'm so happy!" कहते हुए मैंने ऋतू को नीचे उतारा, कॉलेज का गार्ड मुझे ऐसा करते हुए देख रहा था| जब मेरा ध्यान उस पर गया तो मैंने ऋतू का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर पार्क की तरफ भागा| ऋतू भी मेरे साथ ऐसे भाग रही थी जैसे मैं उसे literally घर से भगा कर ले जा रहा हूँ| आस-पास जो भी कोई था वो हम दोनों को इस तरह भागते हुए देख रहा था| आखिर हम पार्क पहुँचे और वहाँ बेंच पर बैठ कर अपनी साँसों को काबू करने लगे|


"I ..... got the job!" मैंने उखड़ी-उखड़ी साँसों को काबू में करते हुए कहा| इतना सुनना था की ऋतू मेरी तरफ मुड़ी और कस कर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया| "40K per month, Saturday is half day!"

"Thank God!" ऋतू ने भगवान् को शुक्रिया करते हुए कहा|

"हाँ बस एक दिक्कत है, हेड ऑफिस उन्नाओ में है| तो हफ्ते में एक दिन up-down करना पड़ेगा|" मैंने कहा|

"कोई बात नहीं!" एक-आध दिन सब्र कर लेंगे!" ऋतू ने मुस्कुराते हुए कहा|

"जान! सब कुछ सेट हो गया है अब! 40K ... उफ्फ्फ!! मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा!” 
"तो चलो एक बार हिसाब कर लेते हैं की आपके क्या-क्या expenses हैं?" ऋतू ने बैग से कॉपी पेन निकालते हुए कहा| ये हरकत बचकानी थी पर मैं तो पहले से ही सब हिसाब किये बैठा था| मैंने अपना फ़ोन निकला और ऋतू को एक मैसेज भेजा जिसमें सारा हिसाब पहले से ही लिखा था| जब ऋतू ने वो पढ़ा तो वो हैरानी से मुझे देखने लगी:


1. घर का किराया: 8,500/- (इस महीने से बढ़ रहा है|)

2. राशन (मैक्सिमम): 3,000/-

3. बाइक की मेंटेनेंस: 3,000/- जिसमें 1,000/- reimburse होगा|

4. अतिरीक्त खर्चा: 4,000/- (provision for any unexpected expense)

हर महीने बचत: (कम से कम) 22,500/-  इस हिसाब से 31 महीने (ऋतू के थर्ड ईयर के पेपर देने तक) के हुए 6,97,500/-


ऋतू ने जब 6 लाख की फिगर देखि तो उसकी आँखें छलक आईं; "जान ये फिगर और भी बढ़ेगी क्योंकि ये जो मैंने अतिरिक्त खर्चा रखा है ये भी कभी न कभी बचेगा! तो कम से कम ये मान कर चलो की हमारे पास 7 लाख होंगे! इतने पैसों से हम नई जिंदगी आराम से शुरू कर सकते हैं| अगर मैंने इन पैसों की FD करा दी तो ब्याज और भी मिलेगा!” उस समय मेरे दिमाग में जो अकाउंटेंट वाला दिमाग था वो बोलने लगा था और साड़ी प्लानिंग कर के बैठा था| ऋतू रोती हुई मुझसे लिपट गई; "जानू! मुझसे in 31 महीनों का सब्र नहीं होता!"

"जान! मैं हूँ ना तेरे साथ, ये 31 महीने मैं अपने प्यार से भर दूँगा!" मैंने ऋतू के सर को चूमते हुए कहा|

"जोइनिंग कब से है?" ऋतू ने पुछा|

"नेक्स्ट मंथ से! शुरू में तुम्हें थोड़ी दिक्कत होगी, क्योंकि काम समझने में थोड़ा टाइम लगेगा|"

"कोई बात नहीं! कम से कम आधा सैटरडे और पूरा संडे  तो होगा हमारे पास!" ऋतू ने मुस्कुराते हुए कहा|         

अब ये ख़ुशी सेलिब्रेट करनी तो बनती थी, इसलिए हम दोनों पिक्चर देखने गए और पिक्चर के बाद मैंने खुद हॉस्टल आंटी जी को फ़ोन कर दिया ये बोल कर की ऋतू मेरे साथ है और मैं उसे डिनर के बाद छोड़ दूँगा| हमने अच्छे से डिनर किया और फिर मैंने एक मिठाई का डिब्बा लिया और ऋतू को हॉस्टल छोड़ने चल दिया| वहाँ पहुँच के आंटी जी के पाँव छुए और उनका मुँह मीठा कराया की मेरी जॉब लग गई है| तभी मोहिनी भी आ गई और वो भी खुश हुई की मेरी नौकरी लग गई है और पूरा का पूरा मिठाई का डिब्बा ले कर खाने लगी| खेर इसी तरह दिन गुजरने लगे और दिवाली का दिन भी जल्द ही आ गया| मैं ऋतू को हॉस्टल से लेकर सीधा अंशुल की दूकान पर पहुँचा और माँ, ताई जी और भाभी के लिए साड़ियां खरीदी| एक साडी मैंने ऋतू के लिए भी खरीदी पर किसी तरह नजर बचा कर ताकि वो देख न ले, ताऊ जी, पिताजी और चन्दर के लिए सूट का कपडा लिया| वैसे तो मैं चन्दर और भाभी केलिए कुछ लेना नहीं चाहता था पर मजबूरी थी वरना सब कहते की इनके लिए क्यों कुछ नहीं लाया|  ख़ुशी-ख़ुशी हम दोनों घर पहुँचे तो देखा घर का रंग-रोगन कराया जा चूका था| ऋतू तो सीधा घर घुस गई और मेंबीके कड़ी कर पिताजी से मिला और उनके पाँव हाथ लगाए| फिर उन्हें और ताऊ जी को ले कर मैं आँगन में आ गया और चारपाई पर बिठा दिया| "ऋतू, दरवाजा बंद कर दे!" मैंने ऋतू से कहा और फिर सभी को आवाज दे कर मैंने आंगन में बिठा दिया, एक-एक कर सब को उनके तौह्फे दिए तो सभी खुश हुए, सबसे ज्यादा अगर कोई खुश हुआ तो वो थी ऋतू जब मैंने उसे सबके सामने साडी दी| घर में उसने आज तक कभी साडी नहीं पहनी थी पर ये बात हमेशा की तरह भाभी को खटकी; "इसे साडी पहनना भी आता है?" उन्होंने कहा तो मुझे बड़ी मिर्ची लगी और मैंने उन्हें सुनाते हुए कहा; "आप कौन सा माँ के पेट से सीख कर आये थे? इसी दुनिया में सीखा ना? आप चिंता ना करो ऋतू आपको तंग नहीं करेगी की उसे साडी पहना दो, ताई जी हैं और माँ हैं वो सीखा देंगी|" अब ये बात भाभी को चुभी पर ताई जी ने बीच में पद कर बात आगे बढ़ने नहीं दी वरना ताऊजी से डाँट पड़ती! "ये बता की तुम दोनों ने कुछ खाया भी था?" ताई जी पुछा| मैंने बीएस ना में गर्दन हिलाई तो ताई जी ने खुद देसी घी के परांठे बनाये और मैंने डट के खाये! 


चूँकि आज धनतेरस थी तो शाम को खरीदारी करने जाना था, हर साल पिताजी और ताऊ जी जाय करते थे पर इस बार मैं बोला; "ताऊ जी सारे चलें?" अब ये सुन कर वो हैरानी से मेरी तरफ देखने लगे| अब बाजार घर के इतने नजदीक तो नहीं था की सारे एक साथ पैदल चले जाएँ| बाइक से ही मुझे आधा घंटा लगता था, जब कोई कुछ नहीं बोला तो मुझे ही रास्ता सुझाना था| "चन्दर भैया आपका वो दोस्त है ना ...क्या नाम है...अशोक! उसे बुला लो ना?" ये सुनते ही वो मुस्कुरा दिए और फ़ोन निकाल कर उसे आने को कहा| अशोक का भाई मेरा दोस्त था और शादी-ब्याह में वो अपने ट्रेक्टर-ट्राली बारातियों के लाने-लेजाने के लिए किराये पर देते थे| "तू ज्यादा होशियार नहीं हो गया?" पिताजी ने प्यार से मेरे कान पकड़ते हुए कहा| ताऊ जी हँस दिए और उन्होंने सब को तैयार होने का आदेश दे दिया| सब तैयार हुए पर अब भी एक दिक्कत थी, वो ये की ट्रेक्टर चलाएगा कौन? चन्दर को तो आता नहीं था, इसलिए मैंने ही पहल की| जब स्कूल में पढता था तब कभी-कभी मस्ती किया करता था और हम दो-चार दोस्त मिल कर अशोक भैया का ट्रेक्टर खेतों में घुमाया करते थे| "तुझे ट्रेक्टर चलाना आता है?" ताऊ जी ने पुछा| मैंने हाँ में गर्दन हिलाई; "अरे तो पहले क्यों नहीं बताया? हम बेकार में ही दूसरों को इसके पैसे देते थे, इतने में तो नया ट्रेक्टर आ जाता|" ताऊ जी बोले| "पर मानु भैया घर पर होंगे तब तो?" पीछे से भाभी की आवाज आई अब मन तो किया की उन्हें कुछ सुना दूँ पर चुप रहा ये सोच कर की आज त्यौहार का दिन है क्यों खामखा सब का मूड ख़राब करूँ|


मैं ड्राइविंग सीट पर बैठा था और मेरे दाहिने हाथ पर ताऊ जी बैठ थे, बाईं तरफ पिताजी बैठ थे और बाकी सब एक-एक कर पीछे ट्राली में बैठ गए| इतने दिनों बाद ट्रेक्टर चला रहा था तो शुरू में बहुत धीरे-धीरे चलाया, फिर जैसे ही मैं रोड पकड़ा तो जो भगाया की एक बार को तो ताऊ जी बोल ही पड़े; "बेटा! धीरे!" तब जाके मैंने स्पीड कम की और हम सही सलामत बाजार पहुँच गए! बाजार में पिताजी के जान पहचान की एक दूकान थी और मैंने वहीँ ट्रेक्टर रोका और एक-एक कर सब उतरने लगे| सबसे आखरी में ऋतू रह गई थी और मुझे आज कुछ ज्यादा ही रोमांस चढ़ रहा था| जब वो उतरने लगी तो मैंने जानबूझ कर उसे कमर से पकड़ लिया और नीचे उतारा| हालाँकि इसकी कोई जर्रूरत नहीं थी पर आशिक़ी आज कुछ ज्यादा ही सवार थी, भाभी ने मुझे ऐसे करते हुए देखा तो बोली; "हाय! कभी मुझे भी उतार दो ऐसे!" ये सुनते ही ऋतू को मुँह फीका पड़ गया| "आप बहुत मोटे हो!!! आपको उठाने जाऊँगा तो मेरी कमर अकड़ जाएगी!" ये सुन कर माँ और ताई जी हँसने लगे और बेचारी भाभी शर्म से नीचे देखने लगी| पिताजी, चन्दर और ताऊ जी तो आगे चल दिए और इधर माँ, ताई जी, भाभी और ऋतू को साड़ियों का माप देना था, तो उनके साथ रहने की जिम्मेदारी मुझे दे दी गई| पिताजी एंड पार्टी तो अपने जान पहचान वाले दूकान दारों से मिलने लगे तो मैंने सोचा की हम सारे कुछ खा-पी लेते हैं| पर पहले माप देना था, सब एक-एक कर अपना माप लिखवा रहे थे और मैं बाहर खड़ा था और अरुण-सिद्धार्थ के मैसेज पढ़ रहा था|   

माप दे कर सबसे पहले ताई जी आईं और उन्होंने पुछा की ताऊ जी कहाँ हैं तो मैंने कह दिया वो तो आगे चले गए सब से मिलने| "तो बेटा उन्हें फ़ोन कर|" ताई जी ने कहा| "छोडो ना ताई जी, चलो चल के कुछ खाते हैं|" तै जी मुस्कुरा दी और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोलीं; "बाकियों को आने दे, फिर चलते हैं|" इतने में माँ आ गई और ताई जी ने हँसते उन्हें कहा; "तेरा लड़का समझदार होगया है| इसके लिए समझदार बहु लानी होगी|" मैं ये सुन कर हँस पड़ा, क्योंकि मैं जानता था की मेरी पसंद थोड़ी नसमझ है! पीछे से भाभी और ऋतू भी आ गए| फिर हम एक जगह बैठ के चाट खाने लगे, तभी चन्दर भैया हमें ढूँढ़ते हुए आ गए और हमें मज़े से चाट खाते हुए देख बोले; "वहाँ पिताजी आप सब को ढूँढ रहे हैं और आप सारे यहाँ बैठे चाट खा रहे हो?"

"अरे भूख लगी है तो कुछ खाये नहीं?!" ताई जी चन्दर को डाँटते हुए कहा| इतने में हम सबका खाना हो गया और हम सारे के सारे उठ के चल दिए, ताऊ जी ने जब पुछा तो ताई जी ने कह दिया की भूख लगी थी तो कुछ खा रहे थे| ताऊ जी ने फिर कुछ नहीं कहा और हमने खरीदारी की| पर इस बार ताई जी बहुत ज्यादा ही खुश थीं इसलिए वो माँ, भाभी और ऋतू को ले कर एक सुनार की दूकान में घुस गईं| ये हमारी खानदानी जान पहचान की दूकान थी तो सारा परिवार अंदर जा कर बैठ गया| हम सब की बड़ी आव-भगत हुई और मालिक ने खुद सब औरतों को जेवर दिखाए| ऋतू बेचारी चुप-चाप पीछे बैठी थी, इस डर से की कहीं कोई उसे डाँट ना दे| पर डाँट तो उसे फिर भी पड़ी, प्यार भरी डाँट! "रितिका! तू वहाँ पीछे क्या कर रही है? यहाँ तेरे लिए ही आये हैं और तू है की पीछे बैठी है? चल जल्दी आ और बता कौनसी अच्छी है तेरे लिए?" ये सुन कर ऋतू का सीना गर्व से चौड़ा हो गया| वो उठ के आगे आई और बोली; "दादी ... आप ही बताइये...मुझे तो कुछ पता नहीं!" ताई जी ने उसे माँ और अपने बीच बिठाया और उसे समझाते हुए बालियाँ पहनने को कहा| उसने एक-एक कर सब पहनी पर वो अब भी confuse थी तो मुझे उसकी मदद करनी थी... पर कैसे? मैं इधर-उधर देखने लगा फिर सामने नजर शीशे पर पड़ी| ऋतू की नजर अब भी सामने आईने पर नहीं थी बल्कि वो ताई जी और माँ की बात सुनने में व्यस्त थी, मैं बीएस इंतजार करने लगा की ऋतू उस आईने में देखे ताकि मैं उसे बता सकूँ की कौन सी बाली बढिये है| आखिर में उसने देख ही लिया, उसके दोनों हाथों में एक-एक डिज़ाइन था| मैंने उसे आँख के इशारे से बाएँ वाले को try करने को कहा, पर वो मुझे इतना नहीं जचा तो मैंने गर्दन के इशारे से दूसरे try करने को कहा| ये वाला मुझे बहुत पसंद आया तो मैंने हाँ में गर्दन हिला कर अपनी स्वीकृति दी! माँ ने मुझे ऋतू की मदद करते हुए देख लिया और बोल पड़ीं; "क्या बात है? तेरी पसंद बड़ी अच्छी है इन चीजों में?" माँ ने मजाक करते हुए कहा पर पता नहीं कैसे मेरे मुँह से निकला; "माँ कल को शादी होगी तो बीवी को इन सब चीजों में मदद करनी पड़ेगी ना? इसलिए अभी से प्रैक्टिस कर रहा हूँ!" ये सुनते ही सारे लोग जो भी वहाँ थे सब हँस पड़े| ऋतू के गाल भी शर्म से लाल हो गए थे क्योंकि वो समझ गई थी की ये बात मैंने उसी के लिए कही है| हँसते-खेलते हम घर लौटे और रात को खाने के बाद ताऊ जी, चन्दर और पिताजी सोने चले गए| मैं अब भी आंगन में बैठा था, ताई जी और सभी औरतें खाना खा रहीं थीं| थकावट हो रही थी सो मैं अपने कमरे में आ कर सो गया, रात को ऋतू ने मेरा दरवाजा खटखटाया पर मैं बहुत गहरी नींद में था इसलिए मुझे पता नहीं चला| अगली सुबह जब मैंने ऋतू से Good morning कहा तो वो मुँह फूला कर रसोई में चली गई| मैं सोचता रह गया की अब मैंने क्या कर दिया? जब वो चाय देने आई तो बोली; "मुझे कल रात को आपसे कितनी बातें करनी थी, पर आपको तो सोना है!" ये सुन कर मेरे मुँह से 'oops' निकला! पर आगे कुछ कहने से पहले ही वो चली गई, इधर पिताजी आये और मुझे अपने साथ चलने को कहा| मैंने अपनी बुलेट उठाई और पिताजी के साथ निकल पड़ा, दिन भर पिताजी ने जाने किस-किस को मिठाई देनी थी? कितनों के यहाँ बैठ के चाय पि शाम को घर आते-आते पेट में गैस भर गई! घर आते ही मैं पिताजी से बोला: "कान पकड़ता हूँ पिताजी! आज के बाद मैं आपके साथ दिवाली पर किसी के घर नहीं जाऊँगा!" ये सुन कर सारे हँस पड़े| "क्यों?" पिताजी ने अनजान बनते हुए पुछा; "इतनी चाय...इतनी चाय! मैंने ऑफिस में कभी इतनी चाय नहीं पि जितनी आपके जानने वालों ने पिला दी! मुझे तो चाय से नफरत हो गई|" तभी ऋतू जान बूझ कर एक कप में पानी ले कर आई और मुझे ऐसा लगा जैसे उसमें चाय हो, मैंने हाथ जोड़ते हुए कहा; "ले जा इस कप को मेरे सामने से नहीं तो आज बहुत मारूँगा तुझे!" ये सुन कर ऋतू और सभी लोग खिल-खिला कर हँस पड़े! रात को खाना खाने की बिलकुल इच्छा नहीं थी, इसलिए मैं ऊपर छत पर चूरन खा रहा था|

                सब के खाना खाने तक मुझे नींद आ गई और मैं छत पर ही पैरापेट वॉल से टेक लगा कर सो गया| ऋतू ने आ कर मुझे जगाया तब मेरी नींद खुली, मैंने अंगड़ाई लेते हुए उसे देखा; "आप यहाँ क्यों सो रहे हो?" उसने पुछा|

"कल बिना बात किये सो गया था ना, इसलिए मैं यहाँ तेरा इंतजार कर रहा था| पता नहीं कब नींद आ गई! अब बता क्या बात करनी थी?"

"कल  बात करेंगे, अभी आप सो जाओ|" ऋतू ने कहा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपने सामने आलथी-पालथी मार के बैठने को कहा|

"कल दिवाली है और कल टाइम नहीं मिलेगा, बोल अब!" मैंने कहा|

"कल.... मेरे पास शब्द नहीं....दादी ने मेरे लिए पहली बार बालियाँ खरीदी ....सब आपकी वजह से!!!" ऋतू का गला भर आया था इसलिए उसने बस टूटे-फूटे शब्द कहे|

"अरे पागल! मैंने कुछ नहीं किया! देर से ही सही ये खुशियाँ तुझे मिलनी थी और तुझे तो खुश होना चाहिए ना की रोना चाहिए!" मैंने उठ के ऋतू के आँसू पोछे|

"नहीं.... इस घर में एक बस आप हो जो मुझे इतना प्यार करते हो, हर बात पर मेरा बचाव करते हो| आपके इसी बर्ताव के कारन दादी का और बाकी सब का दिल मेरे लिए पसीजा है| आप अगर नहीं होते तो कोई मेरे बारे में कभी नहीं सोचता, पहले सब यही चाहते थे की मेरी शादी हो जाए और मैं इस घर से निकल जाऊँ पर आपके प्यार के कारन अब सब मुझे इस घर का हिस्सा समझने लगे हैं|" ऋतू ने अब रोना शुरू कर दिया था|

"अच्छा मेरी माँ! अब बस चुप हो जा!" मैंने ऋतू को अपने सीने से चिपका लिया तब जा कर उसका रोना बंद हुआ|

"तू ना...जितना हँसती नहीं उससे ज्यादा तो रोती है| Global water crisis solve करना है क्या तूने?" मैंने मजाक में कहा तो ऋतू की हँसी निकल गई| इस तरह हँसते हुए मैंने उसे उसके कमरे के बाहर छोड़ा और मैं अपने कमरे में घुस गया| सुबह हुई और मैं जल्दी उठ गया, एक तो भूख लगी थी और दूसरा आज सुबह काम थोड़े ज्यादा बचे थे| सारा काम निपटा के आते-आते दोपहर हो गई और फिर सब ने एक साथ खाना खाया और रात की पूजा के लिए तैयारियाँ शुरू हो गई| वही लालची पंडित आया और हम सब पूजा के लिए बैठ गए| सबसे आगे माँ-पिताजी और ताई जी-ताऊ जी थे, उनके पीछे चन्दर भैया-भाभी और उनकी बगल में मैं और ऋतू बैठे थे| पूजा सम्पन्न हुई और पंडित अपनी दक्षिणा ले कर चला गया, इधर मैंने और ऋतू ने पूरी छत मोमबत्तियों से सजा दी और सारा घर जगमग होगया| नीचे आ कर सब ने खाना खाया और फिर सब छत पर आ गए और आतिशबाजी देखने लगे| मैं नीचे से सब के लिए फूलझड़ी और अनार ले आया, फूलझड़ियां मैंने ऋतू, माँ, ताई जी और भाभी को जला कर दी तथा अनार जलाने का काम चन्दर और मैं कर रहे थे| "मानु भैया अगर बम ले आते तो और मजा आता|" चन्दर ने कहा तो ताऊ जी ने मना कर दिया; "बिलकुल नहीं! वो बहुत आवाज करते हैं, यही काफी है!" चन्दर भैया अपना मुँह झुका कर अनार जलाने लगे| रात के नौ बजे थे और सब थके हुए थे इसलिए जल्दी ही सो गए| रात ब्रह बजे मैं उठा क्योंकि मुझे िठाइ खानी थी, तो मैं दबे पाँव नीचे आया और मिठाई का डिब्बा खोल कर मिठाई खाने ही जा रहा था की ऋतू आ गई| दोनों हाथ कमर पर रखे वो प्यार भरे गुस्से से मुझे देखती रही| मुझे उसे ऐसा देख कर कॉलेज की टीचर की याद आ गई और हँस पड़ा| "टीचर जी! सॉरी!" मैंने कान पकड़ते हुए कहा तो ऋतू मुस्कुराती हुई मेरे पास आई और मिठाई के डिब्बे से मिठाई निकाल कर खाने लगी| अब तो हम दोनों मुस्कुरा रहे थे और मिठाई खा रहे थे, दोनों ने मिल कर आधा डिब्बा साफ़ कर दिया और फिर पानी पी कर दोनों ऊपर आ गए| मैंने झट से ऋतू का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे में खींच लिया| दरवाजे के साथ वाली दिवार से उसे सटा कर खड़ा किया और उसके गुलाबी होठों को मुँह में भर कर चूसने लगा| ऋतू ने तुरंत अपने हाथ मेरी पीठ पर फिराने शुरू कर दिए| मेरा मन तो उसके निचले होंठ को पीने पर टिका था इधर ऋतू का जिस्म जलने लगा था, उसका हाथ अब मेरे लंड पर आ गया और वो उसे दबाने लगी| अब उस समय सेक्स करना बहुत बड़ा रिस्क था इसलिए मैं रुक गया; "जान! ये नहीं प्लीज! शहर जा कर!" ऋतू का दिल टूट गया और उसने अपना हाथ मेरे लैंड के ऊपर से हटा लिया| मैं मजबूर था इसलिए मैंने उसे बस "प्लीज!!!" कहा तो शायद वो समझ गई और धीमे से मुस्कुराई! अब आगे अगर मैं उसे kiss करता तो फिर वही आग सुलग जाती इसलिए मैं रूक गया और उसे good night कहा| मैं समझ गया था की ऋतू को बुरा लगा है पर उसने अगले ही पल पलट कर पंजों पर खड़े होते हुए मेरे होठों को चूम लिया और खिल-खिलाती हुई अपने कमरे में भाग गई, मैं भी खड़ा-खड़ा कुछ पल मुस्कुराता रहा और फिर सो गया|
Reply


Messages In This Thread
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:46 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:36 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-13-2019, 11:43 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:28 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 06:56 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 07:51 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-16-2019, 10:35 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 11:39 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-17-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-18-2019, 05:00 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-19-2019, 07:49 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:52 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:50 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-20-2019, 07:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-21-2019, 06:15 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-22-2019, 09:21 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-22-2019, 11:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 12:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 10:13 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-24-2019, 10:26 PM
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़! - by kw8890 - 11-29-2019, 08:13 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,415,978 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 534,940 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,197,756 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 905,306 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,606,062 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,040,078 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,883,682 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,831,496 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,946,958 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 277,083 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)